फिर इस महिला ने उस पत्रकार पर आरोप जड़ दिया

दोलत्ती


: आप किसी महिला के व्‍यवहार को इकतरफा यौन-आमंत्रण कैसे मान सकते हैं : वह आपके प्रति श्रद्धा रख कर खुद को सुरक्षित समझे, और गलतफहमी में : जीभ-लिंग 7 :
कुमार सौवीर
लखनऊ : ( गतांक से आगे ) तो पहला किस्‍सा तो बेकाबू यौन-आचरण से जुड़ी घटना पर सुन लीजिए। यह किस्‍सा एक पत्रकार के साथ हुआ। उस दौर में यह पत्रकार अकेले ही रहते थे। एक दिन फेसबुक पर एक महिला का संदेश मिला उन्‍हें। एक देर रात मैसेंजर पर उन्‍होंने अपनी फोटोज भेजी। उसके बाद देर रात तक मोबाइल पर बातचीत का दौर शुरू हो गया। मोहतरमा ने एक दिन ख्‍वाहिश जतायी कि वे उस पत्रकार से मिलना चाहती थीं। पत्रकार ने उस महिला को अपना पता बता दे दिया। लेकिन साथ ही यह भी बता दिया कि वह पत्रकार अकेला ही रहता था। उस महिला को यह जानकारी देना उस पत्रकार ने इसलिए जरूरी समझा होगा कि अकेले मकान में आने में कोई अगर कोई अड़चन हो, तो वह अपने फैसले को सुधार ले। यह इसलिए भी, ताकि बाद में किसी दूसरी किस्‍म में गलतफहमियां न उपजने लगें।
बहरहाल, अगले ही दिन दोपहर को वह महिला पत्रकार के घर आ गयीं। घंटों बैठी रहीं। पत्रकार का कहना है कि उस महिला ने उस पत्रकार के घर का हर कोना-कतरा तक देखा। कई सुझाव भी दिये, और यह भी प्रस्‍ताव रख दिया कि वे उस पत्रकार के घर में फैली व्‍यवस्‍थाओं को सुधारने में अपना हिस्‍सा भी बंटाना चाहती हैं। उसके बाद कई बार कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। पत्रकार बताते हैं कि अक्‍सर तो वे अपने घर से कुछ व्‍यंजन बना कर लेकर आती थीं, और फिर वे दोनों मिल कर भोजन किया करते थे।
जाहिर है कि उस पत्रकार अकेला ही रहता था, इसलिए ऐसी सारी भेंट हमेशा एकांत में ही रहती थीं। धीरे-धीरे चर्चाएं आवरणहीन होने की प्रक्रिया में आ गयीं। यौन-आचरण पर भी। पत्रकार का कहना है कि उन्‍हें पता ही नहीं चला कि वे कैसे अचानक एक-दूसरे की उंगलियों का स्‍पर्श भी करने लगे। फिर एक-दूसरे को घनिष्‍ठता के स्‍तर पर एक-दूसरे को छूने की भी प्रक्रिया शुरू हो गयी। परस्‍पर मनुहार भी शुरू हो गये। हंसी-मजाक भी खुल कर होने लगे थे।
एक दिन वह महिला उस पत्रकार के घर आयीं। बढिया भोजन लेकर आयी थीं। गर्मियों का दिन था। अचानक महिला ने पूछा कि आप बियर वगैरह पीते हैं ?

पत्रकार ने बताया कि वे पीते हैं। बियर क्‍या, बाकी शराब भी पीते हैं।
महिला ने पूछा कि क्‍या फ्रिज में बियर है ?
क्‍यों, आप पीती हैं क्‍या ?
हां, कभी-कभी। है क्‍या ?
पत्रकार ने जवाब दिया कि उसके फ्रिज में तो बियर नहीं है, लेकिन अगर आपकी इच्‍छा हो तो वह अभी खरीद ला सकता है।
लेकिन महिला ने मना कर दिया और कहा कि वह कभी-कभार ही पीती हैं। लेकिन आज छोडि़ये, फिर कभी पिया जाएगा। लीजिए भोजन कीजिए।
दोनों ने साथ ही खाना खाया।
उसके कुछ देर बाद अचानक वे एक-दूसरे से आलिंगन-बद्ध हो गये। सहवास तो नहीं हुआ, मगर चरम-पूर्णता हो गयी।
लेकिन उसके बाद अचानक ही उस महिला के तेवर बदल गये। पत्रकार बताते हैं कि शाम को उन्‍होंने मैसेंजर पर उस पत्रकार को संदेश दिया कि तुमने मेरा अपमान किया है। और उसके बाद उस पत्रकार को उन्‍होंने ब्‍लॉक कर दिया। हालांकि बाद में उन्‍होंने ब्‍लॉक हटा लिया, लेकिन वे दोनों अनफ्रेंड ही बने रहे। कहने की जरूरत नहीं कि उसके बाद से ही वह पत्रकार जी अपराध-बोध से ग्रसि‍त होने लगे।
बहरहाल, इस मामले में मैं उस महिला को नहीं, बल्कि उस पत्रकार को ही दोषी मानता हूं। मेरा साफ मानना है कि वह पत्रकार ही अधिकांशत: दोषी था। वजह यह कि उसे अपने संयम का प्रदर्शन करना चाहिए था। एक महिला अगर आपके घर में आ रही है, तो उसके साहस और आपके प्रति उसके विश्‍वास को ठेस नहीं लगायी जानी चाहिए। अकेली महिला का किसी भी पुरूष के प्रति अकेले में आना उसके यौन-आमंत्रण का प्रतीक ही नहीं होता, बल्कि वह अपने आप को आपके संयम के प्रति अगाथ श्रद्धा रख कर उसमें अपने को सुरक्षित समझना चाहती है। हमें ध्‍यान रखना चाहिए कि ऐसी महिला शरणागत भाव में होती है। उसके साथ बड़प्‍पन और सखा भाव में ही देखना-मानना चाहिए। भले ही यह पहल किसी ने भी की हो, लेकिन पुरूष को अपने संयम को बनाये ही रखना चाहिए।
लेकिन इसके बावजूद दोलत्‍ती समूह इस पत्रकार उस घटना पर स्‍वीकार करने के साहस की प्रशंसा करता है। साथ ही सभी पाठकों को आमंत्रित करता है कि वे अपने साथ हुए ऐसे हादसों या घटनाओं को सार्वजनिक करें, जो उनके दिल-दिमाग में अवसाद और पराजय भाव भर कर आपके व्‍यक्तित्‍व में घुन की तरह घुलता ही जा रहा है। यकीन मानिये कि हम आपके अनुभवों को तो प्रकाशित करेंगे, लेकिन अगर आप नहीं चाहेंगे, तो हम आपका नाम उजागर नहीं करेंगे। (क्रमश:)
(आपके लिए हम एक नया प्रस्‍ताव लाये हैं। आप के जीवन में जो भी कोई खट्टी-कड़वी स्‍मृतियां आपको लगातार कचोटती जा रही हों, आप तत्‍काल उससे निजात हासिल कीजिए। खुद को कुरेदिये, उन घटनाओं को याद कीजिए और उनको सविस्‍तार लिख डालिये। उन घटनाओं को सीधे ईमेल पर भेज दीजिए या फिर वाट्सएप पर भेज दीजिए। आप अगर अपना नाम छपवाना नहीं चाहते हों, तो हमें बता दीजिए। हम आपकी हर याद को आपका जिक्र किये बिना ही प्रकाशित कर देंगे। और उसके साथ ही आपके दिल में छिपा गहरा अंधेरा अचानक समाप्‍त हो जाएगा, और पूरा दिल-दिमाग चमक पड़ेगा। यह लेख-श्रंखला अब रोजाना प्रकाशित होगी। कोशिश कीजिए कि आप भी इस श्रंखला का हिस्‍सा बन जाएं।
हमारा ईमेल है kumarsauvir@gmail.com, आप हमें 9453029126 पर वाट्सएप कर सकते हैं। संपादक: कुमार सौवीर)

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