मौलवी से जिन्‍ना पर नाजायज फतवा कराया रिपोर्टरों ने

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बरेली के आला हजरत दरगाह के नाम पर चला दी गयी फतवागिरी की दूकान : यह जानते हुए भी कोई भी फतवा समुदाय पर हो सकता है, व्‍यक्ति पर नहीं : भास्‍कर समेत कई अखबारों, वेब-पोर्टलों और समाचार चैनलों ने इस फर्जी खबर को जमकर बेचा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : फतवा का कुछ खास चरित्र होता है। पहला तो यह तो कोई भी फतवा धार्मिक और पुण्‍य स्‍थल से ही जारी हो सकता है। दूसरी बात यह कि फतवा जारी करने के लिए बाकायदा एक कमेटी होती है, जो किसी भी सवाल या सलाह पर गहन छानबीन करने के बाद ही फतवा जारी कर पाती है। तीसरे बात यह कि फतवा जारी करने वाले को किसी निजी स्‍वार्थ के लिए यह काम करने का अधिकार नहीं होता है। और चौथी अहम बात यह कि कोई भी फतवा समूह पर लागू पर ही हो सकता है, किसी खास शख्‍स पर कोई भी फतवा जारी नहीं किया जा सकता है।

लेकिन बरेली के एक मौलाना ने फतवा को बाकायदा एक दूकान के माल की तरह बेच डाला। इसमें मदद की, उन चंद रिपोर्टरों ने, जो देश के कुछ बड़े अखबार, वेब-पोर्टल और न्‍यूज चैनल से जुड़े थे। इनमें दैनिक भास्‍कर और उसका वेब पोर्टल भी आगे रहा। कई अन्‍य चैनलों ने भी मौलाना शहाबुद्दीन के बयान को बिना समझे-बूझे प्रसारित कर दिया। यह सब एक साजिश के तहत किया गया। मौलाना को लालच यह था कि इस तरह वह रातों-रात खुद को मशहूर कर देगा। जबकि रिपोर्टरों को लगा था कि वे इस खबर को गरमागरम बेच कर अपनी वाहवाही हासिल कर लेंगे।

फिर क्‍या हुआ। जिन्‍ना की तस्‍वीर पर जो हंगामा खड़ा किया मौलाना शहाबुद्दीन ने, उसका मुसलमान और मुल्‍क पर क्‍या असर पड़ा, यह तो दीगर मसला है। लेकिन सबसे बड़ी हानि तो यह हुई कि फतवों के सम्‍मान और उनकी गुरूता पर गहरी ठेस पहुंचायी गयी।

खैर आइये, हम आपको दिखायेंगे आला हजरत दरगाह से जुड़ी कमेटी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष सलमान से हुई मेरीबिटिया डॉट कॉम से बातचीत का वीडियो। यह बातचीत फोन पर सलमान जी से www.meribitiya.com के कुमार सौवीर ने की है। इस वीडियो को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक करें:-

आला हजरत पर हंगामा

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