चैनलों में तो पॉमेरियन चिल्‍लाते हैं। पनाग को सुनिये न

दोलत्ती

: गलवां में सैनिकों ने हथियार क्‍यों नहीं उठाया : पीएलए का हमला था सुनियोजित आक्रामक आक्रमण : लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने 14 साल पहले कहा था कि हथियार चलाये जाएं :
कुमार सौवीर
लखनऊ : न्‍यूज चैनलों पर गर्मागर्म और चटखारेदार कार्यक्रमों में आजकल जिस तरह रिटायर्ड सैनिक अफसरों की भीड़ शोर मचा रही है, उसकी तुलना बंद दरवाजे के भीतर उछलकूद करने और शोर मचाने वाले पॉमेरियन कुत्‍तों की बरबस याद आ जाती है। बेतुकी बातें और भड़काऊ नारे लगाते हैं यह बूढ़े-खूसट और खलिहर सैनिक अफसर। लेकिन इस शोरगुल में जैसे ही एक बुलडॉग ने दहाड़ मारी है, पूरा सन्‍नाटा फैल गया है। लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने साफ तौर पर कह दिया है कि गलवां हादसे में मोदी सरकार और सैन्य नेताओं के हाथों में सैनिकों का खून है। पीएम की दुविधा अब नेहरू जैसी ही है।
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग भले ही सर्वोच्‍च पद तक नहीं पहुंच सके, लेकिन देश की कई कमानों को कुशलतापूर्वक सम्‍भालने वाले पनाग की कार्यकुशलता का डंका पूरी मिलिट्री में है। लदाख में पैगांग झील के निकट गलवां घाटी में तीन दिन पहले चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों का जिस तरह नरसहंहार किया, उससे पनाग सदमे में हैं। उन्‍होंने इस हादसे बड़ी कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्त की है और इस हादसे में सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और देश के सैन्‍य नेतृत्‍व को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्‍होंने साफ कह दिया है कि भारतीय सैनिकों का खून मोदी सरकार और सैन्‍य नेतृत्‍व के हाथों पर लग गया है।
इतना ही नहीं, गलवां घाटी में सिर्फ बुरी तरह पिट जाने और एक कर्नल समेत बीस जांबाज सैनिकों की नृशंसतापूर्ण हुई हत्‍या पर पनाग ने कहा है कि सैनिकों को हथियार इसलिए नहीं दिये जाते हैं कि वे इस तरह पिट जाते रहें और कोई उनका कत्‍ल करता रहे। उनका कहना है कि हथियारों का इस्‍तेमाल केवल सामान्य समय-काल के दौरान तब होता है, जब सीमा पर पुलिसिंग और सीमा प्रबंधन की कार्रवाई चल रही हो। भारतीय सेना के नियमों के अनुसार, अगर जीवन या क्षेत्र खतरे में हैं, तो हथियार और यहां तक ​​कि तोपखाने का उपयोग किया जाना ही चाहिए।
पनाग का साफ कहना है कि गलवां में जो कुछ भी हुआ, वह सहज और सामान्‍य या हल्‍की-फुल्‍की झड़प नहीं थी। दरअसल, वह स्थिति पीएलए का एक सुनियोजित आक्रामक आक्रमण था। आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग सन 2007 उत्‍तरी कमान के प्रमुख थे। और यह आदेश उन्‍होंने अपने उस कार्यकाल के दौरान सैनिकों से होने वाली हर चर्चा में साफ-साफ कह दिया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर भी खासे गुस्‍से में हैं। वे पूछते हैं कि चीनी सैनिकों ने जब भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया तो ‘चीनियों पर गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गयी । इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘कोई अपना काम करने में नाकाम रहा ।’ मुख्यमंत्री ने यहां एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘वे वहां बैठ कर क्या कर रहे थे जबकि उनके साथी मारे जा रहे थे ।’ कैप्टन ने कहा कि अगर यूनिट के पास हथियार थे, जैसा कि अब दावा किया जा रहा है, तो यूनिट के उप कमांडर को उस वक्त गोली चलाने का आदेश देना चाहिये था जब कमांडिंग अधिकारी चीनियों के विश्वासघात के शिकार हुए।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘देश जानना चाहता है कि हमारे सैनिकों ने उस तरीके से जवाब क्यों नहीं दिया जैसा कि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है । अगर उनके पास हथियार थे तो उन्होंने गोली क्यों नहीं चलायी ।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं ही नहीं, प्रत्येक सैनिक और हर एक देशवासी जानना चाहता है कि क्या हुआ ।’ उन्होंने कहा कि वह इस घटना को बहुत गहराई से महसूस करते हैं, इस घटना ने हमारे खुफिया विभाग की विफलता को भी उजागर किया है ।’

 

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