पितृसत्‍ता के मसले पर बात करते ही भड़क जाते हैं पुरूष, आखिर क्‍यों

मेरा कोना

: आजादी की बात को सर्वाधिक अश्‍लील प्रकरण के तौर पर देखते हैं पुरूष : क्‍या दिक्‍कत है कि अगर कोई महिला अपने अस्तित्‍व पर बात करना चाहती है : स्‍त्री-विमुक्ति का विषय अब मूल विषय बनता जा रहा है, उससे मुंह मत मोडि़ये :

डॉ राजदुलारी

बोकारो : स्त्री किसी भी राजनैतिक पार्टी से हो या संगठन से, जैसे ही वो समाज द्वारा तय किये गए दकियानूस जेंडररोल्स को चैलेंज करते हुए अपनी बात रखती है तो सबसे पहले उसके चरित्र पर हमला किया जाता है।उसकी शारीरिक बनावट, रंग, आकार, कपड़ों के साइज़ इत्यादि पर कमेंट कसी जाती हैं! कम उम्र में ऊंचाइयों पर पहुँच गयी तो लोग कहते हैं कि….।

शादी न करे तो लोग कहते हैं किसी ने पूछा ही नहीं होगा! आईएएस/आईपीएस बन गयी तो उसके काबिलियत की नहीं, उसके लुक्स की चर्चा होती है! स्त्रीमुक्ति के सवालों पे अपनी बेबाक राय रखे तो कट्टर फेमिनिस्ट, भारतीय संस्कृति को बर्बाद करने वाली, वेस्टर्न कल्चर वाली, पुरुषों की दुश्मन और पता नहीं क्या-क्या कहा जाने लगता है! सार्वजानिक जीवन में मुखर स्त्री के पिछले रिश्तों और वर्तमान व्यक्तिगत जीवन को खंगाला जाता है! उसके निजी पलों की तस्वीरें पब्लिक मंच पे चटखारे के साथ शेयर होने लगती हैं!

जवाब देने लगे तो बलात्कार की धमकी, गालियाँ दी जाती हैं! पितृसत्ता का विरोध करने पर अधिकांश पुरुष उबल पड़ते हैं , जबकि पितृसत्ता का खामियाज़ा पुरुष भी कम नहीं भुगतते! आज़ादी की बात करो तो पता नहीं क्यों लोग घर-परिवार पर बुलडोज़र चलता महसूस करने लगते हैं! जेंडर बराबरी की बात करो तो लोग रिश्तों की दुहाई देने लगते हैं!

इस समाज में लोगों को आज़ादी सबसे अश्लील चीज़ लगती है!

( लेखिका डॉ राजदुलारी बोकारो में शिक्षिका हैं। समसामयिक मामलों-मसलोंं पर उनकी तीखी नजर बहुत चर्चित रहती है, और मूलत: वाराणसी और जौनपुर की रहने वाली डॉ राज दुलारी अपनी बेबाकी के लिए पहचानी जाती हैं)

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