कथनी-करनी में केर-बेर: अखिलेश ने राहुल को टोका

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अखिलेश यादव ने कहा कि मंदिरों में जाना गलत नहीं है, वहां जाने का प्रचार करना गलत है : गुजरात चुनाव परिणाम के दौरान चली चैनली-चर्चा में राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया अखिलेश यादव ने : अखिलेश यादव भूल गये कि वे ईद वगैरह में खुलेआम अपनी प्रतिबद्धता जताते रहते हैं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : गुजरात चुनाव परिणाम को देखते हुए छींका टूटना तो दूर, उसका टंग पाना तक फिलहाल असम्‍भव है, लेकिन बिल्लियां आपस में झोंटा-नुचव्‍वर में जुट गयी हैं। समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष राहुल गांधी को राजनीतिक-सलेबल समझाना शुरू कर दिया है। लेकिन किसी छात्र तरह नहीं, बल्कि आलोचक की तरह। सार्वजनिक तौर पर टिप्‍पणी करते हुए अखिलेश यादव ने राहुल द्वारा मंदिरों में आने-जाने के तौर-तरीकों पर ऐतराज जताया है। और कहा है कि राजनीति में यह तरीका सर्वथा अनुचित ही है।

यह मामला है बिलकुल अभी-अभी का, जब मतगणना के दौरान एबीपी पर चैनली-चर्चा चल रही थी। ऑन-लाइन थे अखिलेश यादव। बातचीत के अंत में दिबांग ने अखिलेश यादव से यह पूछ लिया कि राहुल गांधी द्वारा मंदिरों तक जाने की खबरों पर खासा बवाल उठता रहा है, आपकी क्‍या राय है। सवाल उठते ही तपाक से अखिलेश यादव जवाब दे दिया। सच कहा जाए तो अखिलेश यादव का यह जवाब बहुत संतुलित और सटीक था। सौम्‍य भी। अखिलेश ने जवाब दिय कि:- “धर्म का पालन करना अच्‍छी बात है, लेकिन उसका प्रदर्शन गलत है। राहुल गांधी मंदिर गये, इसमें बुरी बात नहीं है। बुरी बात तो यह है कि उसका प्रदर्शन किया गया। मैं भी नवरात्रि में बच्चियों को भोजन कराता हूं, उनके पैर धोता हूं, पूरी निष्‍ठा के साथ देवी-आराधना करता हूं। लेकिन कभी भी प्रदर्शन नहीं करता। प्रदर्शन करना सिर्फ आपकी मानसिकता का परिचायक होता है, और कुछ नहीं।”

सच बात तो यही है कि अखिलेश यादव ने यह जवाब बेहद गम्‍भीरता से दिया। होना भी यही चाहिए था। इस जवाब से अखिलेश यादव ने यह साफ करने की कोशिश की कि राजनीति में जो भी बातचीत हो, साफ-साफ ही हो। कोई भी दुराव-छिपाव नहीं होना चाहिए। भले ही वह बातचीत उस शख्‍स जैसे को लेकर ही क्‍यों न हो जो उस कांग्रेस पार्टी का नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष राहुल गांधी क्‍यों न हो, जिसके साथ अगले चुनाव में वे अपनी समाजवादी पार्टी के साथ गलबहियां करने की तैयारी कर रहे हैं।

लेकिन अखिलेश यादव भूल गये कि वे ईद वगैरह में खुलेआम अपनी प्रतिबद्धता जताते रहते हैं।

यह फोटो देखिये, तो आपकी समझ में आ जाएगा।

फिर यह भी आप की समझ में आ जाएगा कि भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों में एकजुटता क्‍यों नहीं हो पा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *