सम्‍पादकों-पत्रकारों को तलवा-चाट कुत्ता बनाने की फैक्‍ट्री है दबंग दुनिया अखबार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हर पांच-सात महीने में लतिया कर भगा दिये जाते हैं इस अखबार के सम्‍पादक : तीन साल में पांच सम्‍पादकों की निर्लज्‍ज विदाई हो चुकी दबंग दुनिया में :

कुमार सौवीर

भोपाल : कोई सम्‍पादक अपने पत्रकारीय दायित्‍वों-मूल्‍यों, अखबार के नियमों और उसके मालिकों की शर्तों पर नहीं खरा हो पाया हो तो इसमें कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। ऐसे में तो सहज ही उस सम्‍पादक की विदाई उस अखबार में से हो जाने से कोई भी सवाल नहीं उठाये जा सकते हैं। लेकिन सवाल तो तब भड़़कने लगते हैं कि उस अखबार में दो-ढाई बरस में एक या दो नहीं, बल्कि पूरे के पूरे पांच सम्‍पादकों को हटा दिया जाए।

जी हां, एक ऐसा भी अखबार है इस देश में जहां अपने सम्‍पादक को अखबार निकालने के लिए नहीं, बल्कि उसे ताश की गड्डियों की तरह फेंटा जाता है। इस अखबार का नाम है दबंग दुनिया। दैनिक समाचार पत्र के तौर पर यह प्रकाशित होता है। हालांकि यह है मध्‍य प्रदेश के इंदौर का अखबार। लेकिन इसके दिल्‍ली, भोपाल, जबलपुर, रायपुर और बम्‍बई समेत देश के प्रमुख शहरों में 12 संस्‍करण निकलते हैं। अखबार है किशोर वाधवानी, जो एक गुटका-पाउच के प्रमुख व्‍यवसायी माने जाते हैं। लेकिन कम से कम इसके बम्‍बई वाले संस्‍करण में सम्‍पादकों को किसी तम्‍बाकू वाले गुटका की तरह चबा-चबा कर उगलने-थूकने की गौरवशाही परम्‍परा बन चुकी है।

हाल ही मुम्‍बई के एक प्रमुख अखबार में कार्यरत पत्रकार अपने एक परिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपने गृह-जनपद पड़ोसी जिले में आये। इसी बीच मुझसे भेंट करने लखनऊ भी आये। इस पत्रकार के साथ बातचीत में बम्‍बई की पत्रकारिता और पत्रकारों पर भी चर्चा शुरू कर दी। बात ही बात में वे दैनिक समाचार-पत्र दबंग दुनिया में पत्रकारों-सम्‍पादक की गुजरी जा रही हालत पर दुख जताने लगे। उन्‍होंने बताया कि इस अखबार के मुम्‍बई वाले संस्‍क्‍रण में सम्‍पादक के साथ वाच-डॉग की तरह नहीं, बल्कि बाकायदा किसी डॉग की तरह व्‍यवहार किया जाता है। जब चाहा, किस सम्‍पादक को लतिया कर अखबार से निकाल बा‍हर कर दिया, और जब मन चाहा किसी दूसरे को सम्‍पादक की कुर्सी थमा दी।

इस पत्रकार के अनुसार इस अखबार में तीन साल पहले नीलकण्‍ठ पारटकर को सम्‍पादक की कुर्सी थमायी दी गयी थी। नीलकण्‍ठ का नाम बम्‍बई के बड़े पत्रकारों में शुमार हुआ जाता है। वे बम्‍बई पत्रकार संघ यानी बीयूजे के महासचिव रह चुके हैं। लेकिन छह महीने के भीतर ही अखबार के प्रबंधन ने नीलकण्‍ठ को मुम्‍बई संस्‍करण से हटा कर उन्‍हें मध्‍य प्रदेश के जबलपुर संस्‍थान में तबादले पर भेज दिया। अब चूंकि नीलकण्‍ठी की सारी जड़ें मुम्‍बई में ही उगीं, पनपीं हैं, इसलिए उन्‍होंने इस तबादले का कुबूल नहीं किया, और इस्‍तीफा दे दिया। वैसे भी जानकारों के अनुसार इस तबादले की यह शैली उन्‍हें बर्खास्‍त करने की शैली में की गयी थी।

इसके बाद धर्मयुग की टीम में रह चुके अभिलाष अवस्‍थी को इस कुर्सी पर विभूषित किया गया। लेकिन सम्‍पादकों को किसी गुटके की तरह चबा कर थूकने की आदत पाले इस अखबार प्रबंधन ने अवस्‍थी को भी पांच महीने में बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। इसके बाद नये सम्‍पादक बनाये गये श्रीनारायण तिवारी, जो उसके पहले लोकमत में मुम्‍बई ब्‍यूरो प्रमुख हुआ करते थे। मगर दबंग-दुनिया प्रबंधन ने सात महीने में ही श्रीनारायण तिवारी का कद घुटने से छोटा करते हुए उन्‍हें जबरिया विदा कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि इसके बाद इस अखबार की छवि पूरे बम्‍बई में सम्‍पादक-हंता या हत्‍यारे की तरह बन गयी थी। बहुत खोजने के बावजूद इस अखबार को अपने लिए कोई सम्‍पादक ही नहीं मिला। हार-थक कर अखबार-प्रबंधन ने अपने पुराने सम्‍पादक नीलकण्‍ठ पारटकर को अपने सम्‍पादकी की कुर्सी के लिए दुबारा न्‍यौता दिया। लेकिन जानकार बताते हैं कि चूंकि इस पहले नीलकण्‍ठ अपने इस अखबार के साथ हुए व्‍यवहार से क्षुब्‍ध थे, इसलिए उन्‍होंने मना कर दिया। लेकिन प्रबंधन ने गिड़गिड़ाने हुए यह न्‍यौता दिया, तो नीलकण्‍ठ वापस लौटने पर राजी हो गयी। मगर जानकारों के अनुसार नीलकण्‍ठ के साथ दोबारा यही हरकत कर दी गयी और छह महीने के बाद नीलकण्‍ठ को अखबार से निकाल दिया गया।

मगर उसके बाद से इस अखबार को अपने लिए कोई सम्‍पादक ही नहीं मिल पा रहा है। बताते हैं कि कोई भी पत्रकार इस अखबार के सम्‍पादक की कुर्सी पर बैठने को तैयार ही नहीं है। उनका मानना है कि यह अखबार और उसके सम्‍पादक की कुर्सी पूरी तरह से अभिषप्‍त है। उस कुर्सी पर बैठना अपनी बेइज्‍जती कराना से कम नहीं माना जाता है। ऐसे में हार कर इसे अखबार ने अपने एक छोटे से कर्मचारी को अपना सम्‍पादक बना दिया है।

ऐसी हालत में जरा कल्‍पना कीजिए कि उस समाचार संस्‍थान अपने पाठकों, पत्रकारीय जगत, समाज और अपनी सम्‍पादकीय टीम के प्रति कौन से दायित्‍व का निर्वहन कर रहा होगा।

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