हाईकोर्ट में मौत: बेचैन सवालों के जवाब खामोश, रमेश पांडेय स्‍मृति-शेष

बिटिया खबर

: चर्चा कि अपर महाधिवक्‍ता रमेश कुमार सिंह से उनकी जोरदार झड़प हुई : सीएससी बनने से पहले से ही रमेश पांडेय की प्रैक्टिस अच्‍छी थी, तरन्‍नुम में जीते-रमते थे : रमेश सिंह बोले कि बिल जैसे मामले से कोई ताल्‍लुक नहीं :

कुमार सौवीर
लखनऊ : भाजपाई-निष्‍ठा रखने वाले प्रदेश के मुख्‍य स्‍थाई अधिवक्‍ता रह चुके रमेश चंद्र पांडेय की सांसें भले ही थम चुकी हों, लेकिन उनको लेकर चर्चाओं वालीविशालकाय लहरें आज भी भयावह तरीके से उछल-कूद कर रही हैं। संशय के काले बादल छाये हुए हैं, असमंजस की ऊबड़-खाबड़ जमीन गहराती जा रही है, दमघोंटू माहौल तारी होता जा रहा है, लेकिन इससे निपटने वाली सड़क को खोजने की कोशिश नहीं दिख रही है। हैरत की बात है कि इस मामले में संदेहों में घिरते जा रहे पदाधिकारी भी खामोश हैं, या फिर चर्चा करने से बच रहे हैं।
रमेश का हाईकोर्ट परिसर की चार मंजिली इमारत से कूद कर आत्‍महत्‍या करने की घटना से पूरा बार और न्‍याय-परिसर में हड़कम्‍प मचा गया है। तरह-तरह की चर्चाएं और अफवाहें चल रही हैं। लेकिन सबसे प्रमुख सवाल तो रमेश पांडेय के उस फैसले को लेकर उछाला जा रहा है, जिसमें रमेश पांडेय ने चंद पहले मुख्‍य स्‍थाई अधिवक्‍ता के पद से इस्‍तीफा दिया था। सवाल यह है कि आखिर वह कौन वजह थी जिससे सीएससी पद से उन्‍होंने इस्‍तीफा दिया। आपको बता दें कि सीएससी बनने से पहले से ही रमेश पांडेय की प्रैक्टिस अच्‍छी-खासी चलती थी। और सीएससी बनने के बाद भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। वे अपने उसी पुराने तरन्‍नुम में जीते-रमते रहे। अंदाज, लहजा, और जीवन शैली पहले जैसी ही रही।
ऐसे में सवाल यह है कि रमेश ने यह पद क्‍यों अपनाया और अगर अपनाया भी तो उसे बाद में ठुकराया क्‍यों। क्‍या वजहें रहीं जो उन्‍होंने इस्‍तीफा दिया। एक चर्चा चल रही है कि अपर अधिवक्‍ता रमेश कुमार सिंह से उनकी जोरदार झड़प हुई थी। दूसरी चर्चा यह है कि अपनी बीमारी के दौरान उन्‍होंने बिल भुगतान जो प्रस्‍तुत कराया था, उसको लेकर कोई विवाद था, जिसको लेकर रमेश पांडेय की रमेश कुमार सिंह से खासा विवाद हो गया था और यह विवाद इतना बढ़ा कि रमेश पांडेय ने मुख्‍य स्‍थाई अधिवक्‍ता के पद से ही इस्‍तीफा दे डाला।
इस बारे में दोलत्‍ती संवाददाता ने प्रदेश के अपर महाधिवक्‍ता रमेश कुमार सिंह से बातचीत की। हालांकि सामान्‍य तौर पर रमेश कुमार सिंह का व्‍यवहार हमेशा काफी तल्‍ख रहता है, और वे इसके लिए बहुत चर्चित भी हैं। लेकिन रमेश पांडेय की मौत को लेकर वह बहुत दुखी थे। रमेश कुमार सिंह ने बताया कि रमेश पांडेय और उनके सम्‍बन्‍ध एक जूनियर-सीनियर ही नहीं, बल्कि हमपेशा होने के चलते परस्‍पर सम्‍मान और मृदुता वाले थे। ऐसे में सामान्‍य और सरकारी कामकाज भी सहज भाव में चलता था। इन हालात में रमेश कुमार सिंह किसी भी तरह रमेश पांडेय के साथ झड़प कैसे कर सकते थे। रमेश सिंह ने यह भी स्‍पष्‍ट किया कि बिल भुगतान जैसे किसी भी प्रकरण से उनका कोई ताल्‍लुक ही नहीं है, क्‍योंकि यह काम वे नहीं बल्कि महाधिवक्‍ता ही देखते हैं।
दोलत्‍ती संवाददाता ने इस मसले की जड़ तक पहुंचने के लिए कई बार महाधिवक्‍ता राघवेंद्र सिंह से सम्‍पर्क करने की कोशिश की। लेकिन उनका मोबाइल एक बार को छोड़ कर लगातार नहीं उठा। एक बार जब यह फोन उठा भी तो फोन उठाने वाले ने बताया कि साहब अभी बाहर कहीं गये हैं। फोन उठाने वाले का परिचय पूछने पर बताया कि वह एजी साहब, यानी एडवोकेट-जनरल का चपरासी है। उस व्‍यक्ति ने आधे घंटे बाद दोबारा फोन करने की सलाह दी। लेकिन उसके बाद एक भी फोन नहीं उठ पाया।

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