आप मासूम बच्‍चों को धर्म की घुट्टी क्‍यों पिला रहे हैं

मेरा कोना

: वंदना हो ही क्यों ? बच्चे तो स्वयं भगवान की प्रतिमूर्ति : मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं, धार्मिक समूहों को अपने संस्थान चलाने की इजाज़त : अलीगढ़ के मिशनरी स्कूलों को ये आदेश दिए गए हैं कि स्कूल के हिन्दू बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा :

शीतल पी सिंह

नई दिल्‍ली : मेरी पोती दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ती है जिसे क्रिश्चियन मिशनरी चलाते हैं । क्रिसमस-अवकाश के दौरान वहां क्रिसमस-उत्‍सव की तैयारियाँ चल रही थीं। एक भजनों की डायरी उसके हाथ में थमा दी गयी। पता चला कि उसके स्कूल के हर बच्चे के पास है जिसमें यीशु मसीह की वन्दना करते भजन हैं । अगर वह “शिशु मंदिर”में पढ़ती होती तो दूसरे क़िस्म के भजन गा रही होती और किसी मदरसे में पढ़ रही होती तो तीसरे क़िस्म के !

सवाल यह है कि शिक्षा संस्थानों में बच्चों को ज़बरन धर्म की घुट्टी पिलाने वाले किसी भी करतब की अनुमति एक धर्म निरपेक्ष देश में क्यों होनी चाहिये ?

शीतल की इस वाल पर इस पोस्‍ट होते ही विचारों का तांता लग गया। किसी ने लिखा कि इजराइल और जापान ,न केवल शिक्षा में एकरुपता है, बल्कि अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। एक का कहना था कि धार्मिक समूहों को अपने संस्थान चलाने की इजाज़त है जहाँ वे अपनी श्रद्धा के हिसाब से भजन गवाते हैं। उधर एक ने बताया कि अलीगढ़ के मिशनरी स्कूलों को ये आदेश दिए गए हैं कि स्कूल के हिन्दू बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा न दें। जबकि एक अन्‍य का कहना था कि जबरदस्ती धर्म-ईश्वर का अफीम चटा रहे हैं बच्चों को। अधिकांश गार्जियन इससे बड़े खुश हो जाते हैं।

आइये देखिये कि बाकी लोगों का इस पोस्‍ट पर क्‍या-क्‍या कहना है: –

Gaurav Singh Rathore नही होनी चाहिए .. सहमत सर ।।

Vikas Tailor Feeding religion via education is the root cause of making it legalized! It should be ended

Prabhat Kumar जो सेंसस कराया था उसके भी आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।

शिखा अपराजिता इसीलिए हम कॉमन स्कूल सिस्टम की मांग करते हैं

Pinto CP Ignatius Government school zindabad

शिखा अपराजिता Government school भी कॉमन , केन्द्रीय विद्यालय , नवोदय , नेतरहाट , जिला स्कूल , वरीय स्कूल , इतने सारे संस्तर का कोई मतलब नहीं , जब सब नागरिक समान हैं

Deepak Singh sahi kaha aapne

Pankaj Srivastava धार्मिक समूहों को अपने संस्थान चलाने की इजाज़त है जहाँ वे अपनी श्रद्धा के हिसाब से भजन गवाते हैं…सरकारी स्कूलों में सब प्रार्थनाएँ हिंदू धर्म की चलती हैं…बेहतर हो कि प्रार्थनाओं का रिवाज ही बंद हो…या फिर सभी धर्मों की जानकारी दी जाए और बच्चे आगे चलकर अपना धर्म खुद चुनें…नास्तिकता के तर्कों से भी परिचित कराया जाए…पर इन बातों का कोई अर्थ नहीं..अभी सबके लिए ब्लैकबोर्ड भी नहीं है…

Raj Kumar सिखाएं, लेकिन अन्य धर्म के पर्व-त्योहार पर भी उसी जोश, उत्साह से सिखाएं, ताकि बच्चे धर्म के साथ संस्कृति को जान सकें।

Ratan Pandit भाई आपकी लिस्ट में कोई भक्त तो नहीं???

Ahmad Kamal Siddiqui स्कूल के फार्म पर धर्म वाला कालम ही नहीं होना चाहिए,,,,

Manika Mohini शाम टी वी में कुछ ऐसी ही खबर आ रही थी कि अलीगढ़ के मिशनरी स्कूलों को ये आदेश दिए गए हैं कि स्कूल के हिन्दू बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा न दें।

Kapilesh Prasad ऐसी अनुमति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।

Santosh Kr. Pandey Prashn ye Hai ki aap bitiya ko Christian school me kyo bhejte haiN jabki naam see aap Hindu haiN ? Isi me aapke prashn ka uttar Hai. Bakiya siddhant tou upar Kai logoN ne thela Hai lekin wahan se koi raah na niklegi aur na hi milegi.

Sheetal P Singh दिल्ली में स्कूल चुनना किसी के हाथ में नहीं । स्कूल में दाख़िला मिलना एक असाधारण प्रतियोगिता है । नेबरहुड मेरिट में उसे यह स्कूल मिला था !

SO U R Abh गर वो शिशु मंदिर में पढ़ती तो ‘वंदे सदा वत्सले मातृभूमि’ पढ़ती जिसमे मातृभूमि की आराधना है. क्या गलत पढ़ती. आज प्राइवेट व मिशनरी स्कूल की भारी भरकम फीस के मुकाबले शिशु मंदिर की सस्ती फीस मे उच्च गुणवत्ता की पढ़ाई मिल जाती हैं.बिटिया को वहीं भेज दीजिए. शिशु मंदिर वाले ना जात देखते हैं ना धर्म. याद है ना आसाम का मुस्लिम धर्मावलंबी छात्र जोकि शिशु मंदिर में पढ़ता था इंडिया टॉपर था.

Vijay Kumar बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। आज मेरी बेटी ने बताया कि उसके स्कूल (CMS) में आज कोई बाबाजी आये थे और उन्होंने सभी बच्चों को गीता पढ़ाई है। ये स्कूल, जहां हमलोग अपने बच्चों को शिक्षा पाने को भेजते हैं, जबरदस्ती धर्म-ईश्वर का अफीम चटा रहे हैं बच्चों को। अधिकांश गार्जियन इससे बड़े खुश भी होंगे, की चलो कम-से-कम स्कूल ने महान सनातन संस्कृति का ख्याल तो रखा..

Avanish Mishra Cms m gandi ji roj gita padate lkin sir sb jagh prob hai ap prob jan k bhi wahi bhejenge padne k lie

Shamim Ansari kisi ke liye ye choot nhi honi chahiye …..it should be private

Imraan Imran मैं भी जिस कैथोलिक्स स्कूल में पढ़ा हू वहां की डायरी के पहले दस पंद्रह पन्नो पे यीशु के गुणगान करते भजन लिखे होते थे जिन्हे हम सब असेम्ब्ली में ऱोज गाते थे

अच्छी बातें ही लिखी होती थी उनमे तो कभी किसी ने ऐतराज़ भी नहीं किया.! पर ये ग़ैर ज़रूरी चीज़ बंद कर देनी चाहिये स्कूलों में ..!

Saurav Sharma सब फर्जी हैं ये

Parveen Abbasi मुझे नही लगता मिशनरी स्कूलों से अच्छी training कहीं होती हे

Sheetal P Singh विषय पर रहें ।

Prakash Govind सवाल ये है कि स्कूल के माहौल में/पाठ्यक्रम में वंदना हो ही क्यों ?? ये बच्चे तो स्वयम में भगवान की प्रतिमूर्ति हैं

Gati Upadhyay Maaf kijiyega sir Kya ap missonry likhte waqt smjh nhi paye ki missionary ka primary mission Kya h secondary mission educate krna… Siksha agr dharm se nhi judegi… To mass education impossible h… Is bat ka Rona rone ka Kya mtlb h kuch smjh nhi pa rhi hu.. Apki bato se pahli bar asahmat hu

Suvesh Verma शिक्षा ही एकता के सूत्र में बाँधती है। लेकिन भारत ही शायद विश्व का एकमात्र देश होगा,जहाँ शिक्षा की ही एकता नही है और मनमानी शिक्षा दी जा रही है। इजराइल और जापान ,न केवल शिक्षा में एकरुपता है, बल्कि अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं,अपनी शिक्षा के बलबूते ही खड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *