यह है दुर्गा नागपाल की हिस्ट्रीशीट, कोई और आरोप ?

बिटिया खबर

कुकर्म करें आप, नाम लगायें मीडिया पर

: अब तक पुलिसिया ही है दारोगा रहे अहमद हसन की भाषा : बेदाग रहा है दुर्गा और उसके खानदान का इतिहास : दो दारोगों का झगड़ा कहीं किसी पुरानी अदावत का नतीजा तो नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आपको अगर यह पता नहीं हो, तो हम बताये देते हैं कि प्रदेश में चिकित्सा विभाग के मंत्री अहमद हसन राजनीति में आने से पहले पुलिस में दारोगा थे। इसीलिए शायद उनकी बोली-भाषा भी आज तक पुलिसिया दारोगानुमा ही है। आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति के निलंबन की आग में प्रदेश सरकार जब बुरी तरह झुलसने लगी तो उन्हों ने दमकल-चिकित्सा-न्यांय-वर्षा करने के बजाय, सीधे मीडिया और नौकरशाही पर ही अंगारे फेंकने शुरू कर दिया। बोले:- इस पूरे मामले में बेवजह तूल दे रहा है मीडिया और निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा के समर्थन में खड़े दिख रहे अधिकारी और मीडियाकर्मी स्वयं अपनी विश्वसनीयता को क्षति पहुंचा रहे हैं।’ नतीजा, इस पूरी कवायद में सरकार और उनके कारिंदों के हाथ बुरी तरह झुलसते जा रहे हैं।

आखिर कैसे फूल गया गुब्बारा

खैर, यह तो अहमद हसन का बयान है, इसलिए उनके इस बयान पर कोई भी नहीं चौंका। कारण यह कि अहमद हसन की छवि उस तरह के गुब्बारे की तरह है जो यथास्थान ही रहता है, कभी पैकेट में तो कभी आलमारी के किसी कोने-कुतरे में। आप ऐसे गुब्बाहरे को कभी दरवाजे के बाहर भी देख सकते हैं, या फिर कहीं कूड़े-करकट में भी। अपनी स्थिति से इस गुब्बारे को कभी कोई हैरत, द्वेष, राग, विरोध, हर्ष आदि नहीं होता। लेकिन तब हैरत जरूर हो गयी जब यह गुब्बारा अचानक बुरी तरह फूल गया।

हैरतनाक मंजर देख रहे लोग यह तो समझ रहे थे कि सपा के नामचीन दिग्गाज लोगों ने इस गुब्बारे में तरीके से हवा भर डाली है, लेकिन कम ही लोगों को पता चला था कि दरअसल यह दो दारोगाओं के झगड़े का हश्र है। अहमद भी दारोगा रह चुके हैं और दुर्गा नागपाल के श्वसुर कृपाशंकर सिंह भी दारोगा रह चुके हैं। हां, सिंह इस नौकरी में काफी जूनियर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि अहमद हसन ने राजनीति में आने के बाद से पुलिस की ओर कभी तक ताक-झांक नहीं की। हमेशा दूसरे विभागों को पकड़ा, खासतौर चिकित्सा विभाग तो उनका खासा पसंदीदा विभाग रहा है।

