पांच साल तक खर्राटे लिया, जोगी-स्‍वर से याद आया आइजी-डीआइजी होने का फर्ज

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: पहले तक एसी कमरों में बैठ फेसबुक-ह्वाट्सएप पर सेल्फी-सेल्‍फी खेलते रहे अधिकांश टोपी-क्रेट : निज़ाम बदला तो कर्तव्य याद आते ही घिग्‍घी बंध गयी : अब डण्‍डा-पिस्‍तौल छोड़ कर  कोई झाड़ू लेकर जुट गया तो कोई थानों के औचक निरीक्षण करने : कई अफसर तो संघियों के घर तोहफे-डॉली की रेस में जुटे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : गज़ब हाल है प्रदेश की नौकरशाही का। निज़ाम के बदलते ही एसा रंग बदलते हैं की देखने वाला दंग रह जाये। हाल तो ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री खुद ये देखकर हैरान हैं कि प्रदेश के अफसर कुर्सी तोड़ने के अलावा भी कुछ़ काम कर सकते हैं। इन अफसरों की लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं जो बीती अखिलेश सरकार के खासमखास माने जाते थे। उनका असल काम खुल्लमखुल्‍ला खेल-फरुखाबादी मशहूर हो चुका था। एक इशारे पर जो अफसर भाजपा कार्यकर्ताओं की मार लाठी कमर तोड़ने तो तत्‍पर और उतावले हुआ करते थे। आज वही अफसर भाजपा और संघ के छुटभैय्ये नेताओं के घर मिठाई लेकर हालचाल पूछ़ने जा रहे हैं।

इस नौटंकी में सबसे आगे कुछ आइजी-डीआइजी स्तर के अधिकारी। एक आइजी साहब जो कभी नोइडा के कप्तान भी रह चुके हैं और वर्तमान में एक महत्वपूर्ण ज़ोन के आइजी हैं। उन्होंने तो हद ही कर दी थी। कल तक वो अपने एसी कमरे में बैठकर ट्वीटर पर आदेश दिया करके अपने दायित्‍वों की इतिश्री समझते थे। लेकिन अचानक योगी सरकार के आते ही उनको ये ज्ञान प्राप्त हो गया कि उनका काम एसी कमरे में बैठना नहीं,  बल्कि अपने अधीन हर जिले के एसएसपी कार्यालय व पुलिस थानों का निरीक्षण करना है।

जैसे ही योगी ने शपथ ली, यह साहब निकल पड़े पूरे लाव-लश्कर के साथ औचक निरीक्षण करने। जिन जिलों का उन्होंने आजतक मुंह भी नही देखा था, उन जिलों में भी  जाकर फाइलों पर बरसों से जमी धूल साफ करवा रहे हैं। ऐसे ही एक कलेक्टर भी हैं। कल तक मौका मिलते ही फरियादियों को लतिया-गरिया कर अपने कमरे से भगा दिया करते थे। पर जब से सरकार बदली ये साहब हर आने-जाने वाले को पानी के साथ-साथ चाय भी पिलवा रहे हैं।

बहराइच की जागीर को अपना राजसी निजाम माने रहे अभय कुमार की याद आपको हमेशा याद ही रहेगी, जिन्‍होंने अपने बंगले में तैनात होमगार्ड के पांच सिपाहियों को मोटा लट्ठ लेकर जमकर धुन दिया था। इस पिटाई की कार्रवाई करीब तीन घंटों तक चली। इसके बाद इन सभी पांच होमगार्ड पर आपराधिक धाराओं पर मुकदमा दर्ज करा कर उनकी गिरफ्तारी की कवायद शुरू कर दी गयी थी, लेकिन चूंकि इस मामले ने तूल पकड़ लिया और लोग हड़ताल में चले गये। यह तक हो गया कि एक डेलीगेशन मुख्‍यमंत्री के घर पहुंच कर अभय कुमार की काली-सफेद करतूतों का खुलासा कर उन पर कार्रवाई की मांग करेगा। इसलिए इस डीएम के हाथपांव फूल गये।  आनन-फानन कमिश्‍नर की सलाह लेकर अभय ने बाकायदा लिखित माफी मांगी और दर्ज हो चुके मुकदमे खत्‍म करने का वायदा कर लिया।

उधर जौनपुर के जुल्‍फी प्रशासन के डीएम चंद्रभानु गोस्‍वामी के हाथ भी कानून की हत्‍या में खून से सने थे, जहां एक साल पहले एक नाबालिग बच्‍ची के साथ सामूहिक दुराचार का मामला का वहां के डीएम ने न केवल दबा दिया, बल्कि उस बच्‍ची का मामला दर्ज करने के बजाय उसे पागलखाने भिजवाने की साजिशें बुन डालीं। लखीमपुर खीरी में मेकअप गर्ल के नाम से प्रख्‍यात किंजल सिंह ने  दुधवा संरक्षण वन क्षेत्र में जो-जो करतूतें कीं, वह बेमिसाल हैं और वन विभाग के इतिहास में उनकी करतूतें बेहद भद्दी और कालिख की तरह पोती जा चुकी हैं। खुद को एनकाउंटर एक्‍सपर्ट के तौर पर अति-ख्‍याति दिला चुके नवनीत सिकेरा जैसे लोगों की करतूतों ने भी सरकारी सारी योजनाओं पर कुछ इतना कालिख पु‍तवा दी कि महिला सहायता 1090 की योजना को अब योगी-सरकार ने एण्‍टी रोमियो स्‍वाक्‍वाड में तब्‍दील कर दिया। वजह यह कि इस 1090 चौराहे पर बेहद शर्मनाक करतूतें हुआ करती थीं, लेकिन उन पर कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की गयी।

अगर योगी सरकार के आने से अफसरों की कार्यशैली में सचमुच बदलाव हुआ है तो ये तारीफ की बात है। परंतु  नयी सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इनमें से बहुत से ऐसे अफसर हैं जो सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को वाले स्टाइल में काम कर रहे हैं। सरकार को चाहिये कि ऐसे अफसरों के झासे में ना आयें  एवं जल्द से जल्द एसे लोगों से किनारा कर के उनके खिलाफ जांच बैठायें। क्यूंकि प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि यादव सिंह जैसे लोग मरते नहीं, बल्कि हर रोज़ पैदा होते हैं।

(अपने आसपास पसरी-पसरती अराजकता, लूट, भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। हर शख्‍स ऐसे हादसों पर बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

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