पत्रकारिता सिर्फ रोटी नहीं, अभिव्‍यक्ति का माध्‍यम भी है

दोलत्ती


: न्‍यूज-रूम में अगर मैं होता तो दीपक चौरसिया को तमीज सिखा देता : लिखना और बोलना पहले पायदान पर, जबकि कूटना आखिरी पायदान पर : सुब्रत राय, विश्‍वेश्‍वर कुमार, यशवंत राणा, विवेक अवस्‍थी और विनोद शुक्‍ला की तरह हरकत कीजिए, जवाब फौरन दूंगा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : न्यूज़ नेशन चैनल में ग्रुप-डिस्कशन के दौरान एक वार्ताकार को दीपक चौरसिया ने “खाते हो हिंदुस्तान की और गाते हो पाकिस्तान की” तथा देशद्रोही कहते हुए कम्युनिस्टों को देशद्रोही करार दे दिया, जबकि वहां बैठे मौजूद बाकी सब खामोशी अख्तियार किये रहे, वह शर्मनाक है, घटियापन है और देश की आत्‍मा पर एक घातक हमला भी है। यह साबित भी करता है कि हम कितने खतरनाक मोड़ तक पहुंच गये हैं।
कसम से, अगर मैं वहां मौजूद होता तो इतने झांपड़ रसीद कर देता कि कई महीनों तक दीपक चौरसिया का चौखटा बिगड़ा ही रहता। 9 जुलाई, सन-84 को साप्ताहिक सहारा अखबार में सुब्रत राय की हरकतों के चलते हुई हड़ताल के दौरान सहारा-इंडिया वाले सुब्रत राय के छोटे भाई जयब्रत राय को इसी तरह कूटा था मैंने। उस वक्‍त लखनऊ ही, बल्कि पूरे मुल्‍क का मजदूर अशांत था, और सड़क पर था। मेरे आंदोलन में दूसरी फैक्ट्रियों से हजारों मजदूर नियमित रूप से पहुंचते थे, जैसे हम लोग उनके आंदोलन में कारसेवा करते थे। सुब्रत राय ने हमारे प्रेस में दो कम्‍पनी पीएसी लगा दी थी। इसके बावजूद मेरे साथ थी जोशीले मजदूरों की मौजूदगी वाली ताकत, मैंने उसी जोश में प्रेस में अपने साथियों के साथ बैठक कर रहे जयब्रत राय को उसके दफ्तर में घुस कर जमकर कूटा।
खासकर न्यूज़ चैनल में एंकर और संपादक लोग जिस तरह का व्यवहार जैसा संक्रमण आजकल फैला रहे हैं, उससे केवल इसी तरह से ही निपटा जा सकता है।
टिट फॉर टैट
मेरे ऐसे प्रयासों पर एक पाठक ने ऐतराज जताते हुए पूछा है कि आप तो कूटने को कह रहे हैं ,,, क्या यह सही पत्रकारिता है ?
इस पर मैंने साफ और दो-टूक जवाब दे दिया कि:- पत्रकारिता आप क्‍यों करते है, यह बताइये? मेरे लिए पत्रकारिता जीवन-यापन का माध्‍यम नहीं, बल्कि अभिव्‍यक्ति का कारण है। बहुआयामी अभिव्‍यक्ति। इसमें पढ़ना, समझना, लिखना और बोलना पहले पायदान पर होता है, जबकि कूटना आखिरी पायदान पर है। आपको कोई ऐतराज हो तो, सुब्रत राय, दीपक चौरसिया, विश्‍वेश्‍वर कुमार, यशवंत राणा, विवेक अवस्‍थी और विनोद शुक्‍ला की तरह का व्‍यवहार मुझसे करने की कोशिश कीजिए। मैं सीधे आखिरी पायदान तक पहुंचा दूंगा आपको।
बहरहाल, इस पोस्‍ट पर कई दिलचस्‍प कमेंट आये हैं, जिन पर मैंने जवाब भी दिया है। आप भी उन्‍हें देखना चाहें तो निहारिये न।
Laxmi Kant Pathak सौवीर दादा जिन्दाबाद
Vishal Ojha अब त दम नहीं किसी में मालिकान से बहस करने का…आप को सौ सलाम
Ajay Kumar Singh मैं भी वही करता। हाँथ तो गन्दा नहीं करता मगर जूते का इस्तेमाल जरूर करता।
Kumar Sauvir मैंने भी यही किया था। कॉलर से पकड़ा, झांपडों से जमीन पर पटका-गिराया, फिर जूता पहने-पहने ही उसको जम कर रौंद डाला। उस वक्‍त 40 रूपये में हंटर-शू पहनता था मैं, जो मिलिट्री वाले पहनते हैं। भारी-भरकम, लेकिन बेमिसाल मुफीद
Sufia Amin अगर आप कूटते तो जेल चले जाते
Kumar Sauvir वहां की भी यात्रा निपटा चुका हूं। ग्‍यारह महीनों तक।
Chandra Shekhar Mishra इतनी बेचैनी है भाई साहब आप को सिर्फ
Kumar Sauvir क्‍योंकि हम आपको बचाना चाहते हैं।
Varsha Chaturvedi Baapu deepak chaurasiya ne galt kya kaha???sahi to kaha…
Kumar Sauvir मनगढ़ंत घेरों से बाहर निकलो, फिर पता चल जाएगा कि असली देशद्रोही कौन है। यह लोग भी ठीक उसी तरह हैं, जैसे हाफिज सईद जैसे आतंकवादी। फर्क सिर्फ इतना है‍कि सईद जैसे लोग अपने को बडा साबित करने के लिए भूखों की भीड़ जुटाते हैं, जबकि सुधीर और दीपक चौरि‍सिया जैसे लोग केवल अपना ही पेट भरते हैं।
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Varsha Chaturvedi Kumar Sauvir baapu kartey to hindu or hindustaan ki he baat h naki desh ko kbjiyaney ki baat krtey h…
Rakesh Kumar महाराज क्षमा कीजियेगा ,देश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति देश की बुराई और पाकिस्तान की बड़ाई करे तो उसके साथ सभ्यता से बात बील्कुल नही करना चाहिए,दीपक चौरसिया जी ने जो किया सही किया
Kumar Sauvir खुद की कमी, और दूसरों की अच्‍छाई ही देखनी चाहिए। इसी प्रक्रिया को आत्‍मविष्‍लेशण कहा जाता है
Syed Akhtar Ali शाहीन बाग में हुई बेइज़्ज़ती ने इसके दिमाग का तनाज़ुल बिगाड़ दिया है।
Kumar Sauvir मूर्ख है
Ramprakash Tripathy चीन का कमांडर हमारा कमांडर। यह नारा आरएसएस ने लगाया होगा 1962 में।
Kumar Sauvir पता नहीं
Santosh Chaturvedi एक हज़ार वीरों की कुटाई करने वाले सौ-वीर…
Kumar Sauvir शुक्रिया
Zaidi Babloo Sir zindabad…
Kumar Sauvir शुक्रिया
R.p. Singh Bilkul sahi kuchh ankor to aise behave karte hain lagta hai kisi party k chhut bhaiye neta hain
Kumar Sauvir हगने के बाद खुद का ि‍पिछवाड़े को धोने का शऊर नहीं, और नेताओंं का अंग-विशेष थामने की होड़ करते हैं सुधीर और दीपक जैसे पत्रकार
R.p. Singhअभी सक्रिय है
R.p. Singh Kumar Sauvir Yes, Absolutely right
Suresh Salil शानदार
Kumar Sauvir सादर चरण स्‍पर्श
Ramesh Chandra Rai ग्रुप डिस्कशन में चूतिये ज्यादा रहते हैं। हम तो मिलने पर कभी भी उसे कूट देंगे। चौरसिया खुद देशद्रोही है। दल्ला है।
Kumar Sauvir बहुत खूब। जोश मस्‍त है
MD Javed बेहद घटिया-बेहद शर्मनाक?
(कुकर-झौंझौं) शर्म-शर्म…?
यह ऐंकर पार्टी ही बन जा रहे हैं..?
Pramod Kumar Dixit आपका देशद्रोहियों का पक्ष बहुत मजबूती से रखना शायद गर्व की बात होगी और कोई दूसरा आपके विचारों का हो नहीं सकता अगर इसी जगह आप देश के विरोध में बोलने वाले को कुछ कहते तो शायद आपकी छवि पर कोई शंका करता आपने अपना हिसाब एकदम ठीक ही रखा कभी कश्मीर चले जाइये और एक आध साल गुजर के आइये हो सकता कि कुछ परिवर्तन हो जाय लेकिन विचारण से इतने मजबूत हैं आप की मजबूती से अल्लाह के बंदे भी शर्मा जाय वैसे एंकरों का व्यवहार तो बाकी के संदर्भों में कभी कभी निम्न स्तर ही जाता है लेकिन उ को कूटना या कूटने की बात करना भी ?
Kumar Sauvir देशप्रेम की रजिस्‍ट्री अपने नाम पर आपने ही करा रखी है क्‍या। जिस देशप्रेम का गढढ़ा आपने खोदा है, उसमें ही एक दिन खुद ही आप लोग गिरेंगे। कश्‍मीर तो आप गये नहीं होंगे न। और गये भी होंगे तो केवल सिटियाबाजी के लिए ही गये होंगे न। मैं दो बार कश्‍मीर से होते लेह-लदाख जा चुका हूं। बाइक से। जरा खुद में झांक कर देखिये ‍कि पूर्वोत्‍तर की क्‍या हालत कर दी है आपने। उन इलाके में तो आपकी हिम्‍मत भी नहीं होगी जाने में। और आप बाते् करते हैं कश्‍मीर की। उन राज्‍यों का नाम तक नहीं जानते होंगे आप दीक्षित जी। वे आपको पसंद करना तो दूर, आपसे घृणा करते हैं। जैसे आप मुसलमानों से करते हैं। एक बार गांधी की तरह देश का भ्रमण कर लीजिए, बड़ी मेहरबानी होगी। वरना देश-प्रेम देशप्रेम बकते-बकते ही आपके प्राण निकलेंगे। रही बात कूटने की, तो यह महान सत्‍कर्म मैं अब तक तीन संपादकों के साथ निपटा चुका हं।
Anil Janvijay मारो, साले को !
Kumar Sauvir मारो सौ, और गिनो एक। भूल जाओ तो नये सिरे से गिनो
Devesh Shukla पाकिस्तान jindabad वालो से इतना प्यार क्यों है sir?
Kumar Sauvir क्‍योंकि वे सच बोल रहे हैं, जबकि आप ‍या तो सिर्फ हवा में हैं या सिर्फ झूठ बोलते रहते हैं।
Ravi Verma communist desh ke nasoor ban chuke hain ye deemak ka kam karte hain desh ko khokhla kar rahe hain vo bat alag hai ki patrakar ko sayam rakhna chahiye.
Kumar Sauvir कोई भी युद्ध हार या जीत के लिए ही नहीं पहचाना जाता है। आज कम्‍युनिस्‍ट भले ही कमजोर हों, लेकिन आज आज विचारधारा इस देश की है, उसमें 40 फीसदी का योगदान वामपंथियों का ही रहा है। जिसे अब यह भगवा-दल नष्‍ट करने पर आमादा हैं।
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Syed Faizur Rahman Sufi आपकी बात निराली है सर
Kumar Sauvir अरे कहां हो फैज, अक्‍सर याद आते रहते हो।
Sanjeev Pathak चौरसियवा इकल्ला हरामी नहीं हैगा, अमिषवा औ सुधिरवा ई से भी बड़के हैंगे
कबहू बुलाओ सारेन का जीपीओ वाले पारिक मा इनके बैकग्राउंड की तरफ से ट्रीटमेंट किया जाए
Kumar Sauvir ढप्‍पर-ढप्‍पर ढोंय ढोंय
Gyanesh Pathak दीपक ने सही कहा
Surya Prasad वह पत्रकार नहीं दल्ला है।
Kumar Sauvir सम्‍पूर्णता के साथ
Sandeep Mishra आप तो कूटने को कह रहे हैं ,,, क्या यह सही पत्रकारिता है ?
Kumar Sauvir पत्रकारिता आप क्‍यों करते है, यह बताइये। मेरे लिए पत्रकारिता जीवन-यापन का माध्‍यम नहीं, बल्कि अभिव्‍यक्ति का कारण है। बहुआयामी अभिव्‍यक्ति। इसमें लिखना पहले पायदान पर होता है, जबकि कूटना आखिरी पायदान पर है। आपको कोई ऐतराज हो तो, सुब्रत राय, दीपक चौरसिया, विश्‍वेश्‍वर कुमार, यशवंत राणा, विवेक अवस्‍थी और विनोद शुक्‍ला की तरह का व्‍यवहार मुझसे करने की कोशिश कीजिए। मैं सीधे आखिरी पायदान तक पहुंचा दूंगा आपको।
Pawan Singh जाने दीजिए भाई, सबकी अपनी पीड़ा होती है। आपने हिन्दुस्तान में रहते हुए एक शब्द गढ़ा था जो सालों तक चला। वैसे दीपक चौरसिया को शाहीन बाग में कूटने का प्रयास हुआ था। शायद वही याद आया होगा तो दिल की बात जुबां पर आ गई होगी।

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