बियर से पथरी का इलाज। पथरी तो वहीं की वहीं, पैंक्रियाज तबाह हो गया

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अचानक ही उठा था प्राणांतक दर्द, डॉक्‍टर बोले कि खूब पिया करो पानी और कोल्‍डड्रिंक पियो : पांच दिन बाद फायदा न होने पर पड़ोसी ने सलाह दी कि पथरी का रामबाण इलाज होता है बियर : दस दिन बाद ही बिगड़ने लगी थी हालत, खर्चा उचका सात लाख तक उप्‍पर :

डॉ गौरव

लखनऊ : नीम-हकीम खतरे जान। इन झोलाछाप लोगों से इलाज कराने का खामियाजा कितना और कैसा भुगतना पड़ता है, जरा इस कहानी से समझने की कोशिश की। इस मामले में मरीज को जितना नुकसान हो गया, वह शब्‍दों से बयान कर पाना नामुमकिन है। सिर्फ इतना समझिये कि जान बच गयी, सेहत तो खैर लुट ही गयी थी, लेकिन उसकी कीमत बेइन्तिहा अदा की गयी। पेमेंट अब तक जारी है।

हुआ यह कि हमारे पास एक परिचित मरीज आये। उनकी तबियत खराब थी। दर्द से बिलबिला रहे थे, तड़प रहे थे। रह रह कर पीठ और पेट दोहरा होता जा रहा था।ज के साथ उसके चार-पांच परिवारीजन भी आये थे, जो उस बेहाल मरीज को सम्‍भालने की कोशिश कर रहे थे। मरीज कुछ खास नहीं बता पाने की हालत में नहीं था, सिवाय इसके कि दर्द बहुत हो रहा है, लगता है कि प्राण निकल जाएगा। मरीज के आंसू तो नहीं निकल रहे थे, लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी।

चूंकि यह केस मेरी प्रेक्टिस से अलग का था, इसलिए मैंने अपने एक परिचित डॉक्‍टर को रेफर कर दिया। मित्र डॉक्‍टर को फोन भी कर दिया और बताया दिया कि मरीज मेरा करीबी है। यह कहना इसलिए जरूरी था ताकि मरीज को ईत्मिनान और भरोसा हो जाए कि वह अपने करीबी का हिस्‍सा है और यह भी कि उस डॉक्‍टर उसे ठीक से निजी तौर पर देख लेगा। आसानी से और फौरन अंदाज में। दरअसल, किसी भी तड़पते मरीज को इससे ज्‍यादा दिलासा-भरोसा ही सर्वाधिक विश्‍वसनीयता का सम्‍बल और प्रमाण बन जाता है।

डॉक्‍टर ने मरीज को देखा, बताया कि उसे गुर्दे में पथरी है। उसने कुछ दवायें लिखीं और बताया कि पानी ज्‍यादा पीना है, स्‍वाद के लिए कोल्‍डड्रिंक भी ले सकते हैं, लेकिन बहुत ज्‍यादा नहीं। पानी ही ज्‍यादा जरूरी है। कुछ खास सब्जियों, मिल्‍क प्रोडक्‍ट और साग वगैरह से कुछ दिन दूर ही रहना चाहिए। डॉक्‍टर ने बताया कि 15 दिन में सब ठीक हो जाएगा।

इस आश्‍वासन भर से यह मरीज को खासी राहत मिल गयी। हंसी-खुशी घर गया, लेकिन तीन-चार दिनों तक जब कोई फर्क नहीं दिखा तो उसका धैर्य चुकने लगा। पांचवें दिन उसके एक मित्र उससे मिलने आये। आते ही किसी माहिर डॉक्‍टर की तरह वे बोले:- अरे इन डॉक्‍टर-फाक्‍टरों के चक्‍कर में मत पड़ो। यह फीस भी लेंगे, और दवा भी जबरिया खिलायेंगे। अरे पथरी ही तो है, कोई चट्टान तो है नहीं। और पथरी की सबसे बड़ी दवा तो होती है बियर। हचक कर पीना शुरू करो। दो-चार दिन में जितनी भी बियर पियोगे, एक दिन छन्‍न से पथरी बाहर निकल जाएगी।

उस मरीज के मित्र का एक करीबी मिलिट्री कैंटीन में काम करता था। उसने सिफारिश की और दस पेटी बियर ले आया। मित्र और उसके मित्र दोनों ही लोग टल्‍ली होने लगे। छह-सात दिन और हो गये, दर्द कम होने लगा। उसी अनुपात में बियर का कोटा भी बढ़ने लगा। लेकिन फिर अचानक असह्य दर्द हुआ। फिर सब लोग भागे मित्र को लेकर डॉक्‍टर के पास। डॉक्‍टर ने बताया कि यह हालत तो बहुत खराब हो गयी है। लीवर बढ़ गया है, कुछ ज्‍यादा ही। जांचें करवायीं तो पता चला कि पैंक्रियाज डैमेज हो चुका है, गुर्दा भी चिल्‍ल-पों कर रहा है। लीवर बहुत फैटी हो गया है। अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ेगा। अगले ही दिन पता चला कि रूमेटिक आर्थो समस्‍या हो गयी है इस मरीज को। और भी कई दिक्‍कतें आयीं। तीन दिन बाद डॉक्‍टर ने बताया कि पूरे इलाज में साढ़े सात लाख रूपयों का खर्चा आऐगा। और परहेज जीवन भर करना होगा।

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