: जो कांग्रेस की रणनीति और सचाई है, राहुल की बेवकूफी बताया जागरण ने : कट्टर सोच से घिनौना-लिथड़ा है जागरण का सम्पादकीय : शिवसेना की पीड़ा को कांग्रेस की पीड़ा बताया : सावरकर का माफीनामा इतिहास है, लेकिन जागरण की हालत बेहाल हालातों में तड़पती बियानी बिल्ली के रोदन सी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : राहुल गांधी के भारत जोड़े आंदोलन का लाभ कांग्रेस को कितना लाभ पहुंचा सकेगा, यह तो भविष्य में ही तय होगा। लेकिन राहुल गांधी के इस आंदोलन ने वर्तमान में तो दैनिक जागरण की बेशर्म वैचारिक बदहाली का खुलासा तो कर ही लिया है। हालत यह है कि जो कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीति है, उसको तो राहुल गांधी खुलेआम कह रहे हैं, भले ही भारत जोड़ो आंदोलन वाली इस यात्रा में आदित्य ठाकरे अपने आप ही राहुल गांधी के साथ जुड़ गये हों और राहुल के साथ पदयात्रा में शामिल क्यों न रहे हों, लेकिन दैनिक जागरण के पेट में मर्मान्तक पीड़ा जरूर शुरू हो गयी है। अब यह अखबार राहुल के कदमों को ही राहुल के पैरों पर कुल्हाड़ी मारता दिखा रहा है। बेशर्मी की हालत तो यह है कि दैनिक जागरण ने अपनी यह बेशर्मी अपने खबरों में से भी आगे बढ़ कर सीधे सम्पादकीय तक में साबित कर दिया है।
खुद को जन-भावनओं का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाला दैनिक जागरण कहता है कि राहुल गांधी अंग्रेजों से माफी मांगने के सावरकर के कृत्य को राहुल गांधी का आरोप मानते हैं, तो इसमें बुरी क्या है। यह सच है और ऐसा सच बोलने में केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि संघ, भाजपा और शिवसेना के साथ ही साथ उसके साथी-संगी दलों की राजनीति के खिलाफ बोलने वाले अधिकांश देशवासी भी आगे बढ़-चढ़ कर बोलते हैं। जागरण कहता है कि सावरकर की जन्मभूमि में ही उनका निरादर कर देश और महाराष्ट्र के लोगों को कुपित कर दिया है और शिवसेना-उद्धव गुट को भी नाराज कर दिया है।
लेकिन इसमें जागरण के पेट में क्यों दर्द हो रहा है। जागरण जानबूझ कर भूल गया कि शिवसेना और संघ-भाजपा एक-दूसरे के लम्बे वक्त से गलबहियां करते रहे हैं, लेकिन इनके परस्पर सत्ता बांटने को लेकर झगड़ा यहां तक हो गया कि यह अलग-अलग दल के तौर पर खुद को नये-नये कपड़े-पायजामा पहनने लगे।
जागरण कहता है कि सावरकर के अपमान के बाद शिवसेना का कांग्रेस के साथ साथ रहना आसान नहीं होगा, लेकिन जागरण के संपादक से कोई कौन पूछे कि कांग्रेस के साथ शिवसेना के बीच दोस्ताना रिश्ता ही कब रहा है, जो जागरण कष्ट हालातों में बेचैन बियानी बिल्ली की तरह रोदन में जुट गया है।
आपने बिल्कुल सही फरमाया…👌👌👌🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹 वैसे हमारी नज़र में दैनिक जागरण का दलाल भाजपाई संपादक संजय गुप्ता शुरुआत से ही सबसे बड़ा अंधभक्त है। इस चाटुकार संपादक ने बेख़ौफ़ पत्रकारिता को कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और न ही छोड़ने का इच्छुक ही है।
ऐसे दलाल संपादकों के कलमुंहों पर इस नाचीज़ के मुंह से थूक के सिवा और निकल भी क्या सकता है…थू थू…आक्थू…😞😞😞
जयहिंद!
🌹🙏🌹🥰