कोरोना टीका: आग का दरिया में तैर कर जाना होगा

दोलत्ती

मन्नू कुमार मानी

ये आग का दरिया है और इसमे तैर कर जाना है , वैसे मैं बता दूँ की आरएनए वैक्सीन बनाने की कोशिश कोई नई नहीं है , कुछ है तो हमारी यादाश्त कमजोर है आरएनए वैक्सीन बनाने की कोशिश एबोला, toxoplasma gondii, एचआईवी और फ्लू के खिलाफ हो चुकी है | क्या इसमे से कोई सक्सेस हुई है ? सबसे कॉमन फ्लू को ले लेते है कंपनी यह कहती है की आपको फ्लूशॉट वैक्सीन हर साल लगानी होती है क्यूंकी हर सीजन मे वायरस बदल जाता है इसलिए हर साल वैक्सीन आपको लगवानी पड़ती है | पर क्या उसके बाद भी आप फ्लू से बच पाते है ? नहीं तो कंपनी कहेगी की यह आपको गंभीर नहीं होने देता फ्लू तो बताइए की पश्चिमी देशों मे जहां फ्लूशॉट वैक्सीन हर इंसान अमूमन लगवाता है फिर भी वहाँ फ्लू से लोग मरते है और बड़ी संख्या मे मरते है क्यूँ ? स्वीडन की एंटी लॉकडाउन अप्रोच लेने का यही कारण था | आपको यह जानकार हैरानी होगी की स्वीडन मे हर साल अप्रैल फ्लू से होने वाली मृत्यु की संख्या कोरोना से ज्यादा है साल 1993 के अप्रैल मे हुई फ्लू से मृत्यु कोरोना से कम है | क्या एचआईवी की वैक्सीन बनी है ?? जबकि उसके भी जीनोम की पूरी स्टडी हो चुकी है और उसके वैक्सीन बनने का कारण यह देंगे की इस वायरस मे म्यूटैशन काफी होते है | ये म्यूटैशन कोई लीथल नहीं बल्कि पॉइंट म्यूटैशन ही होते है | यानि सिंगल nucleotide का म्यूटैशन और यह सतत होता है | यही कहानी कोरोना की भी है जिसमे सतत सिंगल पॉइंट म्यूटैशन हो रहे है | इसीलिए अगर कोई सही एक्सपर्ट हो उसको पूछो की दिल पर हाथ रख कर बताए वैक्सीन की कहानी तो वो यही कहेगा की इस वायरस का साइज़ बड़ा है म्यूटैशन सतत होते है वैक्सीन बनना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा .

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