भास्‍कर ने लाज रखी पत्रकारिता की, मगर इन तेवरों पर शक भी है

बिटिया खबर
: सीबीआई के डीआईजी द्वारा सर्वोच्‍च न्‍यायालय में दाखिल किये गये हलफनामा पर कई अखबारों ने तो चूं तक नहीं की : यहीं ऐसा तो नहीं कि राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़ और मध्‍यप्रदेश में चुनावों पर राजनीतिक बदलावों को सूंघ लिया भास्‍कर ने :

दीपक शर्मा
नई दिल्‍ली : जब अंधेरों में अचानक कोई सकारात्‍मक उजाला की किरण दिख जाती है, तो बेहाल लोगों में उत्‍साह की लहरें उछलने लगना स्‍वाभाविक ही है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय में सीबीआई के डीआईजी ने जिस तरह अपना हलफनामा दायर कर केंद्र सरकार, और देश के सुरक्षा सलाहकार समेत कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाये हैं, उससे पूरा देश सन्‍न रह गया है। खास तौर पर देश की मीडिया तो इस मामले में पूरी तरह ही नंगी हो गयी है। मगर इसके बावजूद दैनिक भास्‍कर जैसे अखबारों ने पत्रकारिता की लाज बचायी रखी है।
दिल्‍ली के पत्रकार दीपक शर्मा ने इस पर ए‍क टिप्‍पणी की है। उन्‍होंने भास्‍कर की तो भूरि-भूरि प्रशंसा की है, लेकिन साथ ही कुछ सवाल भी उठाये हैं। उन्‍होंने लिखा है कि सरकार के सबसे ताकतवर अधिकारी अजीत डोभाल पर भास्कर की बोल्ड हेडलाईन ..जो आज बाकी अखबारों में नही दिखी। भास्कर के बदले हुए तेवर निर्भीक पत्रकारिता के लिये स्वागत योग्य… लेकिन ऐसा न हो कि मध्य प्रदेश से जुड़े भास्कर के मालिक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आने वाले विधान सभा चुनाव में सत्ता की संभावित फेरबदल को लेकर यह नया तेवर आजमा रहे हों ! इन तीनो राज्यों में ही भास्कर का कारोबार केंद्रीत है। बहरहाल वजह जो हो, भास्कर ने हिम्मत दिखाई है।

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