बेटी ! दो ही रास्‍ते हैं। जूझो, या बिक जाओ

दोलत्ती

: कुमार सौवीर ने लिखी महिला वकील नेहा मिश्रा को चिट्ठी : नेहा ने एक बड़े सरकारी वकील पर लगाया बलात्‍कार का आरोप : चर्चाएं यह कि झगड़ा मकान को लेकर :

कुमार सौवीर

लखनऊ : प्रिय नेहा मिश्रा। तुमने एफआईआर दर्ज करायी है लखनऊ हाईकोर्ट के एक एडीशनल सीएससी शैलेंद्र सिंह चौहान पर। तुम्‍हारा आरोप है कि तुमको नशीला पेय पिला कर तुम्‍हारे साथ बलात्‍कार किया गया। यह बलात्‍कार शैलेंद्र सिंह चौहान ने अपने चैम्‍बर में किया, जैसा तुमने लिखा है। इस मामले में आरोपित की गिरफ्तारी को हाईकोर्ट ने चार हफ्ते के लिए स्‍टे कर दिया है। इस अवधि में शैलेंद्र चौहान को गिरफ्तार नहीं किया जाए। हालांकि विधि-व्‍यवसाय में नामचीन लोगों की राय है कि इस तरह के स्‍टे ऑर्डर की उम्र आजीवन होती है। उधर दूसरी ओर इस मामले पर आरोप लगाते हुए ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि तुमने एक साजिश के तहत शैलेंद्र सिंह चौहान पर मुकदमा दायर किया है। ऐसी चर्चाओं के मुताबिक तुमको शैलेंद्र सिंह चौहान की सम्‍पत्ति चाहिए थी, जो न मिल पाने के बाद तुमने यह मुकदमा दर्ज कर दिया।

मैं नहीं जानता हूं कि तुमको लेकर चल रही ऐसी चर्चाओं की सचाई क्‍या और कितनी है। लेकिन इतना तो तय ही है कि तुम्‍हें ही अब इस समस्‍या का समाधान खोजना होगा, साबित करना पड़ेगा कि तुम क्‍या हो। अपने फैसले तुम को ही लेने होंगे, और वह फैसला ही तय करेगा कि तुम्‍हारा भविष्‍य कैसा होगा। कारण यह कि मुम्‍हारा फैसला ही तय करेगा कि तुम्‍हें किस तरह समाज में किस तरह का व्‍यवहार करना होगा, और उसका मूल्‍य क्‍या होगा।

मैं यह भी नहीं जानता कि तुम्‍हें अदालती कामकाज और वहां बैठे मठाधीशों के व्‍यवहार, रवैया या अदालतों के बाहर होने वाली हरकतों के बारे में कोई जानकारी है भी, या नहीं। लेकिन अपनी बात कहने से पहले मैं तुम्‍हें कुछ जानकारियां बांट लेना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि तुम इस वक्‍त गम्‍भीर तनावों से जूझ रही होगी, लेकिन मेरी बातें शायद तम्‍हारी भावनाओं को शांत कर सकें।

मैं तो इस मसले पर विभिन्‍न क्षेत्रों से छन कर आ रही सूचनाओं के आधार पर तुम्‍हारे एक्‍शन-प्‍लान की बात करना चाहता हूं, जिसे तुम अपनाओगी। खास तौर पर दो दिशाओं पर। उसके बाद ही यह तय होगा कि तुम्‍हारा भविष्‍य कैसा होगा। लेकिन मैं तो इन दोनों दिशाओं के सम्‍भावित परिणामों से तुम्‍हें अवगत कराना चाहता हूं।

पहली दिशा तो यह है, जैसा कि तुम्‍हारे बारे में विपरीत और आक्षेपजनक आरोप लगाये जा रहे हैं। इन आरोपों के तहत शैलेंद्र ने नहीं, बल्कि तुमने ही शैलेंद्र चौहान का साजिश करके उसे फंसाया और झूठे मामले में उस पर मुकदमा दर्ज कराया। मकसद था वह तथाकथित मकान अथवा चैम्‍बर, जो चर्चाओं के अनुसार, तुम झटकना चाहती हो। अगर यह आरोप सच है, तो मेरी राय है कि इस मामले को यहीं खत्‍म कर दो। ऐसी हरकतें एक जहरीले नशे की तरह होती हैं। अगर कोई डील तुम लोगों में हुई, तो यकीन मानो कि उसका खुलासा आखिरकार होगा ही जरूर। उसके बाद न तुम घर की रह पाओगी, और न ही घाट की। फिर जिन्‍दगी भर वकालत कर पाना तुम्‍हारे वश की बात नहीं रह जाएगी। हर बार एक नये शिकार को तलाशना तुम्‍हारा व्‍यवसाय बन जाएगा। तुम मुअक्किल के वकील नहीं, बल्कि खुद मुअक्किल बन कर अपने मुकदमों के लिए आखिरी दम तक वकीलों की खोज में जुटी रहोगी। और हां, समाज में तुम्‍हारी कोई भी इज्‍जत नहीं रह पायेगी। तुम्‍हारी शादी में भी लाख अड़चनें आयेंगी। और अगर शादी हो भी गयी, तो तुम्‍हारा दाम्‍प‍त्‍य जीवन भी संकट में रहेगा। सड़क पर लांछन भी खूब और हमेशा पड़ते रहेंगे।

और दूसरी दिशा तो यह है कि अगर तुम को जानबूझ कर फंसा कर तुम्‍हारा बलात्‍कार किया गया है, तो ऐसे बलात्‍कारी को सबक सिखाना तुम्‍हारे जीवन का ध्‍येय बन जाना तुम्‍हारा धर्म होना चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए, हर परिस्थिति में भी तुम्‍हें अपने लिए न्‍याय हासिल करने का होश और जोश होना चाहिए। किसी भी लालच, स्‍वार्थ और उत्‍कोच को झटक देना। सिर्फ दोषी को दंडित कराना ही तुम्‍हारा ध्‍येय होना चाहिए। हालांकि शुरुआती दौर में तुम्‍हें कई असहज माहौल में दो-चार होना पड़ेगा, लेकिन उससे बेधड़क भिड़ती-जूझती रहना। हर चुनौती का सामने पूरी बहादुरी के साथ करना।

मैं ऐसा कोई भी दावा नहीं करता हूं कि इस मुकदमे में तुम जीत ही जाओगी। जीत के लिए सत्‍य के साथ ही साथ कानून की पेंचीदगियां और अदालतों में चलने वाली जुगाड़-टेक्नॉलॉजी और कई स्‍तरों पर घोला जाने वाला भ्रष्‍टाचार-घूसखोरी भी एक बड़ा कारक बन सकता है। लेकिन अगर तुम हार भी गयीं, तो भी यकीन मानो कि तुम्‍हारी पहचान हमेशा-हमेशा के लिए एक जुझारू युवती की रहेगी। महिला उत्‍पीड़न से पीडि़त युवतियों के लिए प्रकाश-स्‍तम्‍भ बन जाओगी, उनकी सम्‍भावनाएं का प्रेरणा-पुंज बने रहोगी तुम। तुम्‍हारी छवि एक साहसी युवती और दुर्धर्ष महिला अधिवक्‍ता की हो जाएगी। किसी बहादुर लड़की के सामने विवाह का संकट कभी भी नहीं आता। तुम्‍हारा पति भी तुम पर गर्व करेगा, और गली-मोहल्‍ले और समाज में तुम महिला सशक्‍तीकरण का एक बेमिसाल स्‍तम्‍भ बन जाओगी।

1 thought on “बेटी ! दो ही रास्‍ते हैं। जूझो, या बिक जाओ

  1. अवनीश कुमार भट्ट एडवोकेट हाईकोर्ट says:

    अत्यंत सराहनीय पत्र ,
    अग्रज सादर प्रणाम 💐
    आपके पत्र ने मेरे अंतःकरण को भी झकझोर दिया है ,यदि वास्तव में नेहा मिश्रा पीड़िता है तो उन्हें अपनी अंर्तमात्मा की आवाज सुकर आखिरी सांस तक अपने सम्मन के साथ नारी अस्मिता की लड़ाई लड़नी चाहिए ,जिससे न्याय के मंदिर में छुपे बलात्कारी, उत्पीड़नकारी भेड़ियाँ को सामने लाया जा सके और यदि किसी लालच में आकर आत्मघाती कदम उठाया गया है तो उसे इसी स्थान पर विराम लगाना चाहिए जैसा कि आपने पहले ही सलाह दी है ।। धन्यवाद

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