दूसरों की तकलीफ़ में आनंद व मज़ाक़ उड़ाने वाले हमारे नेता

बिटिया खबर

: उन की हालत तो देखिये, जिनका सबसे बडा सपना अचानक छीन लिया गया : पहले मुख्यमंत्री, गृहमंत्री से क़ानून का सम्मान करने को कहिए फिर नौजवानों से मुख़ातिब होइये, तब वे सुन लेंगे : बूढे मंत्रियों से न्‍यायसम्‍मत आचरण की अपेक्षा नहीं, पर 20 बरस के लड़के से सारी उम्‍मीदें :

राजेंद्र धोड़पकर

नई दिल्‍ली : नौजवानों की समस्या यह है कि हिंसा हो या फिर अहिंसा, सब उन्हीं को करना है। अब उनके मातहत कोई पुलिस , डीएम ,एसपी नहीं हैं जो उनके आदेश पर लोगो को पीट पीटकर उनके हाथ पैर तोड़ दें या बुलडोज़र से उनके घर तुडवा दे, जो कि निहायत ग़ैरक़ानूनी, असंवैधानिक और अमानवीय कर्म हैं ।
हम मज़ेदार लोग हैं। हम पचास या साठ साल के मुख्यमंत्री या गृहमंत्री से तो संतुलित, संवैधानिक और न्यायसम्मत आचरण की अपेक्षा नहीं करते लेकिन अठारह उन्नीस साल के लड़कों से यह अपेक्षा करते हैं ।
सत्ता में उम्रदार, ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोग संयत और संवेदनशील आचरण का उदाहरण पेश करें फिर नौजवानों से उसका अनुसरण करने की उम्मीद करें। जब मंत्री लिंचिंग और निर्मम हत्या के आरोपियों को माला पहनाएँ, सत्तारूढ़ नेता गोडसे की जयजयकार करें तो नौजवानों से गांधीवादी तरीक़े से विरोध करने की बात पाखंड नहीं तो क्या है ?
पहले मुख्यमंत्री, गृहमंत्री से क़ानून का सम्मान करने को कहिेए फिर नौजवानों से मुख़ातिब होइये ,तब वे सुन लेंगे ।
नौजवानों को हिंसा न करने का उपदेश देना आसान है लेकिन कभी उस अठारह उन्नीस या बीस साल के निम्न मध्यमवर्गीय नौजवान के नज़रिये से देखिए जिससे उसका सबसे बडा सपना अचानक छीन लिया गया हो । बहुत सारे छोटे किसानों और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना पालने लगते हैं। कई सारे गाँवों में तो यह लगभग परंपरा की तरह होता है । वह उन नौजवानों के लिए बेहतर जिंदगी का सपना होता है । इस सपने के टूटने का अर्थ खाते पीते , समृद्ध लोग नहीं समझ सकते । लेकिन अब पिछले कुछ सालों में ग़रीबों, मज़दूर , किसानों के प्रति क्रूरता और संवेदनहीनता महामारी के स्तर पर पहुंच गई है । हम ऐसा परपीडक समाज बना रहे हैं जहां पुलिस के या भीड़ के हाथों किसी की निर्मम पिटाई या हत्या का वीडियो देखकर लोग ख़ुश होते हैं। दूसरों की तकलीफ़ हमें दुख नहीं देती बल्कि आनंद की है और दूसरों के दुख का मज़ाक़ बना कर हँसने वाले ( बेटी की शादी है और घर में पैसे नहीं हैं हा हा हा ) तानाशाह हमारे नेता हैं ।

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