: अवैध रुप से कब्जा कराया था, बीती रात आनन-फानन खाली करा दिया दारूबाजों को भवन-मालिकों ने : स्मृति ईरानी ने बात तो सही कही थी, लेकिन आंशिक सच ही बोलीं : गोल गयीं मेघालय में भाजपा राज्य उपाध्यक्ष द्वारा गारो-क्षेत्र में संचालित वेश्यालय की बात :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कांग्रेस पर किसी भारी-भरकम बमवर्षा की तरह एसोसियेटेड जर्नल्स पर ईडी का हमला के बीच एक खबर यह खुल कर सामने आयी है कि हेराल्ड-भवन में बियर-शॉप पूरी तरह अवैध थी। इतना ही नहीं, जैसे ही इस बियर शॉप की बात हेराल्ड-भवन प्रबंधकों को पता चली, उस दूकान का आनन-फानन खाली करा लिया गया। खबर है कि चार अगस्त की शाम को जैसे ही भवन प्रबंधकों ने इस मामले पर हस्तक्षेप किया, बियर-शॉप के ठेकेदार ने यह दूकान का सारा सामान हेराल्ड भवन से हटा लिया। अब यह पता चलाया जा रहा है कि आखिर हेराल्ड भवन में अवैध रूप से संचालित हो रही यह बियर-शॉप का ठेका कैसे हेराल्ड भवन में चलाने की अनुमति कैसे जारी की गयी।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कल सच ही कहा था कि लखनऊ के एसोसियेटेड जनर्ल्स के हेराल्ड-भवन में एक बियर-शॉप चल रही है। लेकिन स्मृति ईरानी ने यह बात बहुत आंशिक सच के तौर पर पेश किया था। गोवा में कतिपय परिवारीजनों द्वारा संचालित एक बीफ ऐंड बियर शॉप के मामले के बारे में वे कुछ नहीं बोलीं, लेकिन यह भी नहीं बोलीं कि लखनऊ वाले हेराल्ड भवन का बियर शॉप कांग्रेस द्वारा संचालित नहीं हो रहा है, बल्कि उसे भवन पर कब्जाये लोगों ने वहां जबरन बियर शॉप खोल रखा था। बहरहाल, हेराल्ड भवन में चल रही इस दारू-बाजी वाली दुकान की यह खबर जैसे ही कांग्रेस और भवन-प्रबंधकों को पता चली, बियर-शॉप के ठेकेदारों ने बीती रात उस दूकान से अपना सारा टीन-टंडीला खाली कर दिया। सूत्र बताते हैं कि हेराल्ड भवन में चल रही यह बियर-शॉप पूरी तरह अवैध थी। इतना ही नहीं, स्मृति ईरानी इस बात को भी गोल कर गयीं कि मेघालय के गारो-क्षेत्र में चल रहे एक वेश्यालय का संचालन मेघालय भाजपा राज्य उपाध्यक्ष बर्नार्ड एन मराक कर रहे थे और पुलिस ने उनको भागते वक्त गिरफ्तार किया था। यहां दर्जनों वेश्याएं पायी गयी थीं।
कहने की जरूरत नहीं कि यूपी में कांग्रेस का ऑलामोस्ट खाले और उजाड़पन का एक बड़ा असर लखनऊ में कैसरबाग चौराहे पर बने एसोसियेटेड जर्नल्स के विशाल भवन पर पड़ा है। पहले तो कर्मचारियों की दादागिरी ने इस संस्थान को खोखला किया, लेकिन जब यहां आर्थिक मजबूती के लिए यहां एक बड़ा बिजनेस कॉम्प्लेक्स खड़ा किया, तो उस पर सरकारी और दीगर संगठनों का दबाव पड़ने लगा। नतीजा यह हुआ कि यह बिजनेस कॉम्प्लेक्स सफल होने के बजाय किसी सूने श्मशान की तरह दिखने लगा। जब कुछ होने की संभावनाएं भी खत्म हो गयीं, तो हेराल्ड-भवन के प्रबंधकों ने भी इस भवन की ओर से अपनी आंखें फेर लीं। और उसके बाद से ही इस कॉम्प्लेक्स पर कब्जा होने लगा।
आपको बता दें कि किसी भी शराब की दूकान का ठेका प्रदेश सरकार के आबकारी विभाग द्वारा से ही जारी किया जाता है। ठेके को हासिल करने के पहले सरकार ठेके को हासिल करने वाले ठेकेदार की आय, निवास और ठेके की दूकान के कागजातों की गहन छानबीन करती है। ऐसी हालत में यह ठेका कैसे हेराल्ड-भवन में खुल गया, यह आश्चर्य की बात है। आपको बता दें कि सन-12 में भी यहां की एक दूकान में अंग्रेजी शराब का धंधा शुरू हो गया था, लेकिन इस पर जैसे ही हेराल्ड भवन की निगाह पड़ी, वह धंधा रातोंरात हटा दिया गया था।