यूपी पापी-क्षेत्र, खुद को मर्द का दम्‍भ भरने वालों पर थू

सैड सांग

: झारखंड में एक हादसा सामूहिक बलात्‍कार हुआ तो नागरिक सड़क पर जम गये : आक्रोश को थामने के लिए बोकारो में कर्फ्यू तक लगाया गया था 15 साल पहले : यूपी में हर जिले में हो रहा है कुकर्म, झारखण्‍ड में नागरिक चेतना है :

डॉ राजदुलारी

बोकारो ( झारखण्‍ड ) : एक बात कहूँ…. बलात्कार सिर्फ एक लड़की का नहीं, बल्कि उन लोगों का भी होता है, जो समाज में मर्द होने का दंभ भरते हैं। थू है इन पर।

जी हाँ, उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से बलात्कार की घटनाएँ घट रही हैं, उससे पूरी मानवता शर्मसार है। कुशीनगर, बुलंदशहर और हापुड़ की बलात्कार की घटनाओं की चर्चा संसद से लेकर सड़क तक ऐसे हो रही है, जैसे मुँह में रखकर पान चबाया जा रहा हो। थू है अखिलेश सरकार पर। न सुरक्षा, न कानून, न व्यवस्था, किस अधार पर सरकार अपनी उपलब्धियों पर दंभ भरती है ? बेलगाम पुलिस और अपराधियों की मिलीभगत से  महिलाएँ त्रस्त हैं इतने बड़े प्रदेश का मुखिया, किन्तु कर्तव्यनिष्ठा के नाम पर नपुंसक। इस दृष्टिकोण से हमारा झारखण्ड इतनी बदहाल स्थिति में नहीं है।

मुझे याद आ रही है बोकारो में घटित बहुचर्चित मोनिका बलात्कार कांड की जिसके बाद पुरे शहर की जनता ने इतनी तीव्र प्रतिक्रिया और आक्रोश जाहिर किया था कि पुलिस, प्रशासन और सरकार के पैरों तले की जमीन सरक गई थी। 5 अप्रैल 1999 को बोकारो इस्पात संयंत्र के अधिकारी की पुत्री, स्कूली छात्रा मोनिका का अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म निकटवर्ती गाँव भर्रा के युवकों के द्वारा किया गया था I इस शर्मनाक घटना में पुरे गाँव के साथ-साथ तत्कालीन पुलिस DSP का भतीजा भी शामिल था। बाद में मरणासन्न छात्रा को विक्षिप्त अवस्था में बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

घटना की जानकारी मिलते पूरे शहर में आगजनी फैल गई और प्रशासन को स्थिति को काबू में रखने के लिए सप्ताह भर कर्फ्यू लगानी पड़ी। वहीँ निचली अदालत ने 22 दोषियों को तुरंत कार्यवाई करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिसपर पिछले महीने झारखण्ड हाई कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी। मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह और न्यायाधीश पी पी भट्ट की खंडपीठ ने इस ऐतिहासिक फैसले को बरकरार रखा। ऐसा इसलिए भी संभव हो पाया की जनता ने अपनी आवाज बुलंद रखी थी। किन्तु समस्या का समाधान सिर्फ यहीं नहीं हो जाता।

क्या उत्तर प्रदेश में बलात्कार के रूप में होने वाले नंगे नाच को इस घटना से कोई सबक मिल सकता है ? शायद यहाँ की जनता भी मुखिया के साथ कर्तव्यहीनता का शिकार हो गई है। वरना जिनके हाथों में सारी शक्तियां केन्द्रित हों वह कुछ न कर पाए ?

घोर आश्चर्य है।

(डॉ राजदुलारी एक शिक्षिका हैं। वे सोशल साइट्स पर भी अपनी तीखी आवाज उठाने के लिए प्रसिद्ध हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *