राजनीति के शिकार 10 बड़े ईमानदार अधिकारियों की कहानी
नई दिल्ली : नोएडा की आईपीएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल ने रेत माफ़िया के खिलाफ कार्रवाई कर अपना फर्ज निभाने की कोशिश की लेकिन उत्तर प्रदेश के नेताओं को शायद यह नागवार गुजरा तभी तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि इसके पहले भी समाज में भ्रष्टानचार के खिलाफ अपनी जिजीविषा का खामियाजा कई आईएएस अफसरो को भुगतना पड़ा है, लेकिन दुर्गा शक्ति नागपाल यह पहला उदाहरण है जब किसी महिला आईएएस ने समाज और खासकर राजनीतिक भ्रष्टा,चार पर आवाज उठायी और उसे फैसलाकुन मुकाम तक पहुंचा दिया।
लेकिन दुर्गा शक्ति नागपाल ही अकेली ऐसी अधिकारी नहीं हैं जिन्हें अपनी ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ी बल्कि देश के कई जांबाज अफसरों को अपनी ईमानदारी का खमियाजा भुगतना पड़ा है, कइयों की तो जान भी जा चुकी है. आइए जानते हैं इन ईमानदार अफसरों की कहानी….
1. जी आर खैरनार: इन्होंने बीएमसी में क्लर्क से लेकर डिप्यूटी कमिश्नर बनने तक का सफर तय किया. ईमानदार होने की वजह से विभागीय अधिकारियों द्वारा गंभीर आरोप लगाकर सस्पेंड कर दिया गया लेकिन न्यायालय से खैरनार को क्लीन चिट मिल गई.
2. नारायण स्वामी: 1991 बैच के टापर रहे नारायण स्वामी केरला के इडुकी जिले के कलेक्टर के रुप में पदस्थ हुए, इन्होंने उस समय के पब्लिक वर्क मिनिस्टर टी.यू. कुरुविला के परिवार द्वारा की गई अवैध जमीन की डील का खुलासा किया था, लेकिन वर्तमान में स्वामी पर रियारमेंट लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
3. राहुल शर्मा: गुजरात के इस ईमानदार आईपीएस अफसर को डीसीपी के पद पर नियुक्त कर दिया गया क्योंकि 2002 में हुए गोधरा दंगों की जांच कर रही नानावटी आयोग की इन्होंने मदद की. इन्होंने भाजपा नेताओं और वीएचपी कार्यकर्ताओं के फोन काल्स रिकार्ड कर सबूत जुटाए थे. राहुल शर्मा का 20 वर्षों में 12 बार ट्रांसफर किया जा चुका है.
4. मनोज नाथ: 1973 बैच के आईपीएस मनोज नाथ ने बिहार के प्रसिद्ध शिखा गुप्ता केस में हुई शिक्षा के क्षेत्र में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. 39 वर्षों के कार्यकाल में मनोज नाथ का 40 बार स्थानांनतरण किया गया.
5. अशोक खेमखा: देश में काफी सुर्खियां बटोरने वाली राबर्ट वाडरा और डीएलएफ के बीच हुई जमीनों की डील का खुलासा कर जांच के आदेश देने वाले खेमका का तुरंत स्थानांनतरण करवा दिया गया.अशोक खेमखा के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ बल्कि 20 साल की सेवा के दौरान इनका 40 बार ट्रांसफर हो चुका है.
6. शनमुंगम मंजुनाथ: इंडियन आयल कार्पोरेशन में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर रहते हुए मंजूनाथ ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक अवैध पेट्रोल स्टेशन को सील करवा दिया था जिसकी वजह से वर्ष 2005 में उनकी हत्या करवा दी गई.
7. सत्येन्द्र दुबे: हाइवे अथारिटी आफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए सत्येन्द्र दुबे ने जीक्यू हाइवे कन्सट्रक्शन प्रोजेक्ट में हुई अनियमितता को उजागर कर कार्रवाई की जिसकी वजह से रोड कान्ट्रक्ट माफिया द्वारा 27 नवम्बर 2003 में बिहार के गया में उनकी हत्या उस वक्त करवा दी गई जब वे वाराणसी से एक शादी समारोह से लौट रहे थे.
8. एसपी महन्तेश: कर्नाटक के कार्पोरेटिव आडिट डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्य करते हुए एसपी महन्तेश ने बीईएमएल कर्मचारी को:आपरेटिव सोसायटी में जमीन आबंटन में हुई धांधली का खुलासा किया. इसके बाद उन पर तीन बार जानलेवा हमले किए गए लेकिन वे बचते रहे. 16 मई 2012 को अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला किया और कुछ दिनों बाल अस्पताल में ही एसपी महन्तेश की मौत हो गई.
9. नरेन्द्र कुमार: मध्य प्रदेश के 2009 बैच के आईपीएस आफिसर नरेन्द्र कुमार की हत्या सितम्बर 2012 में मुरैना जिले में उस वक्त कर दी गई थी जब वे माईनिंग माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे. आईपीएस नरेन्द्र कुमार की हत्या ट्रैक्टर से कुचल कर की गई थी.
10. पंकज चौधरी: राजस्थान के पाखरण से कांग्रेस के विधायक सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर के अपराध की फाइल खोलने पर कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने एसपी पंकज चौधरी का तबादला कर दिया.
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