बनारस में नहीं रहता महादेव, होता तो पूरी काशी फूंक देता

सैड सांग

: मर्द कहां हउवन कासी मा, अब हउवन सब कन्‍यारासी :महादेव-शिव-शम्‍भू की शक्तियां पीटी जा रही थी, प्रधान-नौकर संकरी गलियों में फरार हो गया : क्‍या धरा और क्‍या पाताल, आसमान भी दहल जाता शिव-शम्‍भू के रूदन, प्रकोप और उसके ताण्‍डव व प्रतिशोध से :

कुमार सौवीर

वाराणसी : तू कहां था शिव, जब महिला छात्रावास के सामने शोहदे खुलेआम हस्तमैथुन करते थे? कहां था वह शिव, जब महामना के विश्वविद्यालय में गुण्‍डे लोग छात्राओं के साथ अश्लीलता की सीमाएं तोड़ रहे थे? कहां था वह शिव, जब विरोध पर आमादा लड़कियों पर बीएचयू के सुरक्षाकर्मी और पुलिस के गबरू जवान लाठियां बरसा रहे थे? तब तू कहां था रे शिव, जब खड़े लड़कियां अपनी इज्‍जत, सुरक्षा और पीड़ा से रो रहे थे, चिल्ला रहे थे, बिलबिला रहे थे? तब कहां था वह शिव, जब देश का प्रधानमंत्री उसी लाठी-चार्ज होते वक्त बमुश्किल 200 मीटर दूर था? तब कहां पर था वह शिव, जब प्रधानमंत्री महादेव-शिव-शम्‍भू की शक्तियों से पीटी जा रही थी, निर्वस्‍त्र हो रही थी, लेकिन तब उनकी पीड़ाओं का हरण करने की कोशिश करने के बजाय संकरी गलियों में दुम दबाकर भाग गया?

बनारस से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें:-

जिया रजा बनारस

पता नहीं है कि उस वक्त शिव महादेव-शम्‍भू कहां था?  सवाल यह भी है कि शिव वास्‍तव में कहां है?  वह अविमुक्‍तेश्‍वर काशी में अब रहता भी है या नहीं? सवाल इस बात का भी है कि सबसे पहले की क्या वाकई बनारस में अब शिव रहता है? और उससे भी बड़ा सवाल तो यह है कि दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त क्षेत्र काशी बिना शिव के कैसे पीड़ित जनों को मुक्त-भाव दिला पाता है?

महामना मदन मोहन मालवीय के सपने को साकार कर बने काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय में विगत दिनों हो रूदन-ताण्‍डव प्रशासन और निरंकुश कुलपति ने मचाया है, वह इतिहास में सर्वाधिक नृशंस, अमानवीय और मानवता विरोधी है। यह इतिहास में कभी नहीं हुआ कि बनारस की बच्चियों पर बीएचयू- प्रशासन के इशारे पर पुलिस और प्रशासन के लोगों ने हमारे-आपके परिवार की सर्वाधिक मान्‍य बच्चियों पर क्रूरतम लाठीचार्ज करा दिया। वह भी ऐन नवरात्रि के दिनों में जब उस दिनों में देवी-उपासना की जाती है।

सच बात तो यह है कि बनारस में नहीं रहता है। महादेव और अगर वहां रहता तो इतनी अबलाओं पर सरेआम होते अत्याचार और दुराचार की ऐसी भीषण दुष्‍कृत्‍यों को सहन नहीं कर पाता। अगर शिव होता तो राजा जनक की सभा में सती के साथ हुए अपमान का तत्क्षण विरोध। ताण्‍डव कर देता। क्‍या धरा और क्‍या पाताल, आसमान भी दहल जाता शिव-शम्‍भू के रूदन से, उसके प्रकोप से, उसके ताण्‍डव से, उसके प्रतिशोध से। काशी का नाम-ओ-निशान तक हमेशा-हमेशा के लिए खत्‍म कर देता।

सच बात तो यह है कि अगर शिव-महादेव होता बनारस में, तो ऐसा हादसा होने से पहले ही पूरी काशी को फूंक डाल देता। ऐसा कि उसकी क्रोधाग्नि में पूरा बनारस भस्‍मीभूत हो जाता।

अब जरा सुन लीजिए, कि काशी के जागृत-गबरु विरोध-स्‍वर के प्रतिनिधि कवि चकाचक बनारसी भले ही अब काशी से हमेशा-हमेशा के लिए ब्रह्मलीन हो चुके हैं, लेकिन उनकी कविताएं आज भी पूरे बनारस की गली-गली में गूंजती हैं कि:- मर्द कहां हउवन कासी मा, अब हउवन सब कन्‍यारासी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *