अयोध्‍या में माफियाओं का नेता है जगद्गुरु परमहंस दास!

बिटिया खबर

: दोलत्‍ती के सवालों पर महंथ चारोखाने चित्‍त, दो-टूक बातचीत : पत्रकार को मां, बहन, बेटी की गंदी-गंदी गालियां, मार डालने की धमकी दी : नंगे बदन लटकाये था गुंडों की तरह बंदूक, दावा कि लता मंगेशकर के लिए राजसूय-यज्ञ था : स्‍खलित, निर्वीर्य मठाधीशों का आतंक है अयोध्‍या में : अयोध्‍या के महंथ कैसे बर्दाश्‍त करते हैं, या वे खुद भी ऐसे ही होंगे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अयोध्‍या में एक महंथ अचानक तेजी के साथ फलक पर चमका है। राम, अध्‍यात्‍म, धर्म या मानवता के क्षेत्र से नहीं, बल्कि सीधे अपराध, गुंडागर्दी और माफियागिरी के फलक से। नाम है परमहंस दास। खुद एक बड़ा मठ है परमहंस का। वे खुद को जगद्गुरु भी कहलाते हैं और मंडलेश्‍वर भी। जानकार बताते हैं कि परमहंस को अयोध्‍यावासी पसंद नहीं करते हैं। लेकिन परमहंस की मार्केटिंग अयोध्‍या के बाहर जरूर है। अब चूंकि अयोध्‍या राम की नगरी है, इसलिए बाहर से लोग यहां आते रहते हैं।

हा हा हा। अब पत्रकारों को नैतिकता सिखायेगा जी वाला सुधीर चौधरी

खैर, दो दिन पहले परमहंस दास ने अयोध्‍या में जी-न्‍यूज के पत्रकार मनमीत गुप्‍ता और उसी बेटी, मां, पत्‍नी और बेटियों तक के लिए को जबर्दस्‍त और गंदी-गंदी गालियां दीं। उसके बाद बाकायदा एक वीडियो भी जारी कर दिया, जिसमें दावा किया गया कि मनमीत ने महंथ से तीन लाख रुपयों की मांग की थी, वरना जगद्गुरु मंडलेश्‍वर परमहंस दास आचार्य की छवि बर्बाद करने की धमकी दी थी।

जी-न्‍यूज चैनल वाला दुर्दांत शेखचिल्‍ली सुधीर चौधरी …

लेकिन परमहंस द्वारा वायरल किये गये इस वीडियो से पहले ही मनमीत ने कुछ दिन पहले ही एक खबर लगायी थी कि यह महंथ किसी गुंडे की तरह अपने अधनंगे बदन पर एक रायफल और कारतूसवाली बेल्‍ट पहने घूम रहे हैं। महंथ के इस वीडियो से हंगामा हो गया, नतीजा मनमीत ने परमहंस पर रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कोतवाली में अर्जी लगा दी। हम नहीं जानते कि मनमीत गुप्‍ता का मूल चरित्र क्‍या है, लेकिन परमहंस की घिनौनी हरकत के बाद इतना तो तय हो गया कि अयोध्‍या में ऐसे स्‍खलित, निर्वीर्य आपराधिक मठाधीशों व महंथों की भीड़ मौजूद है।

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बावजूद इसके कि हिरण्‍यकश्‍यप का पूरा राज अराजकता से लिथडा था, लेकिन प्रह्लाद तो सच की डगर पर था। लेकिन हर नराधम-कुल में प्रह्लाद भी जन्‍म लेते हैं, मैं नहीं मानता। ठीक उसी तरह मैं भी साफ मानता हूं कि जन्‍मना दलाल, अपराधी और घटिया संपादक सुधीर चौधरी वाले जी-न्‍यूज में एक से बढ़ कर एक सुधीर-वादियों का नरभक्षी लकड़बग्‍घों का गिरोह है। और ऐसे नरभक्षी लोगों की भीड़ में मनमीत गुप्‍ता कोई अलग चरित्र रखता है, मैं नहीं मानता। सच यह है कि पत्रकार लोग अपनी छवि के निहायत गंदे दौर से गुजर रहे हैं। बात-बात पर लोगों से भारी रंगदारी उगाहना का उनका मूल धंधा हो चुका है। और सुधीर चौधरी जैसे कुल-कलंक लोगों के उत्‍तराधिकारी लोग हिन्‍दी-पट्टी में बहुसंख्‍यक हैं, भरे पड़े हैं।

