सरकारी बाबू जी ! आपको 65 साल तक नौकरी क्‍यों मिले

मेरा कोना

: सटीक वक्‍त है यह जब हम आप विशालकाय सरकारी रेवड़ का मूल्‍यांकन करें : हमें बताइये कि समाज के लिए अब तक आपने किया क्‍या : यूपी के अफसर और कर्मचारी चाहते हैं कि उनकी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ायी जाए, लेकिन क्‍यों : सैंयां, हमका इतना न सताओ बलमा (एक)

कुमार सौवीर

लखनऊ : उप्र अधिकारी महापरिषद ने आज राज्‍य सरकार को एक ज्ञापन देकर मांग की है कि उप्र के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति 65 साल तक बढ़ायी जाए। अपने पक्ष में तमाम तर्क देते हुए महापरिषद के अध्‍यक्ष डॉ सुरेश कुमार गुप्‍ता और महासचिव सत्‍येंद्र कुमार सिंह ने यह मांग की है, लेकिन उन्‍होंने अपने ज्ञापन में यह तनिक भी तर्क नहीं देने की जरूरत समझी कि आखिरकार इस मांग का औचित्‍य क्‍या है। उनका कहना है कि ऐसा होने से उनकी कार्य-कुशलता और दायित्‍व-निपुणता में विकास होगा। उनका तर्क यह भी है कि उनके रिटायरमेंट की उम्र बढ़ जाने से उप्र सरकार की जन-समर्थित योजनाएं साकार होंगेी और वे अपना कामधाम बेहद कुशलता के साथ निर्वहन कर सकेंगे।

ठीक इसी तरह की मांग उप्र सचिवालय अधिकारी संघ ने भी किया है। उनका भी यही तर्क है कि सरकारी कामकाज में सुधार के लिए अब ठोस कदम उठाये जाने ही जरूरी हैं। और ऐसे ठोस कदमों में सबसा पहला पड़ाव यह है कि उप्र सचिवालय में काम कर रहे अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र मौजूद 60 साल के बजाय अब 65 साल तक बढ़ा लिया जाए। उप्र सचिवालय संघ के अध्‍यक्ष शिवजनम चौधरी, उपाध्‍यक्ष केशव प्रसाद शुक्‍ल और सचिव केशव प्रसाद ने एक बयान में कहा है कि ऐसा हो जाने से राज्‍य सरकार अपनी कल्‍याणकारी छवि को निखार सकेगी, अपितु ऐसे फैसले की चहुंओर प्रशंसा भी होगी।

इन दोनों ही संघों ने इस बारे में सीधे मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव से ज्ञापन देकर मांग की है। हालांकि अब तक इस बारे में कोई भी फैसला नहीं हो सका है कि सरकार का इस बारे में क्‍या फैसला या नजरिया है, लेकिन इन दोनों ही संघों ने अपनी पूरी उम्‍मीद जतायी है कि चूंकि उप्र की सरकार जन विकास को प्रतिबद्ध है, जन कल्‍याण उसकी प्राथमिकता पर है, इसलिए शायद जल्‍दी ही उनके संवर्गों के साथियों की सेवानिवृत्ति की सीमा पांच साल तक बढ़ा ली जाएगी।

इन दोनों ही महासंघों ने अपनी बात तो कह दी है, मांग को लेकर सरकार को सुझाव भी दे दिया है। लेकिन इन दोनों ही संघों ने एक बार भी इस बात पर चर्चा की कोशिश नहीं की कि आखिरकार उनकी मांगों का औचित्‍य क्‍या है। यूपी के अधिकारियों की समाज के प्रति क्‍या संवेदनशीलता है, क्‍या दायित्‍व है, क्‍या उपादेयता है, क्‍या उपयोग है।

लेकिन अब हम सब का यह जिम्‍मा है कि हम इस मामले पर तत्‍काल हस्‍तक्षेप करें कि आखिरकार राज्‍य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को क्‍या इतना वेतन दिया जाए, क्‍यों उन्‍हें इतनी सुविधाएं की जाएं। क्‍या इसलिए कि वे आम आदमी के प्रति और ज्‍यादा क्रूर, निर्मम, निष्‍ठुर, जालिम और निरंकुश बनते रहें। क्‍या इसीलिए कि वे आम आदमी को कीट-पतंगा की तरह देखते रहें, आम आदमी को देखते ही उनकी त्‍योरियां चढ़ जाएं, क्‍या इसलिए कि आम आदमी के प्रति उनकी दूरी और भी ज्‍यादा हो जाए। इतनी कि आम आदमी वहां तक पहुंच तक पाये। क्‍या इसलिए कि सरकारी कर्मचारी-अधिकारी महामहिम बन जाए और आम आदमी उनकी मेज के सामने किसी कुत्‍ते या भिखमंगे की तरह गिड़गिड़ाता ही रहे। अफसर यही मान कर चले कि वह भगवान है और जनता जानवर, जिसे किसी भी वक्‍त जुतिया-लतियाया जा सकता है। इसीलिए कि आप वेतन के साथ अब ज्‍यादा घूस मांगे और पूरी धमक के साथ, पूरी ताकत के साथ। बिना घूस लिये आप कुछ भी नहीं करें।

मैंने पिछले दिनों जौनपुर में एक कमाल देखा। वहां के एसपी आफिस में पुलिस कप्‍तान की मेज और आदमी की कुर्सी के बीच करीब आठ फीट का फर्क। कप्‍तान की कुर्सी पर बैठे  शख्‍स का नाम लिखा था रोहन पी कनय। अंदाज निहायत अमानवीय और अहंकार में चूर। देर तक अपनी नाक में उगे बाल को उखाड़ने-सहलाने की कोशिश, फिर सीसीटीवी को किसी कारूं के खजाने की तरह खोजने की हरकत। उसके बाद इशारे से दूर की कुर्सियों पर जमे लोगों में से एक को इशारे से बुलाना। और फिर अपनी मेज के सामने खड़े-खड़े ही पूछतांछ करना, किसी को खुद सीधे फोन मिलाने के बजाय एक दारोगा से कह कर बात कराना जैसी हरकतें ऐसी थीं, अगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव देख लेते तो शर्मसार हो जाते। आपके बता दें कि मुख्‍यमंत्री और  मंत्री आम आदमी के पास सीधे बात करता है, लेकिन हमारे अफसर आम आदमी को किसी कुत्‍ते से अधिक नहीं मानते। ( क्रमश: )

यूपी में सरकारी कर्मचारियों और अफसरों का रेवड़ अब जनता का टेंटुआ दबाने पर आमादा है। इसी मसले पर यह लेख-श्रंखला है।

अगले अंक को पढ़ने के लिए कृपया क्लिक कीजिए:- सैंयां, हमका इतना न सताओ बलमा (दो)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *