दो हफ्ते बाद जय पर मुकदमा, कानून ठेंगे पर

दोलत्ती

: विकास दुबे कांड, हाथ पर हाथ रखे बैठा रहा कानून : पहले छोड़ा, फिर दबोचा, फिर इनकम टैक्‍स के हवाले किया, अब जेल की तैयारी :
दोलत्‍ती संवाददाता
कानपुर : आखिरकार 15 दिनों बाद पुलिस ने जय बाजपेई का चालान कई धाराओं में कर ही डाला है। उस पर हत्‍या और षडयंत्र रचने की धाराएं भी दर्ज की गयी हैं। जय के साथ ही साथ विकास दूबे के साथी प्रशांत शुक्‍ला का भी चालान किया गया है। खबर है कि कानपुर के नजीराबाद थाने की पुलिस ने जय पर करीब पौन दर्जन धाराओं में लपेटा है। लेकिन इस मुकदमे को लेकर अब खासा विवाद खड़ा हो गया है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इसके पहले 15 दिन तक पुलिस ने जय बाजपेई को अदालत में पेश क्‍यों नहीं किया। उधर पुलिस का अभी तक कोई पक्ष मीडिया तक नहीं पहुंचा है। इसके चलते इस मामले में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सभी जानते हैं कि जय बाजपेई का असली धंधा दुर्दान्‍त अपराधी रहे विकास दुबे का खजाना सम्‍भालना ही था। अपने इसी काले धंधे में जय बाजपेई अरबों का मालिक बन गया। इतना ही नहीं, सरकार और पुलिस और शासन तक में आला हैसियत रखे लोगों के गिरहबान तक भी पहुंच गया था जय बाजपेई। दरअसल जय बाजपेई का मूल धंधा तो विकास दुबे के लिए राजनीतिक, शासन-प्रशासन और पुलिस के साथ ही साथ सामाजिक क्षेत्र में भी तगड़ी लाइजिंग करना ही था।
बिकरू गांव में पुलिस के आठ कर्मचारियों की नृशंस हत्‍याकांड के बाद विकास दुबे भाग चुका था। लेकिन उसके दो दिन बाद ही जय बाजपेई को पुलिस ने दबोच लिया था। इस पकड़ के बाद पुलिस लगातार जय बाजपेई के साथ कड़ी पूछताछ कर रही थी। विश्‍वस्‍त सूत्र बताते हैं कि हिरासत में लेने के 15 दिन बाद 19 जुलाई को पुलिस ने जय बाजपेई को रिहा कर दिया था। तब बताया जाता है कि पुलिस का दावा था कि उसके पास हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं है। यह भी पता चला था कि पुलिस ने जय को अपनी हिरासत से छोड़ कर उसे आयकर विभाग के अधिकारियों के हवाले कर दिया था। आपको बता दें कि आयकर विभाग भी जय बाजपेई की सम्‍पत्ति को लेकर अपनी अलग छानबीन में जुटा है।
हालांकि यह भी चर्चाएं चल रही थीं कि पुलिस ने इसके पहले ही जय बाजपेई को उसके परिजनों को सौंप दिया था। लेकिन विश्‍वस्‍त सूत्र बताते हैं कि इस पूरे 15 दिनों के दौरान जय बाजपेई लगातार पुलिस और एसटीएफ के कब्‍जे में ही रहा था। चर्चाओं के अनुसार एसटीएफ और कानपुर पुलिस ने अपने हाथ खड़े कर दिये थे। इसी के चलते पुसि और एसटीएफ ने जय बाजपेई को 15 दिन तक हिरासत में रखने से इंकार कर दिया था।
सूत्र बताते हैं कि जय बाजपेई उस पूरे दौरान पुसि और एसटीएफ के ही शिकंजे में था। लेकिन लगातार बढ़ते भारी दबाव के बाद कानपुर पुलिस ने जय बाजपेई को दोबारा हिरासत में लिया। अब पता चला है कि पुलिस ने जय बाजपेई को नजीराबाद थाने ला कर नये सिरे से पूछताछ शुरू कर दी है। इसके पहले थाने में जय बाजपेई से पूछताछ के दौरान कानपुर के एसएसपी भी मौजूद थे। उस वक्‍त पत्रकारों के सवालों पर एसएसपी बोले थे कि जांच जारी है, जय को क्लीन चिट नहीं दी गई है। साक्ष्य मिलने पर कार्रवाई होगी।
बहरहाल, पुलिस ने आधी रात को जय का चालान काट लिया। उस पर धारा 147, 148, 149, 302, 307, 395, 412 और 7 सीएलए एक्‍ट की धारा 120 बी दर्ज की गयी है। धारा 29 व 30 आर्म्‍स एक्‍ट का मुकदमा भी जय बाजपेई पर दर्ज किया गया है। पुलिस का दावा है कि विकास दुबे के कहने पर दो जुलाई को प्रशांत शुक्‍ला ने जय बाजपेई के साथ बिकरू जाकर दो लाख रूपया और 25 कारतूस विकास दुबे को दिया था। और उसके बाद 4 जुलाई को तीन लग्‍जरी गाड़ी इन लोगों ने काकादेव में छोड़ दी ताकि विकास दूबे भाग सके।
लेकिन फिर सवाल तो तब उठता ही है कि आखिर किसके पास था 15 दिन तक जय बाजपेई।

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