अर्थी पर विदा हुई अभागिन मां की बेटी
श्रीशचंद्र मिश्र
देवरिया : उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अगर वह चुप भी होती तो सिसकियां मजबूर कर देतीं और पीड़ा छलक पड़ती। एक मां ने अपनी लाडो के लिए अरमान संजोया था, बरात आएगी, बाजा बजेगा, लेकिन जालिमों ने सब खत्म कर दिया। सोचा था बेटी को खुशी के आंसुओं के साथ विदा करेगी मगर घाट तक अर्थी के पीछे मां की आंखों से सपने बूंद- बूंद कर झर गए। एकौना के करहकोल गांव में गुरुवार को एक मां अपनी बात लेकर पंचों के पास पहुंची। ख्वाहिश बस इतनी, उसकी बेटी को इंसाफ मिले। बेटी की खता इतनी, उसे गांव के ही एक युवक से प्रेम हो गया था। ‘पंच परमेश्वर’ ने फैसला सुनाया, बेटी के प्रेम की सजा पहले मां को मिले, फिर बेटी का ‘हिसाब’ होगा। पंचों के सामने प्रेमी के पिता ने उसकी लाडो को जिंदा जला दिया। यह सच्चाई ज्ञानमती और उसकी बेटी अंजू की है। शुक्रवार को अंतिम संस्कार के समय भी दर्जन भर गांव वाले ही थे। पुलिस सुरक्षा के लिए थी।
पंचों को दंड देने का प्रावधान नहीं
एकौना थाना क्षेत्र के करहकोल ग्राम में भरी पंचायत के बीच हैवानियत का नंगा नाच कानूनविदो को झकझोंर कर रख दिया है। कानूनविद् इसे कानून को मुट्ठी में लेने की दुस्साहस बताते हैं। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी जेपी पांडेय ने बताया कि 1948 में बना पंचायत राज एक्ट सन 2000 में पूर्णतया बदल दिया गया।
पुराने एक्ट की धारा 87 में यह व्यवस्था थी कि सरपंच किसी को पंचायत में उपस्थित होने के लिए समन जारी कर सकते थे। समन लेने के बाद पंचायत में उपस्थित न होने पर 25 रुपये दंड का प्रावधान था, परन्तु किसी महिला को पंचायत में उपस्थित होने के लिए समन जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। वर्ष 2000 में संशोधित पंचायत राज एक्ट में यह व्यवस्था की गई है, जिसमें पंचों को न तो समन जारी करने का अधिकार है और नही दण्ड का। पंचायत दोनों पक्षों की सहमति से मामले को सुलह करा सकती है।
निर्णय देने का कोई अधिकार पंचायत को नहीं है
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर राम त्रिपाठी डिस्टिक्ट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष शेषनाथ तिवारी, अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह व अरविंद कुमार पांडेय ने कहा ग्राम पंचायत अधिनियम के नियम 47 के अन्तर्गत ग्राम पंचायत के अधिकार निहित हैं, जिसमें पंचों द्वारा दण्ड दिए जाने का कोई उल्लेख नहीं है। यदि कोई पंच अपनी शक्ति से आगे बढ़ कर कोई कार्य करता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है और किए गए अपराध के अनुरूप उन्हें कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है।
तीन चिकित्सकों ने किया पोस्टमार्टम
पंचों की हैवानियत की शिकार एकौना थाना क्षेत्र के ग्राम करहकोल निवासी मृतका अंजू पुत्री राधेश्याम का अंत्य परीक्षण शुक्रवार को जिलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्र के निर्देश पर चिकित्सकों के तीन सदस्यीय पैनल ने किया। चिकित्सकों की टीम में डा.आरके श्रीवास्तव, डा.राजेश प्रसाद व डा.रवि पांडेय शामिल रहे। साभार जागरण