: एटा के दलाल पत्रकार जहां भी दिखें, बेहिसाब जूते रसीद करो : अच्छे-खासे स्कूल को तबाह करने की साजिश कर दी इन हरामखोर पत्रकारों ने : एटा का बड़ा दारोगा बोलता बहुत है, मगर करता धेला भर भी नहीं : सपा सरकार गयी, पर अधिकांश अफसर और पत्रकार आज भी जिपं के तलवे चाटने में जुटे :
कुमार सौवीर /विपिन यादव
एटा : दलाली में सराबोर पत्रकारों की हालत अब इतनी ज्यादा निकृष्ट और बदबूदार होती जा रही है कि अब तो उन्हें सरेआम जुतियाने का इच्छा बलवती हो जाती है। एटा में यही चल रहा है। किसी अच्छे-खासे शिक्षा संस्थान को तबाह-बर्बाद करने की साजिश करके यहां के कुछ दल्ला पत्रकारों ने पहले तो पांच हजार रूपयों का ठेका ले लिया, और बाद में जब डेढ़ हजार रूपयों की दलाली पर तय-तोड़ निपट गयी, तो उसके बाद उसके बावजूद षडयंत्र करते रहे। बेहाल स्कूल प्रबंधक जब इन दलालों से आजिज आ गया, तो उसने उन पत्रकारों से हुई बातचीत का फोन-टेप सार्वजनिक कर दिया। अब थू-थू चल रही है, और मजा ले रहे हैं पुलिस के बड़े दारोगा यानी एसएसपी। बड़े दारोगा ने एक ओर तो यह कह दिया कि ऐसे पत्रकारों से पुलिसवाले दूर ही रहें, लेकिन वे खुद ही इन दलालों के साथ गलबहियां कर रहे हैं। दलाली में शमिल इन पत्रकार-कुल-कलंकों को बदनामी की फिक्र ही नहीं। वजह यह कि उनकी करीबी जिला पंचायत से सीधे चिपकी बतायी जाती है।
तो किस्सा-कोताह यह कि यहां के थाना बागवाला क्षेत्र के गाँव खेरिया में कई प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं। लेकिन इनमें से केवल एक ही ऐसा है जिसमें पढाई और अनुशासन काबिले-तारीफ है। लेकिन इसकी हालत पतली है, क्योंकि इसमें फीस के नाम पर लूट नहीं चलती। आर्थिक कमजोर होने के चलते इसमें टिन पड़ी हुई हैं। लेकिन इस दयनीय हालत के बावजूद इस स्कूल में बच्चों की खासी तादात है, वजह है वहां पढाई का उच्च स्तर।
बस यही बात है जो आसपास के दूसरे स्कूल संचालकों को खटक जाती है। एक दिन उस स्कूल के आसपास के कुछ स्कूल वालों ने मिलकर चंद शातिर दलाल पत्रकारों को इस स्कूल को बदनाम करने की सुपारी दे दी। इसके लिए इन दलालों को एक मोटी रकम भी एडवांस थमा दी गयी। बताते हैं कि यह रकम करीब दस हजार रूपयों के आसपास थी। साजिश के तहत इन पत्रकारों को इस स्कूल के खिलाफ एक रिपोर्ट शूट कर उसे स्थानीय चैनलों में चलवाना था। दी गयी सुपारी के मुताबिक साथ ही साथ यह पत्रकार एकजुट कर जिलाधिकारी विजय किरण आनंद के सामने जाते और उस स्कूल के खिलाफ इतनी साजिशें उगलते कि डीएम आजिज आकर उस स्कूल को बंद करा देता। फायदा यह होता कि इस स्कूल के सारे बच्चे वहां के आसपास संचालित स्कूलों में बंदर-बांट कर लेते।
