हिन्‍दुस्‍तान निकला भीगा बंदर, जागरण दुम दबा कर भागा

बिटिया खबर

: लोहिया अस्‍पताल में मंत्री के मुआयने में तथ्‍य नहीं, डीलका धंधा : सच खुला, तो बकलोल निकले अखबार : अमर उजाला को सिर्फ लिंग-वर्द्धक यंत्र बेचने का सलीका : जागरण ने फर्जी खबर छाप दी, अगले दिन मामला हवा-हवाई : हिन्‍दुस्‍तान तो सिवाय बकवास के एक शब्‍द तक नहीं लिखता, समूह संपादक ही नकटा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : राममनोहर लोहिया चिकित्‍सा संस्‍थान में स्‍वास्‍थ्‍य-चिकित्‍सा मंत्री ब्रजेश पाठक को क्‍या मिला या नहीं, यह शोध का विषय बन सकता है। लेकिन ब्रजेश पाठक के अपने तीसरे मुआयने की रिपोर्टिंग को लेकर लखनऊ के अखबारों के रिपोर्टरों अपनी-अपनी जांघिया खुद ही उतार दी। जिसके मन में जो भी आया, उसने बढ़-चढ़ कर अपने अखबारों पर सड़ांध फैला डाली। अब हालत यह है कि इस निरीक्षण की अंट-शंट रिपोर्टिंग करने वाले दैनिक जागरण ने शुरू में तो मंत्री की शान में खूब गुलाटियां मारीं, लेकिन अब जब हकीकत ही सामने आ गयी, तो वह रिपोर्टर अपनी दुम दबा कर न जाने कहां लुकाय गया, लापता हो गया। जबकि चिकित्‍सा मंत्री के काम को तिल का ताड़ बनाने में अव्‍वल रहे हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने अपनी लंगोट पर पैंट चढ़ा लिया, ताकि जितना भी हो सके, वह अपनी मूर्खतापूर्ण नंगई छिपा सके।
आपको बता दें कि लखनऊ के प्रतिष्ठित चिकित्‍सा संस्‍थान माना जाता है राममनोहर लोहिया अस्‍पताल। नयी सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा मंत्री बने ब्रजेश पाठक ने तब से अब तक तीन बार यहां जांच की है। लेकिन तीसरे मुआयने के दौरान मंत्री की वाहवाही में सारे अखबार जुट गये। इसकी रिपोर्टिंग में किसी ने दिमाग का इस्‍तेमाल को त्‍याग दिया, तो किसी ने असलियत के बजाय मंत्री के साथ अपनी दोस्‍ती निभा लिया। लेकिन नतीजा यही रहा कि इस पूरे निरीक्षण में जिस भी अखबार का मन आया, उसने मनमर्जी तरीके से पत्रकारिता की टांग ही तोड़ी। मकसद सिर्फ था सब अखबारों के रिपोर्टरों का, कि कैसे भी हो सके, मंत्री जी को अधिक से अधिक तेल-मक्‍खन पोता जा सके।
लेकिन इन अखबारों और उनके रिपोर्टरों की करतूतों का खुलासा अगले ही दिन हो गया। साफ हो गया कि सारे अखबारों ने इस मामले को सचाई पर देखने के बजाय, अपनी भक्ति, धंधाबाजी और चापलूसी से अतिरंजित कर डाला। किसी ने वह लिखा मारा, जो हकीकत में था ही नहीं। किसी ने वह लिखा, जो योगी की पिछली सरकार में ही हो चुका था। किसी ने वह लिखा, जिसमें केवल अतिशयोक्ति से ही सना हुआ था। कोई तो ऐसा अलसायी हुई नृत्‍यांगना की तरह व्‍यवहार करने लगा, जिसे या तो स्‍वप्‍न में ही इलहाम हो रहा था, या फिर होने वाले सपनों में डूबा था।
आप देखिये तनिक हिन्‍दुस्‍तान अखबार की छपास का नमूना। हिन्‍दुस्‍तान ने बिना किसी से पूछे-जाने ही लिख दिया कि बिना बांटे ही करोड़ों की दवाएं खराब। लेकिन जब अगले दिन इस अखबार की थू-थू शुरू हो गयी, तो सेक्‍स-संबंधी इलाजों के लिए कुख्‍यात इस अखबार ने करोड़ों के बजाय आंकड़ा किसी घोंघे की तरह सिर्फ पचास लाख रुपयों तक सरका लिया।
जबकि अमर उजाला तो किसी बेहद खतरनाक विष-सर्प की तरह निकला। पहले दिन तो उसने इस पूरे मामले का ठीकरा लोहिया संस्‍थान के डॉक्‍टरों और फार्मासिस्‍टों के माथे पर फोड़ने की साजिश कर डाली। अमर उजाला की हेडिंग पर नजर डालिये न। लिखा है:- लोहिया संस्‍थान, पचास लाख की दवाएं स्‍टोर में ही बर्बाद, जांच के आदेश। इस अखबार में साफ आरोप लगा दिया है अमर उजाला ने कि उपमुख्‍यमंत्री के निरीक्षण में खुली पोल। न मरीजों को दावाएं बांटीं, न कंपनी को लौटाईं। मगर शर्मनाक बात तो यह रही कि अपने इस महा-अभियान को अनजाने कारणों से खंखार कर थूकने के बाद इस अखबार ने स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा की दिशा में कई रिपोर्टरों की डयूटी लगायी, और एक से बढ़ कर एक मूर्खतापूर्ण बकवास छाप दी।

होना तो यह था कि यह अखबार अपनी खबर पर फालोअप करता, लेकिन पहले दिन की बकवास को छिपाने के लिए इस अखबार ने मूंग और गुड़ खाने की सलाह दे डाली। इतना ही नहीं, फार्मेसी काउंसिल की एक मूर्खतापूर्ण बकवास को लिखने के लिए इस अखबार ने एक नहीं, बल्कि दो रिपोर्टरों का नाम छाप दिया। एक का नाम है हिमांशु अवस्‍थी और कुलदीप सिंह। लेकिन इन लोगों ने क्‍या लिखा और इस अखबार के संपादक राजीव सिंह ने क्‍या छाप लिया, इसकी कोई तारतम्‍यता ही नहीं समझ पाती है। सिवाय इसके कि यह हरकत 13 मई की बकवास खबर को छिपाने की एक बचकानी और सिवाय चूतियापंथी से ही सनी रही है। कहने की जरूरत नहीं कि अमर उजाला अखबार की पहचान खबरों के बजाय, सेक्‍स संबंधी दिक्‍कतों को सस्‍ते किस्‍म की रुचि रखने वाले लोगों के हिसाब से बेहद रोचक तरीके पेश करने की ही रही है, जिसमें लिंगवर्द्धक यंत्र की खूबी और साइज बढ़ा दिये जाने का दावा भरा पड़ा होता है।
खैर, डीलिंग में न जाने क्‍या गड़बड़ हो पायी, लेकिन दैनिक जागरण ने तो स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के अभियान की छुच्‍छी ही निकाल दी। इस अखबार ने लिखा कि:- उपमुख्‍यमंत्री को लोहिया में मिलीं 2.40 लाख की एक्‍सपायर्ड दवाएं। लेकिन अगले दिन ही इस मामले में अपना मुंह ही आश्‍चर्यजनक तरीके से बंद कर लिया। न कोई चर्चा की, कि बाकी अखबारों ने इस मामले में करोड़ों का नुकसान किया या फिर संस्‍थान अफसरों की करतूतों ने यह हालत कर डाला।

3 thoughts on “हिन्‍दुस्‍तान निकला भीगा बंदर, जागरण दुम दबा कर भागा

    1. अखबारों में क्या छपरा है कैसे लिखना है अब आप से पूछ कर ही रिपोर्टर लिखेंगे

      1. बेशक।
        केवल पैसा कमाने के लिए चापलूसी या दलाली के लिए अखबार नहीं छापे जा सकेंगे।
        हम उन पर निगाह रखेंगे जरूर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *