सिर्फ प्रेम कीजिए, फिर देखिएगा कि आपका बच्चा दुनिया भी जीत लेगा

बिटिया खबर

: सिंगापुर के प्रिंसिपल ने परीक्षा से पहले भेजा बच्चों के अभिभावकों को एक नायाब पत्र : अपने बच्‍चे को बताइये कि परीक्षा में कम अंक पाना और उससे आपका प्रेम करना अलग-अलग बातें हैं : आप अपने बच्‍चों से प्रेम कीजिए, उनके अंकों से नहीं :

चंद्र प्रकाश मिश्र

सिंगापुर : स्‍कूल, टीचर, छात्र और अभिभावकों के बीच एक अद्भुत रिश्‍ता होता है। और इस तन्‍तु को जोड़ने-विकसित करने में शिक्षक और अभिभावकों के बीच परस्‍पर समझ की सख्‍त जरूरत होती है। स्‍कूल भेजने का मकसद यह नहीं होता कि अभिभावक का बच्‍चा बिलकुल मिट्टी का लोंदा है, जिसे ठोंक-पीट कर कोई आकार दिया जा सकता है। बल्कि सच बात तो यह है कि किसी भी बच्‍चे को उसके सभी गुणों का विकास कर उसे वाकई एक नायाब इंसान के तौर पर तैयार करने का अनुष्‍ठान होता है, जिसमें संवेदनाएं सर्वोच्‍च होती है और आधारभूत होती हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इसमें स्‍कूल का माहौल सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन उससे ज्‍यादा जिम्‍मेदारी तो एक शिक्षक निभाता है, और इसके मूल में होता है बच्‍चे का अभिभावक।

हम सभी ने अमेरिका के राष्‍ट्रपति अब्राहम लिंकन का वह पत्र तो खूब पढ़ा होगा, जिसमें उन्‍होंने अपने बच्‍चे के शिक्षक से क्‍या-क्‍या अपेक्षाएं कीं, लेकिन अब आइये देखिये-पढि़ये वह पत्र, जिसे सिंगापुर में परीक्षा से पहले वहां के प्रिंसिपल ने स्‍कूली बच्चों के अभिभावकों को भेजा है:-

“डियर पैरेंट्स,

मैं जानता हूं आप इसको लेकर बहुत बेचैन हैं कि आपका बेटा इम्तिहान में अच्छा प्रदर्शन करें।

लेकिन ध्यान रखें कि यह बच्चे जो इम्तिहान दे रहे हैं इनमें भविष्य के अच्छे कलाकार भी हैं जिन्हें गणित समझने की बिल्कुल जरूरत नहीं,

इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि भी बैठे हैं, जिन्हें इंग्लिश लिटरेचर और इतिहास समझने की जरूरत नहीं है।

इन बच्चों में भविष्य के बड़े-बड़े संगीतकार भी हैं जिनकी नजर में केमिस्ट्री के कम अंकों का कोई महत्व नहीं।

इन सबका इनके भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ने वाला इन बच्चों में भविष्य के एथलीट्स भी हैं जिनकी नजर में उनके मार्क्स से ज्यादा उन की फिटनेस जरूरी है।

लिहाजा अगर आपका बच्चा ज्यादा नंबर लाता है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर वह ज्यादा नंबर नहीं ला सका तो तो आप बच्चे से उसका आत्मविश्वास और उसका स्वाभिमान ना छीन ले।

अगर वह अच्छे नंबर ना ला सके तो आप उन्हें हौसला दीजिएगा की कोई बात नहीं यह एक छोटा सा इम्तिहान है।

वह तो जिंदगी में इससे भी कुछ बड़ा करने के लिए बनाए गए हैं।

अगर वह कम मार्क्स लाते हैं तो आप उन्हें बता दें कि आप फिर भी इनसे प्यार करते हैं और आप उन्हें उन के कम अंको की वजह से जज नहीं करेंगे।

ईश्वर के लिए ऐसा ही कीजिएगा और जब आप ऐसा करेंगे फिर देखिएगा कि आपका बच्चा दुनिया भी जीत लेगा।

एक इम्तिहान और कम नंबर आपके बच्चे से इसके सपने और इसका टैलेंट नहीं छीन सकते।

और हां प्लीज ऐसा मत सोचिएगा कि इस दुनिया में सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर ही खुश रहते हैं।

“अपने बच्चों को एक. अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दीजिये।

केवल अंक ही बच्चों की योग्यता का मापदंड नही हैं।

आपका प्रिंसिपल

सिंगापुर के एक स्‍कूल के प्रिंसिपल का यह पत्र हमें उप्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे चंद्र प्रकाश मिश्र की एफबी वाल से मिला है। श्री मिश्र की पहचान लेखक, चिंतक ही नहीं, बल्कि एक कुशल फोटोग्राफर की भी है।

(अपने आसपास पसरी-पसरती दलाली, अराजकता, लूट, भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। समाज में आपके आसपास होने वाली कोई भी सुखद या  घटना भी मेरी बिटिया डॉट कॉम की सुर्खिया बन सकती है। चाहे वह स्‍त्री सशक्तीकरण से जुड़ी हो, या फिर बच्‍चों अथवा वृद्धों से केंद्रित हो। हर शख्‍स बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

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