तो मिली सुपारी के मुताबिक j&k 24 news और india crime channel के रिपोर्टर सचिन यादव को व न्यूज़ एक्सप्रेस के रिपोर्टर दीपक को वहां पर उस स्कूल की कमियां डीएम विजय किरण आनंद के सामने उजागर करवाने के लिए भेजा गया। जैसे पुलिस की एसटीएफ और एटीएस की कोई बड़ी टीम छापा मारती है, जैसे इनकम टैक्स की टोली छापा मारती है, जैसे मधुमक्खी-दल घेराबंद कर लेता है, जैसे बन-कूकुर यानी देसी कुत्तों का गिरोह अपने शिकार पर झपट पड़ता है, ठीक उसी शैली में यह पत्रकार भी उस स्कूल पर पहुंचे और दे दनादन, दे दनादन शूटिंग करने लगे। चपरासी से लेकर वहां मौजूद शिक्षक-शिक्षिकाओं को हड़काया, बच्चों से उल्टे-पुल्टे सवाल पूछे और मैनेजर को धमकाया। बोले:- रूक, अब तेरी की तो ऐसी बस होने ही वाली है। यह शूटिंग के फुटेज जैसे ही डीएम के पास पहुंचेंगे, वह कुर्सी पर उचक कर तेरे स्कूल की कब्र खोदने के लिए खुद ही फावड़ा-कुदाल निकाल लेगा। बुलडोजर चलवा देगा तेरे स्कूल में।
धमकी रंग चढ़ा गयी। हक्का-बक्का मैनेजर तो पहले शौचालय पहुंच कर निवृत्त करने भागा, फिर लौट कर रूंआसा चेहरा बना कर बोला कि बातचीत को यहीं पर सुलटा दो भाई साहब।
इन रिपोर्टरों ने भी मौका भांपा। रिपोर्टरों ने पूछा कि पांच हजार से कम बात नहीं होगी।
मैनेजर ने अपनी दयनीय हालत का खुलासा किया और कहा कि दो हजार रूपयों ही मिल पायेगा।
फ्री में आ रहे नोटों का अनादर करना शास्त्रों में शास्त्र-सम्मत मान कर इन रिपोर्टरों ने बात मान ली। तय हुआ कि यह रिपोर्टर महेश बुक डिपो पर पहुंचे। रकम वहीं मिल जाएगी। लेकिन वहां दो हजार के बजाय केवल डेढ़ हजार ही मिल पाया तो मैनेजर को फोन करके रिपोर्टरों ने उसकी ऐसी की तैसी करनी शुरू कर दी। इसी दलाली को लेकर दैनिक स्पार्कलिंग आईना के ब्यूरो नितेश यादव को भी भद्दी भद्दी गलियों से नवाजा गया। कुछ भी हो, इन सब बातचीत अब एटा और आसपास वायरल हो चुकी है।
उधर जरा एक नजर एटा के अफसरों और पत्रकारों की करतूतों पर भी देख लीजिए। दरअसल, इन बातचीतों की ऑडियो-फाइल्स कई वाट्सऐप ग्रुप्स पर वायरल हो गयीं, जिनमें से एक ग्रुप प्रो&प्रेस है, जिसका संचालन एटा के बड़े दारोगा यानी एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज करते हैं। मतलब उनके इशारे पर उनके पीआरओ। इस दलाली की शिकायत जब कुछ गंभीर पत्रकारों ने एसएसपी पंकज से की, तो पंकज ने कहा कि वे अपने सारे अधीनस्थ अधिकारियों को साफ निर्देश देने जा रहे हैं कि ऐसे दलालों से वे दूर ही रहें। लेकिन हैरत की बात है कि पंकज ने न तो ऐसा कोई निर्देश जारी किया और न ही अपने ग्रुप प्रो&प्रेस से उन दलालों की विदाई ही की। सूत्र बताते हैं कि इसके कारण जिला पंचायत से जुड़े हुए हैं।
(अपने आसपास पसरी-पसरती अराजकता, लूट, भ्रष्टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्या की साजिशें किसी भी शख्स के हृदय-मन-मस्तिष्क को विचलित कर सकती हैं। हर शख्स ऐसे हादसों पर बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।
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