: समान अपराध में एक को मलाई का कटोरा, दूसरे को विष-प्याला : अपना ही आर्डर निरस्त कर कार्रवाई से बच कर पीलभीत से रायबरेली पहुंचे :
नवजोत सक्सेना
पीलीभीत : एक पुलिस कप्तान थे संजीव त्यागी। बिजनौर में एसपी थे। अपना तबादला होने के बाद उन्होंने आनन-फानन उन्होंने जिले के दारोगाओं को सिपाहियों के तबादले थोक भाव में कर दिया। खबर मिली शासन को, कि इन तबादलों में पैसा उगाही हुई है। नतीजा, उनका तबादला बदल कर डीजीपी आफिस में अटैच कर ढक्कन बना दिया गया। अब उन पर जांच भी बैठा दी गयी है। लेकिन उसी तरह की कहानी पीलीभीत में हुई। लेकिन उस मामले में संबंधित व्यक्ति को मलाई का कटोरा थमा दिया गया।
मामला है पीलीभीत से रायबरेली के जिलाधिकारी बनाये गये वैभव श्रीवास्तव का। खबर है कि निवर्तमान जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने रायबरेली तबादला होने के बाद पूरनपुर व बीसलपुर के एसडीएम के तबादले कर दिए थे। ऐसे ही मामले में बिजनौर के एसएसपी पर कार्रवाई होने के बाद खुद को बचाते हुए वैभव श्रीवास्तव ने अगले दिन ही एसडीएम के तबादले निरस्त कर दिए थे परंतु 2 दिन तक तहसीलों में सभी एसडीएम जमे रहे। इससे प्रतीत होता है कि तबादला निरस्त करने का आदेश 19 अगस्त को जारी किया गया और उस पर 17 तारीख दर्शाई गई।
अपने कार्यकाल में कई तरह के विवादों में फंसे रहे निवर्तमान जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव जाते-जाते भी तबादले के नाम पर खेल कर गए। उन्होंने बहुचर्चित एसडीएम चंद्रभान सिंह जिन्हें किसान की मूंछ काटने के आरोप में पूरनपुर से हटाया गया था पुनः जाते-जाते पूरनपुर में तैनात कर दिया। जबकि पूरनपुर के एसडीएम को अतिरिक्त मजिस्ट्रेट बना दिया। बीसलपुर में भी तब्दीली की गई।
एसडीएम के बदले हो जाने से हड़कंप मच गया और यह मामला शासन स्तर तक पहुंच गया। इसमें मोटा खेल होने की बात लोग कह रहे थे। सीधे यह मैसेज सोशल मीडिया में वायरल हुआ कि शासन ने आईपीएस बिजनौर पर थानेदारों को हटाने पर कार्रवाई कर दी लेकिन पीलीभीत में एसडीएम के तबादले के मामले में निवर्तमान जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस बात की भनक व शिकायत शासन में पहुंचने पर वैभव श्रीवास्तव के शुभचिंतक अधिकारी ने उन्हें कार्रवाई की जानकारी दी। जिस पर वैभव श्रीवास्तव ने चार्ज छोड़ने के बाद अपनी अंत में की गई गलती को सुधारने के लिए अपने द्वारा तबादले के बाद किए गए एसडीएम के ट्रांसफर को यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि उनका तबादला रायबरेली हो गया इसलिए एसडीएम के स्थानांतरण निरस्त किए जा रहे हैं।
तबादला निरस्त करने की तारीख आदेश में 17 अगस्त दी गई है जबकि हकीकत में यह निरस्तीकरण का आदेश 17 नहीं बल्कि 19 अगस्त को जारी किया गया। जिस पर गलत तरीके से 17 तारीख डाली गई। अगर 17 तारीख को यह आदेश जारी हो गया था तो इसे सोशल मीडिया पर या मीडिया को क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया और 2 दिन संबंधित एसडीएम तहसीलों में किस हैसियत से काम करते रहे। उन्हें उसी दिन क्यों नहीं रिलीव किया गया।
एसडीएम के तबादले नवागत जिलाधिकारी द्वारा निरस्त करने के मेसेज जहाँ सोशल मीडिया पर चले वहीं अखबारों ने भी छापा कि नवागत जिलाधिकारी ने आदेश निरस्त किया है। जबकि खुद वैभव श्रीवास्तव ने खुद को बचाने के लिए यह चाल चली थी। आरोप है कि वैभव श्रीवास्तव ने स्थानीय मीडिया को भी गुमराह किया और उन्हें गलत खबर छापने को मजबूर किया। अब जब आदेश निकल कर सामने आया है तो पत्रकार भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
निवर्तमान डीएम का तबादला होने के बाद एसडीएम के ट्रांसफर करने का मामला गंभीर है। इस मामले में शासन संज्ञान लेता है तो वैभव श्रीवास्तव पर कार्रवाई तय है क्योंकि उन्होंने अपने तबादले के बाद एसडीएम के तबादले करके गलती की।
बाद में इस गलती को सुधारने के लिए एक और बड़ी गलती रिलीव होने के बाद निरस्तीकरण आदेश करके कर दी। क्योंकि जो पहला आदेश किया गया है वह राजस्व विभाग की साइट से ऑनलाइन किया गया है। जबकि 17 तारीख का आदेश मैनुअल दूसरे पटेल से गलत तरीके से किया गया है। जो स्वयं बयां कर रहा है कि यह आदेश गलत तरीके से पिछली तारीख में हुआ है। अगर 17 में आदेश होता तो राजस्व परिषद की साइट पर होता और उसी दिन सभी एसडीएम वापस हो गए होते।
इस सम्बन्ध में रायबरेली के डीएम वैभव श्रीवास्तव से फोन पर बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। हम वैभव श्रीवास्तव के पक्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं।