बेसिक शिक्षा की पहली अर्थी तो जौनपुर से निकली थी

दोलत्ती

: जौनपुर में हैं तीन सौ से ज्‍यादा फर्जी शिक्षक, एक हरामखोर भी : जुल्‍फी व पहाड़ा-शासन में मलाई काटता रहा शिक्षा माफिया बाबू : सरकारी शिक्षक का वेतन झटकता रहा पत्रकार संघ का महामंत्री :
दोलत्‍ती संवाददाता
जौनपुर : यूपी में शिक्षा घोटाला आजकल सरकारी गलियारों में आग की तरह बरस रहा है। लेकिन सच बात तो यह है कि इस घोटाले के पलीते पर असली आग तो जौनपुर ने ही दी थी। हालांकि यहां के बीएसए आफिस में तैनात एक हाईप्रोफाइल बाबू की गिरफ्तारी एसटीएफ ने कर दी है, लेकिन बताते हैं कि कई और बड़े-बड़े मगरमच्‍छ अभी शिक्षा विभाग को निगलने की जुगत में हैं।

खबरें तो यह भी हैं कि यहां के बीएसए खुद ही दागी हैं। इतना ही नहीं, यहां शिक्षा की बदहाली का अंदाजा महज इसी से तथ्‍य से लगाया जा सकता है कि पचीसों बरस से अपनी नौकरी से गैरहाजिर एक शिक्षक तो जिले के आला अफसरों के बीच बाकायदा अराजकता पर आमादा रहा। इतना ही नहीं, यह शिक्षक तो यहां के जिला पत्रकार संघ में आज तक महामंत्री का पद का झण्‍डा फहराये घूम रहा है और उसके सामने जिले के आला अफसरों की घिग्‍घी बंधी रहती है।

मजेदार बात तो यह है कि शिक्षा का कलंक बन चुका यह पत्रकार न केवल अफसरों की प्रेस-कांफ्रेंस में भी अपनी धमक बनाये रखता है, बल्कि प्रेस नोट भी जारी कर देता है।
एक पत्रकार ने दोलत्‍ती संवाददाता को बताया कि फर्जी शिक्षा माफियाओं के मामले में जिस आनंद सिंह की गिरफ्तारी हुई है वह पिछले 14 वर्षों से जौनपुर बेसिक शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्य कर रहा है। नियमत: हर साल पूरा होने के बाद उसका रिनुअल होना चाहिए लेकिन कभी कराया नहीं। और उसकी पत्नी शोभा तिवारी सर्वशिक्षा अभियान बालिका शिक्षा की जिला समन्यवयक है।
सूत्र बताते हैं कि बंटी और बबली की तर्ज पर आनंद सिंह और उसके गिरोह ने शिक्षा विभाग को लगाया है करोड़ों का चूना। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही आनंद सिंह ने अपना एक मुकम्मल केबिल बनाया है। इसके केबिन को चारों तरफ से बंद करके हमेशा रहता है। इसी केबिन में शिक्षा माफियाओं की सेटिंग-गेटिंग और गिरोह के बड़े लोगों का आना-जाना होता रहता था।
महज छह हजार रूपयों की शुरुआती संविदा वेतन वाले आनंद सिंह का वेतन आज भले ही महज 8000 तक पहुंच गया हो, लेकिन इतनी मामूली वेतन वाला यह बाबू आज करोड़ों का आदमी बन गया है। आनंद सिंह के नाम से रिवाल्वर, राइफल और उसकी पत्नी के नाम से रिवाल्वर का लाइसेंस है। बताते हैं कि इस बाबू के हौसले भी किसी माफिया से कम नहीं है। पूरा शिक्षा विभाग इस बाबू के नाम से थरथर कांपता है। इसके पहले बीएसए कार्यालय में यहां के कर्मचारी रमेश प्रजापति के ऊपर आनंद सिंह ने रिवॉल्वर तान लिया था। उसके बाद आनंद सिंह का जलवा पूरे शिक्षा विभाग में कायम हो गया।
जौनपुर के मौजूदा बीएसए प्रवीण कुमार त्रिपाठी अभी हाल में मिर्जापुर से स्थानांतरित होकर आए हैं। सूत्र बताते हैं कि यह बीएसए इसके पहले मिर्जापुर में नमक रोटी बच्चों को खिलाने के मामले में सस्पेंड भी हुए थे। फर्जीवाड़े की इस मामले में दिलचस्प मामला यह है कि अनामिका शुक्ला का मामला जब लखनऊ में उभरा तो आनंद सिंह बेसिक शिक्षा कार्यालय से चुपचाप 1 सप्ताह की छुट्टी लेकर गायब हो गया। लेकिन इसी बीच वह गिरोह के लोगों से सेटिंग-गेटिंग करता रहा। लेकिन सर्विलांस पर उसका नंबर एसटीएफ ने लगाया था जिसके वजह से वह हत्थे चढ़ गया। अभी भी जौनपुर में 300 फर्जी शिक्षक तैनात हैं।

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