मथुरा कांड: डीजीपी साहब, रेकी क्या ऐसे होती है?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: प्रेम की नगर में लाशों और चीत्‍कारों का माहौल बनाने का जिम्‍मेदार कौन : सरकारी कारिन्दे सच के अलावा बाकी सब आवाजें निकल रहे : डीजीपी का बयान है कि रेकी के दौरान हुआ हंगामा : डीएम ने प्रेस कां‍फ्रेंस बुलाकर बता दिया था कि कब्जा हटाया जाएगा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : रेकी का मतलब होता है खुफिया तौर पर सारे संकेतों को हासिल करना। वह सारी की सारी सूचनाएं प्राप्त करना जो अब तक पोशीदा यानी छिपी हुई हैं। उस खबरों को खोज निकाल देना जिनसे ऑपरेशन में दिक्कतें आ सकती हैं। वह सारे पुख्‍ता रास्ते खोजने की गुपचुप कवायद को ही रेकी कहा जाता है जिनके बल पर कोई भी बड़ा अभियान सफल किया जा सकता है।

लेकिन मथुरा में उसका उल्टा ही हो गया। यूपी के डीजीपी ऐलान कर रहे हैं कि मथुरा में अवैध कब्जे में फंसी सरकार की 300 एकड़ जमीन को मुक्त कराने के जो अभियान होना था, उसकी रेकी के दौरान ही मामला भड़क गया। रेकी कर रहे पुलिसवालों से कब्जेदारों ने झड़प की और मामला तूल पकड़ गया। इतना कि प्रेम की नगरी मथुरा में आग लग गयी। जहां स्नेह की धारा बहती थी, वहां लाशों के ढेर लगे और चीत्कारों का भयावह रूदन गूंजने लगा। लाशों की खोज अभी भी जारी है।

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बड़ाबाबू

लेकिन हैरत की बात है कि जो काम रेकी के लिए खामोशी के लिए होना चाहिए था, उस पर हंगामा की नौबत ही क्यों आयी? जवाब यह कि यह प्रशासन और अपराधियों की आपसी मिली-‍भगत का नतीजा था। कम से कम मेरे विश्वस्त  सूत्रों ने तो यही खबर दी है कि रेकी के दौरान जो बवाल हुआ, वह पूरा सोचा-समझा और बाकायदा एक सुनियोजित साजिश-षडयंत्र ही था।

सवाल यह उछल रहे हैं कि अगर पुलिसवाले जवाहरबाग की रेकी करने गये थे, तो फिर यह हंगामा क्यों हुआ। जाहिर है कि उन उपद्रवियों को पता चल गया था कि मामला गड़बड़ है। इसका मतलब यह कि पुलिस की प्लानिंग का खुलासा पहले ही हो चुका था और उपद्रवी पहले से ही सतर्क थे।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार मथुरा के प्रशासन और पुलिस के अफसरों ने ही इस मामले को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करके बताया था कि प्रशासन उस जमीन पर से कब्जा हटायेगा। एक अन्य अधिकारी के अनुसार यह सारी की सारी एक साजिश थी, जिसमें प्रशासन और पुलिस के हाथ रंगे हुए थे। जो भी पुलिस मौके पर भेजे गये, उनमें से ज्यादातर अंडर-ट्रेनिंग थे।

फिर उस कवायद को रेकी का नाम क्यों दे रहे हैं हमारे डीजीपी साहब?

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