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दोलत्ती

: आरटीआई सेनानी ही नहीं, बल्कि नामचीन पत्रकार भी हैं तनवीर अहमद सिद्दीकी : सूचना आयुक्‍त अरविंद सिंह बिष्‍ट से सीधी टक्‍कर ले चुके तनवीर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह बहुआयामी व्‍यक्ति है। यह पत्रकार भी है और जनसूचना अधिकार अधिनियम का जुझारू जंगजू भी। उसे अराजक अफसरों और नेताओं के साथ ही साथ समाज में बजबजाती गंदगी से चिढ है, और आम आदमी के लिए जूझ रहे लोगों के प्रति अगाथ श्रद्धा भी। अपने इन दायित्‍वों को निभाने के लिए वे प्राण-प्रण से जुटे रहते हैं। और इसके लिए वे दूसरे पत्रकारों के लिए सिर्फ विज्ञापन तक ही सीमित नहीं रहते। बल्कि उन्‍होंने अपने दायित्‍वों को पूरा करने, घर को सुचारू से संचालित करने के लिए और समाज के प्रति अपने दायित्‍वों को निपटाने के लिए उन्‍होंने एक अलहदा अंदाज अख्तियार कर लिया है। वे अब अपने अभियान को भरपूर उर्जा पहुंचाने के लिए वे कम्‍प्‍यूटर कंपोजिंग, डिजाइनिंग के साथ ही साथ वे अपने आसपास की दूकानों को ही नहीं, बल्कि विभिन्‍न सामाजिक या मांगलिक मौकों में बिजली आपूर्ति कराने के लिए जनरेटर वगेरह की आपूर्ति भी कराते हैं। विभिन्‍न बैंकों और निजी व सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों को बिजली उपकरण भी उपलब्‍ध कराते हैं।
इस शख्‍स का नाम है तनवीर अहमद सिद्दीकी। हजरतगंज के निकट बर्लिंग्‍टन होटल मॉल के पीछे ही तनवीर का दफ्तर है। अखबार का नाम है साप्‍ताहिक लखनऊ का अभिमान। इसके साथ ही वे जन सूचना अधिकार अभियान के प्रति एक प्रतिष्ठित सेनानी माने जाते हैं। अब तक 600 से भी ज्‍यादा जन सूचना अधिकार सम्‍बन्‍धी आवेदनपत्र तनवीर ने दाखिल कराये हैं। तनवीर के तेवरों ने सिस्‍टम में बड़े-बड़े मगरमच्‍छों और दिग्‍गजों को भी खंगाला है। शुरूआत हुई थी अरविंद सिंह बिष्‍ट पर। सूचना आयुक्‍त के पद पर थे अरविंद, लेकिन तनवीर के तेवरों ने अरविंद की कलई ही खोलनी शुरू कर दी, तो बिष्‍ट बौखला गये।
यह वक्‍त था मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव का। हालांकि तब मुलायम सिंह यादव का तेज काफी कुछ धूमल कर रखा था अखिलेश यादव ने। लेकिन इसके बावजूद मुलायम सिंह यादव के रिश्‍तेदारों को खासी रहमदिली का प्रदर्शन कर रहे थे अखिलेश यादव। जाहिर है कि तब एलडीए में अरविंद सिंह बिष्‍ट की रंगबाजी उप्र सूचना आयोग में, और उनकी पत्‍नी अम्‍बी बिष्‍ट की जोरदार पैंतरे-बाजी जोरदार चल रही थी। कहने की जरूरत नहीं है कि अरविंद सिंह बिष्‍ट दम्‍पत्ति सीधे मुलायम सिंह यादव के समधी हो चुके थे। इस ताकत के तहत अरविंद बिष्‍ट सूचना आयुक्‍त बन चुके थे, जबकि अम्‍बी बिष्‍ट नगर पालिका सेवा से सीधे लखनऊ विकास प्राधिकरण में ताकतवर कुर्सी तक पहुंच गयी थीं।
इसी, और ऐसे विभिन्‍न अभियानों के चलते अरविंद बिष्‍ट और उनकी पत्‍नी अम्‍बी बिष्‍ट की सम्‍पत्तियों का खुलासा भी हो गया। हुआ यह कि नगर निगम भेजने के आदेश का पालन नहीं करने पर एलडीए ने उन्‍हें एकतरफा रिलीव कर दिया था। कमरे पर ताला पड़ गया। ऐसी हालत में अम्‍बी बिष्‍ट के कमरे की अलमारियों का ताला भी नहीं खुल पाया। बाद में एलडीए प्रशासन ने अदालती आदेश के बाद जब इन अलमारियों को खोला, तो उस वक्‍त उन अलमारियों में कीमती जेवर, नकदी और कई फाइलें भी फंसी मिलीं।
मामला था जन सूचना अधिकार के तहत प्रदेश में जहां-तहां भटक रहे लोगों को सूचना मुहैया कराना। तनवीर अहमद सिद्दीकी अपने अभियान में जुटे थे। धंधे और खुलासे में झंझट खड़ा होने लगा। शुरूआत तो मामले को सुलझाने से होने से हुई, लेकिन तनवीर ने अपने कदम पीछे नहीं किये। नतीजा यह हुआ कि एक दिन अरविंद सिंह बिष्‍ट ने तनवीर अहमद सिद्दीकी पर आरोप लगा दिया कि सूचना आयोग में बिष्‍ट के दफ्तर के सामने तनवीर ने मारपीट की है। इसके साथ ही अरविंद ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस ने तत्‍काल पहुंच कर तनवीर को हिरासत में ले लिया। पुलिस से तनवीर ने कहा कि अगर अरविंद बिष्‍ट का आरोप मारपीट को लेकर है, तो बेहतर होगा कि उस वक्‍त का सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग का फुटेज ले लिया जाए। मामला देखा गया तो सब के चेहरे ही सफेद हो गये। तनवीर बेदाग निकले। तब से ही अजेय ही बने हैं तनवीर।
तनवीर के तेवरों का जायजा इसी तथ्‍य से लिया जा सकता है कि सूचना आयोग के अधिकांश सूचना आयुक्‍त का चेहरा तनवीर को देखते ही सफेद होने लगता है और जुबान सूखने लगती है। जाहिर है कि वे सब के सब तनवीर को फंसाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। लेकिन इसके बावजूद तनवीर को फंसाने का हर मौका तलाश करते रहते हैं। लेकिन अपनी टोली के साथ तनवीर और उनके साथ लगातार मुस्‍कुराहट के साथ ऐसे तमाम झंझटों से जूझते ही रहते हैं।

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