कृपाशंकर सिंह: सी-ग्रेड अफसर, सेवाकाल निकृष्ट

जौनपुर के बाद वाराणसी की ओर 19 किलोमीटर दूर जलालपुर चौमुहानी से बायें ओर मुड़ती सड़क से दो किलोमीटर दूर बसा है पराऊपुर। आसपास के इलाके में दूध की स्वादिष्ट बर्फी के लिए मशहूर पराऊपुर के पास के ही रहने वाले हैं कृपाशंकर सिंह। कृपाशंकर सिंह के बारे में अलग-अलग सूचनाएं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कृपाशंकर सिंह मतलब भर के घूसखोर रहे हैं और सिपाही तक से रूपया झटकने में उन्हेंग कभी भी कोई संकोच नहीं रहा। पुलिस में कृपाशंकर सिंह को करीब से देख-सुन चुके अधिकारियों का कहना है कि कृपाशंकर सिंह सी-ग्रेड के अधिकारी रहे हैं और उनका पूरा सेवाकाल निकृष्ट रहा। लेकिन कुछ और लोगों के अनुसार कृपाशंकर सिंह पर भी आरोपों के छींटे जरूर लगे हैं, लेकिन वे कुछ मिलाकर वे एक निहायत बेहतरीन शख्सियत रहे हैं। खुशमिजाज और व्यवहार-कुशल भी। दस साल पहले जौनपुर में शहर कोतवाल रहे विश्वनाथ सिंह का कहना है कि पीपीएस तो बेइमानों की फौज है, जहां 90 फीसदी से ज्यादा अफसर घिनौनी हरकतों से कुख्यात हैं। लेकिन केपी सिंह की छवि उससे अलग रही है।

तो लीजिए, देखिये दुर्गाशक्ति नागपाल की हिस्ट्रीशीट

दुर्गा उनके बे‍टे अभिषेक सिंह की पत्नी है। आगरा में 25 जून-85 को जन्मी दुर्गा के पिता राजस्थान में सेना के सम्पत्ति अधिकारी रहे हैं। उन्हें दिल्ली कैंट के अधिशासी अधिकारी की तैनाती के दौरान राष्ट्रपति के बेमिसाल पदक से सम्मानित किया था। दुर्गा  नागपाल दिल्ली के इंदिरा गांधी महिला टेक्नॉलॉजी विश्वविद्यालय से सन-09 में कम्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर चुकी है। भारतीय सेवा परीक्षा में पहले प्रयास में वह पहले आयकर सेवा में चुनी गयी और सन-10 में सीधे 20 रैंक पाकर आईएएस चुन गयी। उसे पंजाब कैडर एलॉट हुआ था।

अभिषेक सिंह की करतूतें

कृपाशंकर सिंह के बेटे अभिषेक सिंह की करतूतों को देखना चाहे तो सीधे उसके शैक्षिक प्रमाणपत्रों पर खोजिये। अभिषेक का सबसे बड़ा अपराध तो यह रहा है कि वह सौम्‍य, सुशिक्षित है। कुशल व्‍यवहार और न्‍यायसंगत चिंतन।

केपी सिंह के बेटे अभिषेक सिंह भी उसी बैच में आईएएस चुना गया था। उसका कैडर मिला था छत्तीसगढ़। लेकिन चूंकि इन दोनों की शादी हो गयी, इसलिए दाम्पत्य-दायित्वों के निर्वहन के लिए इन दोनों को यूपी कैडर मिल गया। इस समय अभिषेक नोएडा में ही तैनात है। उसका पद है बीडीओ।

निष्कर्ष

कहने को तो आप किसी भी शख्स के पूरे व्यक्ति के आंकलन में उससे जुड़े सारे लोगों को भी कोहनिया दे सकते हैं, लांछित कर सकते हैं। लेकिन दुर्गा नागपाल का मामला इससे अलग है। जुम्मा-जुम्मा चंद दिनों में कृपाशंकर सिंह की पुत्रवधू बनी दुर्गाशक्ति नागपाल पर केवल यही ओछा आरोप लग सकता है कि उनके श्वासुर कृपाशंकर सिंह, बकौल अहमद हसन, बेईमान हैं। हालांकि यह आरोप केवल जनश्रुतियों तक ही सिमटे हुए हैं। और अगर इन आरोपों को सच ही माना जाए तो इसमें दुर्गाशक्ति नागपाल का क्या अपराध, यह अब तक न तो अहमद हसन बता सके हैं और न ही समाजवादी पार्टी के दीगर हल्ला-बोल टाइप नेता।

तो मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह जी ! यह है दुर्गाशक्ति नागपाल की हिस्ट्रीशीट।

इसके अलावा आपके पास कोई और आरोपपत्र है अहमद हसन जी ?

यूपी की आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल से जुड़ी खबरों के लिए कृपया क्लिक करें: – दुर्गा शक्ति नागपाल

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