जूरी की मस्जिद में आज तक एक भी नमाजी नहीं पहुंचा

बिटिया खबर

हराम तरीकों से तामीर इमारत में इबादत नामुमकिन

: दुर्गा नागपाल के मामले में दो-टूक राय रखते हैं पढ़े-लिखे मुसलमान : इस्लामी विद्वानों की नजर में ऐसी इमारतों को मस्जिद कहना गलत : जिस इमारत विवादित हो गयी तो वहां नमाज पढ़ना हराम :

कुमार सौवीर

पूर्वांचल में एक पिछड़ा जिला है संत कबीर नगर। आमतौर पर खलीलाबाद के नाम से पहचाने जाने वाले इस जिले को बस्ती जिले से काट कर बनाया गया था। ठीक उसी तरह जैसे सिद्धार्थनगर बनाया गया। लेकिन चाहें इस बस्ती जिले को कितने भी टुकड़े किये जाएंगे, मगर यहां की रवायतें-परम्पराएं जस की तस ही रहेंगी। खासकर साफ-सफाई को लेकर। चाहे वह सामाजिक गंदगी हो, या फिर नैतिक गंदगी पर।

तो चलिए हम आपको ले चलते हैं यहां के मेंहदावल तहसील के जूरी गांव में। यहां एक मस्जिद है। करीब 70-80 साल पहले की बनी है यह मस्जिद। लेकिन हैरत की बात है कि इसके निर्माण से लेकर आज तक एक भी शख्स यहां नमाज अता करने नहीं पहुंचा। वजह है, इस इमारत का इतिहास। खलीलाबाद के रहने वाले और लखनऊ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद असलम खान इसके कारणों पर प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि यह इमारत एक वेश्या ने बनवाया था। वे बताते हैं कि अपने दौर की एक मशहूर रक्कासा यानी वेश्या थी वह महिला। उसने अपना ईमान और बदन बेच-बेच कर बेशुमार दौलत कमाई थी। आसपास के इलाके ही नहीं, दूर-दूर तक के जिलों और बिहार के भी दूरस्थ इलाकों में भी इस वेश्या के हुस्न का डंका बजता था।

लेकिन कहते हैं ना कि हर चीज का वक्तर होता है और वह कभी पूरा भी होता है। और जब वह पूरा होता है तो उसकी भौतिक संपदा भी पूरी तरह चुकने-खत्म होने लगती है। सो, इस वेश्या के साथ भी यही हुआ। शरीर ढलने लगा तो उसे अपनी जिंदगी निस्सार यानी बेकार-निरर्थक लगने लगी। उसे लगा कि अगर वह अपनी पूरी दौलत को धर्म के नाम दान कर दे, तो उसका कल्याण हो सकता है। और इसके ही साथ उसका इहलोक के बाद परलोक भी सफल हो जाएगा। चूंकि यह वेश्या मूलत: मुसलमान थी, इसलिए उसने अपनी पूरी दौलत इस्लाम को समर्पित करने का फैसला किया। उसने तय किया वह अपनी पूरी दौलत से वह एक बेमिसाल मस्जिद बनवाये जहां सारी सुविधाओं के साथ मुसलमानों को नमाज पढ़ने की सहूलियतें रहें। बताते हैं कि पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ इस वेश्या ने अपनी पूरी दौलत इस मस्जिद को बनवाने में खर्च कर दी। इस बात का भी पूरा का ध्यान रखा कि मस्जिद में किसी भी तरह की दिक्कत नमाजियों को न हो सके। लेकिन मस्जिद बन जाने के बाद उसे बेहद आश्‍चर्य और निराशा हुई कि इस मस्जिद में एक भी नमाजी, लाख बुलाने के बावजूद नहीं पहुंचा। असलम खान बताते हैं कि तब से आज तक यह मस्जिद उसी तरह उजाड़ है। कारण यह कि इस इमारत को बनवाने में जो पैसा लगाया हुआ है, वह उन नमाजियों के मुताबिक, हराम ही था।

तो यह बात रही जूरी गांव वाली मस्जिद की। अब आइये देखा जाए नोएडा वाली मस्जिद को। अब तक यह तो तय ही हो गया है कि जिस मस्जिद की दीवार का झगड़ा हो रहा है, वह अवैध है और उसके चलते गांववालों को आने-जाने में खासी दुश्वाखरियां हो रही थीं। दूसरी बात यह कि चूंकि यह इमारत अवैध है, इसलिए वहां नमाज पढ़ाने-पढ़ने को भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इतना ही नहीं, सवाल तो इसके निर्माण के तौर-तरीकों को लेकर भी है।

पूर्वांचल के प्रमुख मदरसों में से प्रमुख और जौनपुर के गुरैनी मदरसा के नायब सदर अबू बकर का कहना है कि जकात, खैरात और सदका जैसे की रकम के इस्तेमाल से किसी मस्जिद का निर्माण नहीं हो सकता है। वे कहते हैं कि अगर यह इमारत विवादित और अवैध है, तो वहां नमाज भी नहीं पढ़ा जा सकता है। विधि-वेत्ता मोहम्महद असलम खान का साफ कहना है कि नोएडा की जिस इमारत को मस्जिद बताया जा रहा है, वह अवैध है। जिसका निर्माण ही जब हराम तरीकों से हुआ है तो वहां इस्ला्मी कार्रवाइयों गैर-इस्लामी मानी जाएंगी। असलम खान कहते हैं कि ऐसी हालत में दुर्गा नागपाल का निलंबन भी पूरी तरह संदिग्ध और साफ-साफ बेइंसाफी तो है ही, साथ ही मुसलमानों को भड़काने की साजिश भी है।

यूपी की आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल से जुड़ी खबरों के लिए कृपया क्लिक करें: – दुर्गा शक्ति नागपाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *