बलिया का सुरहा ताल बना रणक्षेत्र, रंगबाजों को कूट डाला पत्रकार ने

बिटिया खबर

: कुमार सौवीर ने मामला जानने के बाद दोनों युवकों को जोरदार झापड़ रसीद करना शुरू किया और साथ ही साथ अपने पैरों से उनके गुप्तांगों पर भी प्रहार किया : आठ बरस पहले बलिया में हुई यह घटना, स्‍कूली बच्‍चों और महिलाओं को उगाही के लिए तंग कर रहे थे यह बदमाश :

यशवंत सिंह

बलिया : वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर से लात-घूंसे खाने के बाद भागे रंगदारी मांगने वाले …. पिछले दिनों मैं एक सेमिनार में देवरिया गया हुआ था. लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर भी पहुंचे थे. सेमिनार से मुक्त होकर अगले दिन हम लोग बीएसएफ के एक मित्र जनार्दन यादव के बलिया स्थित गांव पहुंचे. गांव के करीब ही 3500 एकड़ में स्थित सुरहा ताल है, जिसे देखने सभी लोग चल पड़े. सुरहा ताल को कई तरह, कई तरफ से देखा गया. कभी मचान पर बैठकर तो कभी वॉच टावर पर सवार होकर. जब लौट रहे थे हम लोग तो देखा कि दो लड़के कुछ युवकों को पकड़ कर पीट रहे हैं. यह दृश्य देखकर कुमार सौवीर ने बोलेरो रुकवाई और कूद पड़े.
मौके पर पहुंच कर जब मामला पता किया तो प्रकरण रंगदारी का निकला. कुछ गाड़ियों के ड्राइवरों से रंगदारी मांगा जा रहा था. नहीं देने पर उनकी पिटाई चल रही थी. ये वो ड्राइवर थे जो अपनी गाड़ियों पर सवारी लादकर सुरहा ताल ले आए थे. करीब चार गाड़ियां थीं. इन गरीब ड्राइवरों ने रंगदारी देने की जगह पिटना उचित समझा. रंगदारी मांगने वाले दोनों युवक दारू पिए हुए थे. कुमार सौवीर ने मामला जानने के बाद दोनों युवकों को जोरदार झापड़ रसीद करना शुरू किया और साथ ही साथ अपने पैरों से उनके गुप्तांगों पर भी प्रहार किया.
दोनों रंगबाज अवाक. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ये दैत्याकार आदमी कहां से आ गया और उन पर हमला बोल बैठा अचानक. उन दोनों रंगबाजों ने भागने में ही भलाई समझी. कुमार सौवीर ड्राइवरों व गाड़ियों पर सवार बच्चों, महिलाओं, पर्यटकों के लिए हीरो की माफिक हो गए. कुमार सौवीर ने ड्राइवरों का हौसला बढ़ाया और ऐसे चिंटुओं को तुरंत पकड़कर पीट डालने की सलाह दे डाली. कुमार सौवीर ने गाड़ियों पर सवार बच्चों को अपनी तरफ से सौ रुपये दिए बिस्कुट खरीदकर खाने के लिए. सभी महिलाओं ने कुमार सौवीर को जमकर दुवाएं दीं.

भड़ास 4 मीडिया के संपादक हैं यशवंत सिंह

2 thoughts on “बलिया का सुरहा ताल बना रणक्षेत्र, रंगबाजों को कूट डाला पत्रकार ने

  1. बसंतपुर(बलिया) में सुरहताल के किनारे गंजेडीबाज व जबरिया रंगदारी टैक्स उगाहने वालों को झन्नाटेदार थप्पड़ से दिन में ही तारे दिखा दिए थे वरिष्ठ पत्रकार सौवीर जी।
    “अब ना करब रंगदारी, हमार जान अबसे बक्स दी” आहि दद्दा ! ई का भइल::: सरपट्टे भग लिया रंगबाज़ जब थप्पड़ पड़ा गाल पर व लात पड़ा गाड़ के बदले अण्डकोष पर। परपरा गया मन मिज़ाज उस छुटभैये रंगवाज का. वाकया 8 साल पहले का है जब भड़ास मीडिया के संस्थापक यशवंत सिंह व कुमार सौवीर एक मीडिया कार्यक्रम के बाद मेरे गाँव के निकट सुरहताल पक्षी अभ्यारण दिखने घूमने यूपी के नामी झील सुरहा के दखिन-पश्चिम किनारे पर पहुंचे। बलिया बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं का समूह अपनी शिक्षिकाओं के साथ गाड़ी से सुरहताल घूमने आईं। बसंतपुर गांव के शोहदे जो अनवरत रंगदारी वसूली करके अपनी धौस जमाते गांजा-भांग दारू की जुगत में ऐसे ही कृत्य किये रहते थे। गॉव वाले उन सरहंगों से डरते हुए कुछ प्रतिरोध नहीं जताते जिससे इनका मन खूब बढ़ गया था और वो भोजपुरी में कहें तो “मनबढ़” हो गए थे किसी को कुछ समझते ही नहीं थे। उस दिन भी अपनी मनबढाई से पैसे मांगने लगे थे। मैं,यशवंत जी, मेरे चाचा जी व छोटा भाई जो बुलेरो चला कर ले गया था अभी कुछ स्थिति समझ ही रहे थे तबतक सौवीर जी ने बाघ जैसा झप्पटा मारते हुए कूट दी।शिक्षिकाओं को नगद धन देते हुए मिठाई खाने व बच्चियों को मन लगाकर पढ़ने की सलाह देते हुए ऐसे घटनाओं से जमकर सामना करने व जीवन में सदैव निर्भय होकर रहने की सीख देते हुए प्रस्थान किये।”बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ” का नारा तो बहुत बाद में आया। सौवीर जी ने बलिया की धरती से उसी समय इस नारे को जीवंत कर दिए थे। बाद के समय में मेरे छोटे भाई द्वारा ये सूचना दी जाती रही कि जबसे सौवीर जी ने कुट्टा था उन शोहदों को अबतक कोई दूसरा बदमाश गिरोह वहां उगाही करते नहीं देखा गया। कालान्तर में वहीं चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है।
    डॉ. जनार्दन यादव,पॉलिटिकल एडिटर,पूर्व बीएसएफ़,असेगा, बलिया ,यूपी,

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