दागी अफसरों की लगी क़तार, जिन्‍दाबाद योगी सरकार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जो अफसर अखिलेश सरकार की आँखो का तारा थे वो अब योगी सरकार की नाक का बाल बने : जिन्होंने कभी लाठियों से भाजपायों को कूटा था, वो आज भी मजे से कर रहे हैं कलेक्टरी : गज़ब अंदाज है सेटिंग-गेटिंग का, भाजपा में भी उनका जलवा कायम :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आम तौर पर यह कहा जाता है कि मिठाई-मलाई का चस्का अलग होता है, जिसको लग जाये ये चस्का फिर जल्दी छूटता नही। और जब ये चस्का कई साल से भूखे बैठे इंसान को लगता है तब तो वो दोनों हाथों से चटकारे ले-लेकर मलाई खाता है। कुछ यही हाल है उत्तर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार का। जिन कार्यकर्ताओं ने रात-दिन एक करके पार्टी को चुनाव में जीत दिलाई, जिन्होंनें कड़ी धूप में तत्कालीन सपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अफसरों की लाठियां खाईं, लेकिन आज उनकी कोई सुनने वाला नही है। यह हम नही कह रहे बल्कि ये तो खुद भाजपा के विधायक-सांसदों ने कहा है अमित शाह के सामने। जो अफसर अंग्रेजी हुकुमत के माफिक सपा सरकार के दौरान जनता पे जुल्म ढ़ाते थे वो आज फिर से मौज मार रहे हैं। नही? अच्छा मतलब नाम बताये बिना नही मानोंगे? तो सुनो !

एक कलेक्टर था। एक मरखना आईएएस अफसर था बहराइच में। बड़ा गुस्सैल। गुस्सा उसकी नाक पे रहता था। डीएम बन कर उसने तो दरिंदगी की सारी सीमाएं तोड़ डालीं। नाम है अभय कुमार। वही अभय कुमार, जो विवादित आइएएस किंजल सिंह के पति हैं। किंजल की कहानियां बाद में सुनाऊंगा, पहले अभय कुमार को सुन लीजिए। तो एक दिन हुआ यह कि अपने ही सरकारी बंगले में किसी मवाली-गुण्‍डे की तरह उसने एक सिपाही और चार होमगार्डों को लाठी लेकर दौड़ा-दौड़ा कर पीट डाला। उसके बाद जब बहराइच में बवाल शुरू हो गया। होमगार्ड संघ और बाकी कर्मचारी संगठन उग्र हुए और आंदोलन पर उतर आये। तो अभय ने बाकायदा सार्वजनिक माफी मांग कर पिण्‍ड छुड़ाया था।

लेकिन इसके अलावा उस अफसर का बाल भी बांका नही हुआ। क्यूं? क्यूंकि वो कलेक्टर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश का दुलरुआ था। तब भाजपा के बड़े नेताओं ने खुलेआम कहा था कि हमारी सरकार आयेगी तो हम इनके पापों का हिसाब करेंगे। सरकार भी आ गयी। वो भी पूरे बहुमत से। अब आप सोच रहे होंगें की अब तक तो वो कलेक्टर निलंबित हो चुका होगा। जी नहीं ! वो कलेक्टर तो ठसक से रायबरेली जिले की कलेक्टरी कर रहा है। अच्छा नाम बताऊं? तो सुनो ! नाम है अभय कुमार।

एक और अफसर थीं। नाम था मंज़िल सैनी। लखनऊ की कप्तान थी। भाजपा नेता उसे पानी पी-पीकर कोसते थे। कहते थे सरकार आने पे इनको साइडलाइन करा देंगे। पता है वो कहां तैनात हैं आजकल? वो मेरठ की बड़ी कप्तान हैं। करा लिया साइडलाइन?

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बड़ा बाबू

एक कप्तान थे। प्रमोटी अफसर हैं। रामपुर के एसपी हुआ करते थे। कभी सपा के कद्दावर नेता आज़म खान की तारीफ में क़सीदे पढ़ते सुने गये थे। मीडिया में भूचाल आ गया था। आखिर एक सरकारी नौकर कैसे एक नेता की सार्वजनिक मंच सो तारीफ कर सकता है? भाजपा वाले तो उबल पड़े। इनके राष्ट्रीय प्रवक्ता ने तो खुलेआम कहा था की चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिये। ऐसा लगा कि इस अफसर की नौकरी सत्ता परिवर्तन के बाद खटाई में पड़ने वाली है। पर सरकार बनते ही कमाल हो गया ! उनको तो गोरखपुर का एसएसपी बना दिया गया। वही गोरखपुर जो मुख्यमंत्री योगी जी का क्षेत्र है। वही योगी जी जो आज़म खान के धुर विरोघी हैं। आखिर ऐसा कैसे हुआ? खैर बाद में पांडे जी को इस कुर्सी से हटाकर साइडलाइन कर दिया गया परंतु दो महिने तो वो गोरखपुर की कप्तानी कर ही ले गये।

इसी तरह लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी थे आकाश दीप। उन पर वहां के भाजपा विधायक योगेश वर्मा ने उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आज भी आकाशदीप लखीमपुर में ही बने हुए हैं। आकाश दीप वरिष्ठ आईएएस अफसर किशन सिंह अटोरिया के दामाद हैं।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे अखिलेश यादव का ड्रीम प्रौजेक्ट था। उस पर भाजपाईयों ने तमाम आरोप लगाये थे। कहा था इसमें बहुत भ्रष्टाचार हुआ है और सरकार आने के बाद इसकी जांच करा के सब को जेल भेजेंगें। इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण यूपीडा यानि उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंच अथॉरिटी ने कराया था। यूपीडा के त्तकालीन चीफ इंजीनियर थे विश्व दीपक श्रीवास्तव। इनके देख-रेख में सारा निर्माण हुआ। आजकल सुना है विश्व दीपक जी को राजकीय निर्माण निगम का प्रबंध निदेशक बना दिया गया है।

ये तो कुछ़ उदाहरण मात्र हैं। ऐसे तमाम अफसर हैं जो पिछ़ली सरकार के बेहद खास माने जाते थे और तब उन पर भाजपा के नेता तमाम आरोप लगाते थे परंतु आज की तारीख में वो सारे अफसर मौज काट रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एक भी अफसर के खिलाफ कोई गंभीर कार्यवाही नही हुई जिसका चुनाव पूर्व वादा किया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सेटिंग-गेटिंग से ही सब कुछ होना था तो फिर जनता को सपने क्यूं दिखाये गये? क्यूं बोलो गया की सरकार बनने पर इंसाफ होगा? क्यूं कार्यकर्ताओं को सड़क पर लाठी खाने के लिये प्रोत्साहित किया गया। इस बात को कहने में कोई गुरेज नही है की योगी सरकार भी अखिलेश यादव के रास्ते पर जा रही है। और अगर इसी रास्ते पर आगे 2019 का लोकसभा चुनाव भी है। जनता बहुत होशियार है योगी जी। सूत्रों की चेतावनी है कि भले ही ये तबादले पर्दे के पीछे बैठा कोई व्यक्ति कर रहा हो पर जनता और पार्टी के कार्यकर्ता हिसाब आप से ही मांगेंगें। इसलिये जागिये और संभल जाइय्ये।

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