बड़ा पत्रकार हो तो सुधीर चौधरी सा, जो कमीनगी भी करे और सहृदयता का पाखण्‍ड भी

मैं मनमीत गुप्‍ता से कभी नहीं मिला। लेकिन इस कांड के बाद मैंने फैजाबाद, अयोध्‍या के कुछ पत्रकारों के साथ ही सीधे महंथ यानी जगद्गुरु मंडलेश्‍वर परमहंस दास तपस्‍वी नाम मठाधीश से भी फोन पर बात की। लेकिन दिलचस्‍प बात तो तब सामने आयी, जब मैंने इस महंथ से बातचीत की।
परमहंस से हमने सीधे पूछा कि जी-न्‍यूज वाले मनमीत गुप्‍ता को लेकर आपने एक वीडियो जारी किया है। इसमें पैसों की लेनदेन का विवाद है। क्‍या है पूरा मामला ?
देखिये। यह पत्रकार एक घटिया व्‍यक्ति है। अक्‍सर ही मठ में आकर मुझे पैसा मांगा करता था, कि आज उसके घर राशन नहीं है, तो कभी उसके बच्‍चे की तबियत खराब है। कभी पेट्रोल नहीं है, तो कभी दफ्तर में दिक्‍कत है। मैं उसकी मदद करता रहा, कभी हजार, तो कभी दो हजार। लेकिन एक दिन उसने मुझे एकसाथ तीन लाख रुपया मांगा, बोला कि अगर पैसा नहीं दिया तो पूरे दुनिया में तुमको बिलकुल नंगा कर देगा।
लेकिन आपने जो वीडियो जारी किया है, वह तो बंदूक और कारतूस की बेल्‍ट लगी आपकी फोटो छपने के बाद किया है। ऐसी हालत में आपके आरोप झल्‍लाहट भरा भी हो सकता है। आपने ऐसा वीडियो पहले क्‍यों नहीं जारी किया ?
मैं उसको वक्‍त दे रहा था, ताकि वह सुधर जाए

एक संन्‍यासी, जगद्गुरु, मंडलेश्‍वर, मठाधीश और तपस्‍वी के लिए तो पार्थिव-धन किसी अस्‍पृश्‍य पदार्थ से भी निकृष्‍ट है। मनमीत को देने के लिए आपके पास धन कहां से आया ?

मठ चलाने के लिए भक्‍त लोग तो सहयोग करते ही रहते हैं
लेकिन वह तो मठ के लिए ही होता है, अपनी मार्केटिंग के लिए तो नहीं ?
वह भी तो धर्म का काम होता है।
एक फोटो में आप बंदूक और कारतूस की बेल्‍ट पहन कर अर्द्धनग्‍न शरीर में किसी डरावने डाकू की तरह क्‍यों घूम रहे हैं ?
मैं अपने कुछ शिष्‍यों के साथ कहीं से लौट रहे थे। रास्‍ते समय पेशाब करते वक्‍त मेरे एक शिष्‍य ने मुझको यह बंदूक थमा दी। जिसे उनके बाकी शिष्‍यों ने जिद करके मेरे बदन पर आभूषित कर दिया।
लेकिन पता चला है कि यह बंदूकी-आभूषण तो आपने लता मंगेशकर के स्‍वास्‍थ्‍य सुधार के लिए राजसूय यज्ञ नामक किसी कर्मकांड के लिए किया था ?
जी हां।
लता जी के लिए आपके धार्मिक और संन्‍यासी कामधाम से क्‍या लेना-देना ?
मै किसी के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए राजसूय यज्ञ कर सकता हूं।
पिछले सात महीने मुझ पर लीवर में गम्‍भीर संक्रमण हुआ था। हालत आज भी ठीक नहीं है। मेरे लिए भी राजसूय यज्ञ कीजिए ने।
बिलकुल करूंगा। आप बताइये तो।
आपको तो धर्म और अध्‍यात्‍म के लिए काम करना चाहिए। कितनों के लिए आप राजसूय यज्ञ करेंगे ? कोई विशाल अस्‍पताल काहे नहीं खोल लेते हैं आप ?
अब क्‍या कहूं।

मानता हूं कि अधिकांश छोटे पत्रकार दलाल हैं। पर तुम क्या हो जी-टीवी?

आपने मनमीत को भद्दी गालियां दी हैं ?
हां, दी हैं।
आपने उसकी मां, बेटी, बहन और पत्‍नी को सड़कछाप गालियां दीं। आप क्‍या दुर्वासा हैं ? और दुर्वासा भी तो किसी महिला के लिए नंगी गालियां नहीं देते थे ? आपको शर्म नहीं आयी एक धर्माचार्य होकर भी आपने इस तरह की ओछी गालियां देने में ?
मनमीत ने हरकत ही ऐसी की थी, तो मैंने उसे गालियां दे दीं। हालांकि मुझे ऐसा नही करना चाहिए।
आपने मान लिया कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। इसका साफ मतलब यही है कि इस घटना के बाद आप स्‍खलित हो चुके हैं। निर्वीर्य हो चुके हैं आप। संन्‍यास, महंथ, जगद्गुरु और मठाधीश के तौर पर आप अपना संकल्‍प खो चुके हैं। ऐसी हालत में तो आपको यह धार्मिक और आध्‍यात्मिक गद्दी तो तत्‍काल छोड़ देनी चाहिए। कब अपना मौजूदा दायित्‍व त्‍याग देने जा रहे हैं आप ? क्‍योंकि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो ऐसे स्‍खलित और निर्वीर्य हो चुके ऐसे तथाकथित महंथ से तो रामनगरी की धार्मिक व आध्‍यात्मिक ढांचा और आस्‍था ही सर्वनाश कर हो जाएगी।
यह एक घटना थी, जो हो गयी। बस।
इसका अगला एपीसोड कर पूरा करेंगे आप और ऐसे कितने ऐपीसोड कब तक चलेंगे ?
पत्रकारों को भी तो अपनी हैसियत में रखना चाहिए। है कि नहीं
वो तो अदना सा पत्रकार है। माना कि वह दलाल और घटिया आदमी है। लेकिन आप तो जगद्गुरु हैं, मंडलेश्‍वर और मठाधीश भी हैं। उस पिद्दी भर पत्रकार से आप जैसे विश्‍व-विख्‍यात महानतम व्‍यक्ति की क्‍या तुलना, जो जगद्गुरु भी है, मंडलेश्‍वर भी है, महंथ भी है और परमहंस जैसा मेडल अपने माथे पर चस्‍पा किये है ? कब त्‍यागेंगे आप अपनी गद्दी ?
मैंने कहा न कि एक घटना थी यह।
अयोध्‍या में आपके बारे में काफी लोग यही बात कहते हैं कि आप महंथ धर्माचार्य के बजाय एक बेहद अभद्र, अश्‍लील और एक गुंडा चरित्र के व्‍यक्ति हैं। आपकी क्‍या राय है ?
इस बारे में मैं क्‍या कह सकता हूं।

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बहरहाल, अयोध्‍या तो मठाधीशों की राजधानी है। यहां कोई ओहदा हासिल करने के लिए योग्‍यता नहीं, बल्कि केवल धन-वर्षा की हैसियत ही निर्णायक मानी जाती है। जाहिर है कि पुरुषोत्‍तम लोगों की धर्म और आध्‍यात्‍म वाली इस राजधानी में अब मूल्‍य अगर बचे हैं तो केवल धन, लोलुपता, अनाचार, दुराचार और अनैतिकता की। यहां खुद को जगद्गुरु मंडलेश्‍वर तपस्‍वी कहलाने वाले परमहंस दास ऐसे ही नये कलियुगी-मठाधीशों का नेता बन चुका है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि यह गदहापचीसी केवल यहां महंथ और मठाधीशों तक ही सीमित है। जिस सवाल को परमहंस दास ने उठाया है, वह भी अपने आप में कम नहीं हैं। इसी मसले पर दोलत्‍ती ने अयोध्‍या और फैजाबाद में पत्रकारों की असलियत खोजने और उनके उधेड़ने का अभियान छेड़ने का संकल्‍प लिया है। हमारी अगली कडि़यां इसी मसले पर होंगी।

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