सीबीआई का चीफ न बनने से बेशर्मी पर आमादा जावीद अहमद। लिखा, ‘एम’ होना गुनाह

बिटिया खबर
: बड़े दारोगा की करतूत, पहले तो जातिवाद फिर भगोड़ा : सपा सरकार में यूपी के डीजीपी रहे जावीद को अब जातिवाद का दंश सालने लगा : बड़े दारोगाओं के वाट्सऐप ग्रुप पर पढ़ा ऐलान-ए-मर्सिया, ‘अल्लाह की मर्जी… ‘एम’ होना गुनाह है।’ : कई सीनियर को सुपरसीड कर सपा सरकार ने बनाया था डीजीपी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : ज्‍यों-ज्‍यों लोकसभा चुनाव का बजर सुनायी पड़ने लगा है, यूपी के बड़े बाबू और बड़े दारोगा यानी आईएएस और आईएएस अफसर जातिवादी और साम्‍प्रदायिक का जामा पहनने लगा हैं। कोई अपनी पूरी बेशर्मी से अपनी बेईमानियों को राजनीतिक दांवों में फंसाने में खुद को निर्दोष साबित करना चाहता है, तो कोई अपनी नाकामियों को सांप्रदायिक लुंगी लपेट कर मर्सिया पढ़ने में मशगूल हो गया है।

ताजा मामला है यूपी के एक सीनियर बड़े दारोगा और यूपी के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद का। वे काफी वक्‍त पहले सीबीआई में संयुक्‍त निदेशक भी रह चुके हैं। एमपी कैडर के आरके शुक्‍ला को नया सीबीआई चीफ बनाये जाने पर उन्‍होंने अपनी सांप्रदायिक पीड़ा जग-जाहिर कर दी है। अपने बड़े दारोगाओं के वाट्सऐप पर उन्‍होंने एक मैसेज भेजा है जिसमें मर्सिया के तौर पर उन्‍होंने खुद को मुसलमान होने के गुनाह की सजा भुगतने जैसा संकेत दिया है। आईपीएस अफसरों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में उन्होंने खुद को सीबीआई निदेशक न बनाए जाने की वजह उनका मुसलमान होना बताया। उन्होंने ग्रुप में कमेंट किया कि ‘अल्लाह की मर्जी… बुरा तो लगता है पर ‘एम’ होना गुनाह है।’ हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने कॉमेंट को डिलीट कर दिया, लेकिन पहले की ग्रुप में शामिल किसी शख्स ने स्क्रीनशॉट लेकर कॉमेंट को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक आईपीएस ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई चीफ बनाए जाने का मेसेज शनिवार शाम करीब 5:40 बजे इस वॉट्सऐप ग्रुप में पोस्ट हुआ। इसके बाद 7:02 बजे जावीद अहमद का दर्द झलक पड़ा, उन्‍होंने अपने दर्द को सीधे-सीधे सांप्रदायिक सोच से जोड़ दिया और लिख दिया कि ‘अल्लाह की मर्जी… बुरा तो लगता है पर ‘एम’ होना गुनाह है।’

यह कमेंट होते ही उनकी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, तो हंगामा खड़ा हो गया। इससे घबराये जावीद हड़बड़ाये और उन्‍होंने अपना वह कमेंट डिलीट कर दिया। लेकिन नभाटा की खबर के मुताबिक ग्रुप से जुड़े एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि कर दी कि जावीद अहमद ने ग्रुप में कॉमेंट किया था।

आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में यूपी के डीजीपी रहे जावीद अहमद और सीबीआई निदेशक की रेस में रहे थे।  जावीद इस वक्‍त केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलजी ऐंड फरेंसिक साइंस के डीजी हैं। लेकिन सन-16 में अखिलेश सरकार में जब उन्‍हें डीजीपी बनाया गया था, तो उस वक्‍त कई वरिष्‍ठ आईपीएस अफसरों को सुपरसीड कर यह कुर्सी थमायी दी गयी थी। 1979 बैच के रंजन द्विवेदी, 1980 बैच के सुलखान सिंह और 1982 बैच के वीके गुप्ता वगैरह इनमें शामिल थे। 2017 में योगी सरकार आने पर उन्हें डीजी पीएसी बनाकर डीजीपी की कुर्सी सुलखान सिंह को सौंप दी गई थी।

आपको बता दें कि इसके पहले यूपी कैडर की आईएएस अफसर बी चंद्रकला ने अवैध खनन के मामले में सीबीआई और ईडी में दर्ज मामलों पर यह कहते हुए राजनीतिक टिप्‍पणी कर दी थी कि उन पर चल रही कार्रवाई चुनावी हरकतें हैं।

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