जस्टिस कर्णन को पागल करार देने वाले जेठमलानी पर लगे दिल्‍ली खजाना लूटने के आरोप

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अपनी आवाज उठाने वाले को पागल करार दिया मौत की फ्लाइट पकड़ने की प्रतीक्षा में प्रख्‍यात वकील जेठमलानी ने  ने थमाया पौने चार करोड़ का बिल : दावा करते रहे हैं जेठमलानी कि वे पिछडों के प्रति समर्पित हैं : जेठमलानी ने केजरीवाल को गरीब बताया, जबकि उसी गरीब के सरकारी खजाने से साढ़े तीन करोड़ की उगाही :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जस्टिस कर्णन, अब आपके पास अपने बचाव में खुद को पागल बताने का ही विकल्प बचा है : राम जेठमलानी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘गरीब’ समझकर उनका मुकदमा लड़ेंगे : राम जेठमलानी

जेठमलानी ने केजरीवाल के मुकदमे की पैरवी के लिए दिया पौने चार करोड़ का बिल : राम जेठमलानी

मैं पूरी जिंदगी पिछड़े वर्ग और उनके अधिकारों के लिए चिंतित रहा हूं: राम जेठमलानी : राम जेठमलानी

इन पंच-लाइनों से ही आपको साफ पता चल जाएगा कि राम जेठमलानी जैसे देश के विख्‍यात वकील के चरित्र में कितने अन्‍तर्विरोधों की गंध-दुर्गन्‍ध मची हुई है। पिछले करीब पांच बरसों से अपने लगभग सारे मुकदमे हारते जा रहे जेठमलानी ने अब जो अपना दांव-पेंच चलाना शुरू कर दिया है, उसे आम आदमी की नजर में केवल अपना नाम उछालने की प्रक्रिया ही माना जा रहा है। लखनऊ के एक वकील की नजर में जस्टिस कर्णन को पागल करार देने वाले राम जेठमलानी के बयान को जिस तरह पेश किया है, वह दुर्भाग्‍यपूर्ण ही कहा जाएगा। लेकिन दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गरीब करार देकर उसका मामला फ्री-फण्‍ड में लड़ने के ऐलान से जेठमलानी ने शुरूआत में तो अपनी छवि सुधारने की कोशिश की, लेकिन इसी आड़ में उन्‍होंने जिस तरह अपने मुकदमों के लिए तीन करोड़ और 86 लाख रूपयों का भारी-भरकम दिल्‍ली सरकार को थमा दिया, उसने राम जेठमलानी की नीयति और उनके दांव-पेंचों का खुलासा हो जाता है।

आपको बता दें कि अभी पिछले ही हफ्ते जेठमलानी ने कलकत्‍ता हाईकोर्ट के जस्टिस एसपी कर्णन को पागल करार देने की हालत तक पहुंचा देने का ऐलान किया था। लेकिन इसके कुछ दिन ही बाद राम जेठमलानी ने कहा है कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘गरीब’ समझकर उनका मुकदमा लड़ेंगे. उनकी यह प्रतिक्रिया उस विवाद के मद्देनजर आई, जिसमें सामने आया था कि जेठमलानी ने केजरीवाल के मुकदमे की पैरवी करने के एवज में 3.86 करोड़ रुपए का बिल भेजा है.

जेठमलानी ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘मैं सिर्फ अमीरों से ही फीस लेता हूं. गरीबों के लिए मुफ्त में काम करता हूं. वह (केजरीवाल) अगर मेरी फीस नहीं दे सकते, तो उनका मुकदमा मुफ्त में लड़ूंगा. लेकिन उनकी पैरवी जरूर करूंगा.’ उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाया कि यह विवाद उन्हीं का खड़ा किया हुआ है. वे इस मामले में उनके द्वारा की गई जिरह से डर गए हैं.

दरअसल, जेटली ने केजरीवाल पर मानहानि का मामला दायर कर रखा है. जेठमलानी इसी मामले में केजरीवाल के वकील हैं. यह मामला 2015 में दायर किया गया था. उस वक्त केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि डीडीसीए (दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन) में जब जेटली अध्यक्ष थे, उस दौरान इस संस्था में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ. जेटली ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया और केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के साथ 10 करोड़ रुपए हर्जाने का मुकदमा भी कर दिया. जेटली साल 2000 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष थे.

आपको बता दें कि तीन दिन पहले ही जस्टिस कर्णन सर्वोच्च न्यायालय में पेश हो ही गए. इससे पहले उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के जजों के खिलाफ भेदभाव के आरोप लगाए थे और वहां पेश होने से इनकार कर दिया था. ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय को उनके खिलाफ वारंट जारी करना पड़ा था.सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस कर्णन के मामले की सुनवाई सात जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने अब उन्हें चार हफ़्तों के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है. जस्टिस कर्णन ने कुछ समय पहले प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कई उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के जजों पर भ्रष्टाचार और जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए थे.

उनके ऐसे व्यवहार के चलते मशहूर वकील राम जेठमलानी ने उन्हें यह खुला ख़त कुछ दिनों पहले लिखा था. इस पत्र की खास बात यह है कि इसमें जेठमलानी ने जस्टिस कर्णन को पागलों जैसा बर्ताव करने वाला कहा था और यह भी कि अब उनके पास अपने बचाव में खुद को मानसिक रूप से असंतुलित व्यक्ति बताने के अलावा और कोई तर्क नहीं बचता है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के दौरान जस्टिस कर्णन ने भी कुछ-कुछ इसी तरह के तर्क अदालत के सामने रखे. उनका कहना था – ‘मैंने जजों के खिलाफ जो शिकायत की वह कानून के दायरे में है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मेरा काम छीन लिया, इससे मेरा मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है.’

प्रिय जस्टिस कर्णन,

मैं न तो आपसे कभी मिला हूं न ही मैंने आपके बारे में पहले कभी सुना है. लेकिन आज आपने खुद को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चर्चित बना लिया है.

मुझे आपको बताते हुए अफ़सोस हो रहा है कि मैं आश्वस्त हो चुका हूं कि आप अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं. आपका व्यवहार बिलकुल पागलों जैसा है और भविष्य में शायद आपके पास अपने बचाव में यही एकमात्र तर्क भी बचे, हालांकि इस तर्क से भी आपके बचाव की उम्मीद कम ही है.

बार का एक वरिष्ठ सदस्य होने नाते और भगवान के घर जाने वाली फ्लाइट के इंतज़ार में बैठे हुए मैं आपको सुझाव दे रहा हूं कि आप अपने कहे एक-एक शब्द को वापस लें और जो बेवकूफी भरे काम आपने किये हैं, उनके लिए विनम्रता से माफ़ी की प्राथना करें.

यदि आपको अपने पागलपन के स्तर का अंदाजा नहीं है तो आप मुझसे मिलें, मैं आपके दिमाग में कुछ सद्बुद्धि डाल सकता हूं.

भ्रष्टाचार के वर्चस्व वाले इस देश में न्यायपालिका ही एकमात्र आश्रय है. उसे भी बर्बाद या कमज़ोर न करें.

एक वकील के तौर पर मैंने अपनी पूरी जिंदगी पिछड़े वर्ग के लिए काम किया है और मैं उनके अधिकारों के लिए चिंतित हूं. लेकिन आप उनके हितों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते दिख रहे हैं. कृपया एक ऐसे बुजुर्ग की नेक सलाह पर ध्यान दें जिसका पिछड़े वर्ग समेत इस राष्ट्र की सेवा के अलावा और कोई व्यक्तिगत हित नहीं है.

(अपने आसपास पसरी-पसरती अराजकता, लूट, भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। हर शख्‍स ऐसे हादसों पर बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

अब आप नि:श्चिंत हो जाइये। आइंदा के लिए आप अपनी सारी बातें हम www.meribitiya.com पर आपको सीधे हमारे पास और हम तक पहुंचाने का रास्‍ता बताये देते हैं। आपको जो भी अगर ऐसी कोई घटना, हादसा, साजिश की भनक मिले, तो आप सीधे हमसे सम्‍पर्क कीजिए। आप नहीं चाहेंगे, तो हम आपकी पहचान छिपा लेंगे, और आपका नाम-पता किसी को भी नहीं बतायेंगे।

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