: अपराधियों को शरण, और अपराध पर हल्ला। यह कौन सी राजनीति है अखिलेश बाबू : बुलन्दशहर की घटना तो सपाई विजिटिंग कार्ड है, क्या समझे : इस हादसे से साफ है कि सपा सरकार के हर कोने में आपराधिक खोखलापन भरा पड़ा है : अधिकांश मंत्रियों की संलिप्तता है अपराधियों के साथ :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सरकार में बैठी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जिस दिन अपना मैनीफेस्टो का मतलब समझा दिया, उसी दिन यह समझ में आ गया था कि अब कयामत आने वाली है। हर सच को झूठ और हर झूठ को सच बनाने में माहिर समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के अन्तिम वक्त बुलन्दशहर में एक रोंगटे खड़े कर देने वाला हादसा साबित करता है कि इस सरकार के हर कोने में आपराधिक खोखलापन है। हालांकि आज सुबह अखिेलेश यादव ने मुख्य सचिव और डीजीपी को हुक्म दिया है कि इस मामले में अपराधियों को तत्काल दबोचा जाए, लेकिन उनके ऐसे हुक्म की असलियत से पूरी तरह वाकिफ लोगों को ऐसे हुक्मों पर तनिक भी भरोसा नहीं।
जिनकी याददाश्त ठीक है, वे जानते हैं कि हर बार समाजवादी पार्टी के आने के साथ ही अपराधियों की पौ-बारह हो जाती है, जैसे आम के पेड़ों पर बौर। आप चार साल पहले उस हादसा को याद कीजिए जो सुल्तानपुर में हुआ था। अपराधियों के संरक्षक बने एक मंत्री ने अपराधियों के लोगों को उकसाया और फैजाबाद मार्ग पर जाम लगा दिया। तोड़फोड शुरू हुई। एसपी और डीएम मौके पर पहुंचे, तो भीड़ ने डीएम की कार को गोमती नदी में ठेल दिया। चर्चाओं के अनुसार इन लोगों की जुटान में सपा सरकार के एक मंत्री शंखलाल मांझी का इशारा था। यह लोग दिल्ली के एक युवा उद्योगपति के साथ रात में हुई लूट में पकड़े गये अपराधियों के समर्थन में जाम लगाये थे।
मेरठ में एक शिक्षिका का दो नेताओं ने जमकर देह-शोषण किया, खुद भी और अपने आकाओं को खुश करने के लिए भी। आज यह दोनों ही समाजवादी पार्टी के मंत्री हैं। लेकिन कविता चौधरी का कत्ल हो चुका है। वजह यह कि उस अपनी देह की कीमत वसूलने के लिए खुद ही राजनीति में आना चाहती थी। जैसे उन नेताओं ने उसे फांसने के लिए जाल फैलाया था, ठीक उसी तर्ज में कविता चौधरी भी अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए इन नेताओं को फांसने के लिए जाल बुनने की तैयारी कर चुकी थी। बस यही कोशिश उसके लिए काल बन गयी।
पुलिस अफसर अमिताभ ठाकुर को फांसने के लिए मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने दो महिलाओं को ठेका दिया और यह आरोप जडवा दिया कि अमिताभ ठाकुर ने उन युवतियों का देह-शोषण किया है। बात खुल गयी तो सरकार ने उस पर कार्रवाई करने के बजाय अमिताभ ठाकुर पर ही फंदा कसना शुरू कर दिया। समाजवादी पार्टी को खूब पता था कि सीतापुर का विधायक अवैध निर्माण और जमीनों पर नाजायज कब्जा किये है, लेकिन सरकार उसे प्रश्रय देती रही। लेकिन जब उसने एक बार अपने पंख फड़फड़ाने की कोशिश की, तो सरकार के इशारे पर पुलिस और प्रशासन ने उसे मटियामेट कर दिया।
शाहजहांपुर के जाबांज पत्रकार जागेन्द्र सिंह ने जब वहां के मंत्री राममूर्ति वर्मा का कच्चा-चिट्ठा खोलना शुरू किया तो उस मंत्री के इशारे पर पुलिस ने एक दिन उसे भरे शहर में जिन्दा फूंक डाला। उस हादसे से पहले और मरने के पहले जागेन्द्र सिंह ने वीडियो पर अपना बयान दिया था कि उसे मार डालने में जुटे हैं मंत्री राममूर्ति वर्मा। लेकिन पुलिस ने जागेन्द्र सिंह के बयान पर ध्यान तक नहीं दिया। इतना ही नहीं, मीडिया चिल्लाती रही, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। और आज भी राममूर्ति वर्मा अपनी पूरी रंगबाजी और धमक के साथ सरकार में जमा हुआ है।
इसके अगले अंक में हम आपको बतायेंगे कि अखिलेश सरकार की संवेदनहीनता
और अपराधी-परस्त नीतियों के चलते पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने क्या-क्या गुल