: मारे गये प्रत्येक वकील के आश्रितों को पचास-पचास लाख रूपयों का मुआवजा मांगना माखौल सा दिखने लगा :
लखनऊ
लखनऊ : यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष ने तोप का लाइसेंस मांगा है। लेकिन लोगों में चर्चाएं ऐसी होने लगी हैं कि उन्हें तोप का लाइसेंस तो हरगिज नहीं मिल पायेगा, लेकिन वे ठेंगा जरूर हासिल कर पायेंगे।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने फैसला किया है कि यूपी के वकीलों से जुड़े मसलों पर अब सीधा हस्तक्षेप करेगी। कौंसिल के अध्यक्ष हरीशंकर सिंह ने इस बारे में एक सूचना भी जारी कर दी है। इस नोटिस के तहत 16 जनवरी को प्रदेश भर की सारी अदालतों में हड़ताल का एलान किया गया है। इतना ही नहीं, कौंसिल ने इस बारे में बाकायदा एक कार्यक्रम भी जारी कर दिया है, जिसके मुताबिक अगर सरकार वकीलों की यह मांगें पूरी नहीं करेगी, तो वे चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर देंगे।
मांगं तो खैर चार ही बतायी गयी हैं, लेकिन उस पर झंझट होना लाजमी है। बार काउंसिल की जो मांगे हैं, उसे देखते हुए यकीन नहीं आता है कि सरकार उसे मान पाएगी। वजह यह कि यह मांगें मान पाना सरकार के लिए मुमकिन नहीं है। और दूसरी बात यह कि इन मांगों से जुड़े मामलों में आधारभूत समस्याएं बिलबिला रही हैं। यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह और काउंसिल के उपाध्यक्ष प्रशांत सिंह अटल बताते हैं कि लखनऊ और इलाहाबाद में मारे गये वकील की हत्या के मुलजिमों को गिरफ्तार करते हुए उनके मृतक आश्रितों को 50-50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। इतना ही नहीं, इसके पहले भी जितने अधिवक्ताओं की हत्या हो चुकी है उनके आश्रितों को भी 50-50 लाख रुपयों की आर्थिक मुआवजा के साथ ही साथ उनके मुलजिमों की गिरफ्तारी की जाए।
जानकार बताते हैं कि कौंसिल की यह ऐसी मांग है जिसे पूरा कर पाना उत्तर प्रदेश सरकार के लिए मुमकिन नहीं है। वैसे भी बार कौंसिल पिछले लम्बे समय से वकीलों के हितों के प्रति कितनी प्रतिबद्ध रह चुकी है, यह भी एक बड़ा सवाल उठने लगा है। कुछ भी यह, ताजा मांगों के बारे में तो यह साफ माना जा रहा है कि इन्हें पूरा कर पाना असंभव ही होगा। फिर एक सवाल यह है कि क्या यह 16 जनवरी की हड़ताल का ऐलान केवल औपचारिकता बन कर ही रह जाएगा।
हां, यह जरूर हो सकता है कि पचास लाख रूपयों के मुआवजा की मांग को दो-चार लाख तक निपटा लिया जाए।