महिला कर्मियों से प्रमुख चिकित्‍सा अधीक्षक बोला:- आओ मेरे … पर तेल लगाओ

सैड सांग

: महिलाओं को सहकर्मी नहीं, अपने बिस्‍तर की सामग्री मानने की प्रवृत्ति : मिर्जापुर के मंडलीय अस्‍पताल के मुखिया ओमप्रकाश शाही लिख रहे हैं महिलाओं के साथ अश्‍लील धमकियों की एक नयी दास्‍तान : गले में आला नहीं, हाथ में रिवाल्‍वर लेकर घूमते डॉक्‍टर देखना हो तो मिर्जापुर आइये :

कुमार सौवीर

मिर्जापुर : अब तक दो नर्सों को सरेआम थप्‍पड़ मार दिया है। कई डॉक्‍टरों को दिनदहाड़े मां-बहन और बेटी की गालियां देते हुए उन्‍हें नौकरी की तमीज सिखायी जा रही है। इसके अलावा कई कर्मचारियों को या तो लात मार कर भगाया गया है या फिर खुली रिवाल्‍वर लेकर उन्‍हें अपना रास्‍ता नापने की सलाह दी गयी है। और यह सब कुछ किसी गुण्‍डे-मवाली या किसी आतंकवादी की हरकतें नहीं हैं, बल्कि इसके लिए जिम्‍मेदार हैं यहां के मंडलीय अस्‍पताल के प्रमुख चिकित्‍सा अधीक्षक डॉक्‍टर ओमप्रकाश शाही।

डॉक्‍टर ओमप्रकाश शाही की बात ही निराली है। उनकी वहचान किसी सड़कछाप मजनूं या लफंगे की तरह धाराप्रवाह गालियां देना है। जाहिर है कि मरीजों की सेवा-सुश्रुषा उनकी प्राथमिकता में है ही नहीं। अपने अधीनस्‍थों को मां-बहन-बेटी की गालियां देने वाले डॉ शाही अस्‍पताल परिसर में अपने गले में आला लटकाने के बजाय, अपने हाथों में नंगी रिवाल्‍वर लहराते दिखते हैं। किसी माहिर देवी-जागरण गीतों के गायक को पिछाड़ने में शातिर डॉ शाही अपने डॉक्‍टरों-कर्मचारियों के प्रति नंगी-नंगी गालियों का सस्‍वर पाठ करते हैं।

अस्‍पताल में संविदा में तैनात एक वरिष्‍ठ काउंसलर सुमन राय और पैथॉलॉजी कर्मचारी मयंक मिश्र समेत कई कर्मचारी और डॉक्‍टर अब अपने इस प्रमुख चिकित्‍सा अधीक्षक से त्रस्‍त हो चुके हैं। एक बार तो डॉ शाही के खिलाफ एक दिन की हड़ताल भी हो चुकी है। लेकिन डॉ शाही का बाल बांका तक नहीं हुआ। बताते हैं कि इसकी वजह है डॉ शाही की राजनीतिक पकड़। एक वरिष्‍ठ चिकित्‍सक ने बताया कि डॉ शाही खुद को देश के गृहमंत्री राजनाथ का रिश्‍तेदार बताते घूमते हैं। उनका दावा है कि जब तक वे चाहेंगे, अस्‍पताल के डॉक्‍टरों-कर्मचारियों को उनकी शर्तों पर ही काम करना होगा।

एक कर्मचारी ने प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता को बताया कि डॉ शाही के नेतृत्‍व में इस अस्‍पताल में अब मरीजों का इलाज नहीं, बल्कि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को मरीज बना डालने का अभियान चल रहा है। डॉ शाही के किसी भी स्‍याह-सफेद की करतूत पर चूं-चपड़ करना किसी भी डॉक्‍टर-कर्मचारी का भविष्‍य तबाह कर देना ही है। मयंक मिश्र नामक एक स्‍वास्‍थ्‍य-कर्मी पर तो डॉ शाही ने इतना कहर ढाया कि उसने आत्‍महत्‍या करने का फैसला कर लिया। उसने भारी मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं, हालांकि तबियत गम्भीर होने के चलते बीएचयू रेफर किया गया, जहां कई दिनों तक डॉक्‍टरों की कोशिशों के बाद उसकी जान बचायी जा सकी। (क्रमश:)

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