एक साजिश ही थी सरकारी अस्‍पताल में डॉक्‍टर की पिटाई

बिटिया खबर
: मेडिकल-एथिक्‍स के तहत एक इम्‍पलाइड-कंसेंट यानी प्राथमिक सहमति पर उस मरीज ने दे दी थी : जांच के समय डॉक्‍टर हमेशा दस्‍ताने पहन लेते हैं, जीभ लगाने का आरोप तो सरासर बेबुनियाद : खबर की हत्‍या-तीन :

कुमार सौवीर
लखनऊ : अब जरा सुन लीजिए, कि जौनपुर के जिला महिला अस्‍पताल में क्‍या-क्‍या और कैसे-कैसे घटनाक्रम हुए।
1- महिला अस्‍पताल में मरीजों को देखने यानी ओपीडी के लिए एक-से-एक सटे कई केबिन हैं। यह सारे केबिन यहां के एक बड़े गलियारे में कुछ इस तरह तैयार किये गये हैं, जिससे सभी केबिनों की बीच की सारी दीवारें एक दूसरे से अधिकतम छह फीट ऊंची ही हैं। यानी हर केबिन दूसरे से हवा के आने-जाने के लिए व्‍यवस्थित हैं। इतना ही नहीं, परस्‍पर हल्‍की आवाज में हुई बातचीत भी एक से दूसरे आसानी से की जा सकती है। ऐसी हालत में अगर किसी भी तेज आवाज हो, तो सारे ओपीडी के कमरे गूंज जाएंगे। लेकिन डॉ उपाध्‍याय ने जिस महिला का चेकअप कर उसको दवा लगायी, उसके तेज प्रतिरोध का कोई भी तेज स्‍वर-आवाज बाकी केबिनों तो दूर, उस केबिन तक में नहीं हुई। लेकिन जब वह महिला चेकअप बेड से उतर कर बाहर चली गयी, उसके करीब 15 मिनट बाद ही यह हंगामा शुरू हुआ।
2- जिस केबिन में यह घटना हुई बतायी जाती है, उस केबिन में कई महिला मरीज मौजूद थीं, जो अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं। इतना ही नहीं, फार्मासिस्‍ट की पढाई कर रही दो महिला प्रशिक्षु उस कमरे में मौजूद थीं, जो डॉ उपाध्‍याय की मदद में मौजूद थीं, अपनी पढ़ाई की सीखने की प्रक्रिया में। इस पूरे दौरान बाकी मरीज और वह प्रशिक्षु फार्मासिस्‍ट भी डॉक्‍टर के साथ ही उपरोक्‍त महिला मरीज की बातचीत को गौर से सुन रही थीं। वहां वक्‍त मौजूद एक महिला मरीज ने बताया कि डॉक्‍टर साहब ने उस मरीज को बताया था कि उसकी दिक्‍कत को फिजिकली जांचना जरूरी है, और इसके लिए उसे केबिन में ही लगे पर्दे की आड़ वाले हिस्‍से में जाने को कहा। बताते हैं कि इसके लिए वह महिला खुद ही उठ कर उस आड़ वाले हिस्‍से के पीछे स्‍ट्रेचर-बेड पर चली गयी थी। एक वरिष्‍ठ चर्मरोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस चरण के दौरान मेडिकल-एथिक्‍स के तहत एक इम्‍पलाइड-कंसेंट यानी प्राथमिक सहमति पर उस मरीज ने दे दी थी।

इस समाचार की अगली कडि़यों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- 
खबर की हत्‍या

3- सरकारी महिला अस्‍पताल की एक महिला डॉक्‍टर ने दोलत्‍ती रिपोर्टर को उस ओपीडी केबिन का नक्‍शा समझाया है। इस नक्‍शे को समझ कर आपको उस पूरी घटना को सुलझाने में खासी मदद मिल जाएगी। इस डॉक्‍टर ने बताया कि यह केबिन आठ फीट चौड़ा और दस फीट लम्‍बा है। इसमें डेढ़ चौड़ा और छह फीट लम्‍बा इग्‍जामिनेशन इलाका है, जिसमें जो पर्दा लगा है वह साढ़े साढ़े तीन फीट यानी केवल इतना ही है, जिसमें केवल किसी भी मरीज के सिर और पैर अनिवार्य रूप से खुले हों, लेकिन बाकी हिस्‍सा छिपा ही रहे। ताकि उस केबिन में मौजूद बाकी मरीज या अन्‍य लोगों को मरीज की गोपनीयता बनी रहे।
4- उस पर्दा के पीछे केवल डेढ़ फीट की चौड़ाई भर का ही स्‍थान होता है, ऐसे में वहां अगर कोई अन्‍यथा गतिविधि हो जाए तो उसका स्‍पष्‍ट पता केबिन में मौजूद किसी भी मरीज या अन्‍य व्‍यक्ति को पता चल जाएगा।
5- अस्‍पताल में कार्यरत एक डॉक्‍टर ने बताया कि इस पूरे दौरान किसी भी तरह का विवाद, शोर, हंगामा आदि नहीं सुना गया। इसकी तस्‍दीक वहां मौजूद अन्‍य मरीजों और ट्रेनी महिला फार्मासिस्‍ट ने भी की है। लेकिन उस महिला के जाने के करीब 15 मिनट बाद यह मारपीट शुरू हो गयी।
6- यह सच है कि ल्‍यूकोरिया एक बहुत गम्‍भीर रोग नहीं है। लेकिन यह घृणास्‍पद जरूर है। यह गन्‍दगी और खास कर छूत यानी संक्रमण से फैलता है। संक्रमण के दौरान जननांग में खुजली होती है। इसमें जननांग से सफेद और गाढ़ा पानी निकलता है, जो बदबूदार होता है। ऐसी हालत में उसकी जांच के समय डॉक्‍टर हमेशा दस्‍ताने पहन लेते हैं। ऐसी हालत में यह आरोप लगाना कि डॉक्‍टर उपाध्‍याय ने उसके जननांग पर जीभ लगायी थी, कल्‍पनाओं से भी परे है।

( तो आइये, हम आपको दिखाते हैं कि खबर को किस तरह खेल का खेल बनाये हैं हमारे संपादक और पत्रकार। दोलत्‍ती डॉट कॉम इस मामले की गहरी छानबीन कर आपके सामने उन तथ्‍यों का साक्षात्‍कार कराना चाहता है, जो इन अखबारों ने छिपा दीं, या उन्‍हें कूड़ेदान में फेंक डाला। दोलत्‍ती का यह प्रयास श्रंखलाबद्ध है, आप चाहें तो अपने आसपास के इलाकों में पत्रकारों की ऐसी करतूतों का खुलासा कर कर सकते हैं। हमसे आप हमारे फोन 8840991189 अथवा 9415302520 पर बेहिचक सम्‍पर्क कर सकते हैं। आप चाहेंगे, तो हम आपका नाम गुप्‍त ही रखेंगे। सम्‍पादक: दोलत्‍ती डॉट कॉम )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *