: जातिवाद पर उतर आये जौनपुर के जन-प्रतिनिधि, थाना पर डाला डेरा : मण्डल अध्यक्ष के बेटे को घसीट कर पीटने वाले दारोगा की पैरवी में जुटे विधायक हरेंद्र, और उनके खिलाफ खड़े हुए सांसद चरित्तर और विधायक नीलम : फिलहाल मामला ठाकुर-बाभन का बना :
कुमार सौवीर
जौनपुर : जनसेवा सर्वोच्च है। सच बात है। सौ फीसदी बात दुरूस्त बात है। लेकिन जौनपुर में यह नीतिगत हितोपदेश नहीं चलते, यहां चलती है जातिवादी सोच, घटिया स्वार्थ और केवल धन-उगाही की तरकीबें। यहां के कम से कम तीन थाना क्षेत्रों में तो आजकल यही चल रहा है। इनमें से दो थानों में भाजपा का ताण्डव चल रहा है, जबकि तीसरे थाने से भाजपाई ऐसे भाग निकले हैं, जैसे गधे के सींग। यहां सपा के सांड जहां-तहां दुंदुआते घूम रहे हैं। लेकिन सबसे शर्मनाक हादसा तो नेवढि़या थानाध्यक्ष को लेकर है, जहां एक ओर सांसद और एक अन्य विधायक एक पाले में खड़े दारोगा के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं, जबकि स्थानीय विधायक चाहते हैं कि कैसे भी हो, दारोगा का बाल बांका तक नहीं होना चाहिए। इसी बाल का बांका न करने के लिए सायंकालीन रसाबोर दावतें दे-हचाचह चल रही हैं।
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चंदवक थाना में एक तथाकथित बलात्कार-काण्ड को लेकर सपा के दिग्गज दण्ड-पेलने पहुंच गये हैं। तय हो जाने के बावजूद कि इस मामले में आरोपित महिला खुद ही उलट और झूठे बयान कर रही हैं, सपा के लोग उसी पर अपने-अपने चाकू तराशने की कोशिश कर रहे हैं। मामले की असलियत जान कर भाजपाइयों ने चंदवक से दूरी ही बनाये रखी है।
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उधर सपा के पूर्व मंत्री पारससनाथ यादव ने यहां पहुंच कर अपनी सपा की उखड़ी जड़ें उखाड़ने की कोशिशें खूब की हैं। मगर भाजपा इस थाने की ओर से अपना मुंह मोड़े हुए है। वजह है कि इस मामले में भाजपाइयों की कोई खास रूचि ही नहीं रही। उनने लिए तो नेवढि़या और सराय ख्वाजा थाना में चल रही लाग-डांट ही पर्याप्त है, जहां भाजपा के सांसद और विधायक समेत जिले के अनेक बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा संकट में है। सच कहें तो संकट में तो इन्हीं भाजपाइयों ने ही माहौल बिगाड़ रखा है।
मगर सबसे दिलचस्प बात तो नेवढि़या थाना की रही, जहां नगर अध्यक्ष के बेटे को थानाध्यक्ष अमित सिंह ने सरेआम पीटा, घसीटा और फिर उसे हवालात में ठूंस दिया। चर्चाओं के अनुसार इस समय थाने में कम से कम दो दर्जन दलालों की टोली बनी हुई है। जो थानाध्यक्ष के लिए रोजाना लाखों रूपयों की डील कराते हैं। इसी मामले में नगर अध्यक्ष के बेटे राजेंद्र को भी थानाध्यक्ष ने लपेट लिया। जमकर कूटा। राजेंद्र वैसे तो बिन्द जाति का है, इसीलिए सांसद रामचरित्तर भी इस मामले में कूद पड़े। उधर उनकी करीबी डॉ नीलम भी उस कोने में फायरिंग करने लगीं। इलाका और थानाध्यक्ष था डॉ हरेंद्र सिंह का, इसलिए उन्होंने अपनी सारी ताकत जुटा ली। मगर सांसद और डा नीलम ने बनारस तक से पैरवी की तो पता चला कि 48 घंटों में एसओ बदल जाएगा। मगर ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए अब दारोगा विरोधी खेमाबंदी दो-कौड़ी की साबित हो गयी।
सरायख्वाजा थाने पर भी करंजाकला व खेतासराय मंडल अध्यक्ष अजय सिंह और रविंद्र मिश्रा थानाध्यक्ष राममूर्ति यादव से एक मामले की शिकायत करने गये तो विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्यालय से लेकर तहसील तक स्थानीय थाने पर धमक पड़े और एसओ व सिपाही को हटाने की मांग करने लगे। मामले का तूल पकड़ते ही एसपी शैलेश कुमार पाण्डेय ने सीओ सिटी को तत्काल थाने पर जांच के लिए भेजा। थाने पर पहुंचने वालों में सांसद केपी सिंह के प्रतिनिधि पूर्व विधायक बांके लाल सोनकर, विनोद तिवारी, डा. रंजना सिंह, पूर्व सभासद विनय सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस संबंध में एसपी शैलेश पाण्डेय ने बताया कि सीओ सिटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इस मामले में इन नेताओं के तर्क लगातार संदिग्ध ही दिखते जा रहे हैं।
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चंदवक काण्ड में युवती का वह बयान सुनिये, जिसमें उसने कुबूला है कि उसके साथ दुष्कर्म नहीं हुआ:-