बडे एक्सपर्ट हैं अयोध्या के डीएम। उपलब्धियां झटकने में

दोलत्ती

: वाह वाह बहद्दर डीएम जी, आह आह बहद्दर डीएम जी : केंद्रीय जल सचिव को गुमराह कर पूर्व डीएम का मेडल अपने सीने पर टांक लिया : हजारों गवाह थे तमसा नदी के पुनर्रुद्धार अभियान में :

कुमार सौवीर

अयोध्या : जियो बहद्दर डीएम जी, जियो खप्पर डीएम जी।
वाह वाह बहद्दर डीएम जी, आह आह बहद्दर डीएम जी।
ऋषि अगस्त्य बन गये डीएम जी, भागीरथ बन गये डीएम जी।
मर्यादाओं की मूल भूमि पर, आदर्श त्याग गये डीएम जी।
असल क्रीज छोडे डीएम जी, क्लोराफॉर्म छिडके डीएम जी।
सफाई से निकले पत्थर बीन लिया, दूसरों का क्रेडिट छीन लिया।
क्या सुर:ताल मिलाये डीएम जी, क्या तेल लगाये डीएम जी।
वाह वाह बहद्दर डीएम जी, आह आह बहद्दर डीएम जी।

वह क्या है कि कुमार सौवीर का मूल काम है खोजना, संजोना, विश्लेषण करना और फिर उसे खबर की शैली में उसे पाठकों तक प्रस्तुत कर देना। लेकिन बीच-बीच में नेचुरल फरागत-निबटान जैसी जरूरतों के लिए दिन में दस-पांच बार शौचालय का कपाट खोल देता है न, ठीक उसी तर्ज पर कुमार सौवीर भी अक्सर कविता पर भी रद्दा मारना शुरू कर देते हैं। यह अनगढ कविता मैंने अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा बिश्नोई के प्रति अगाध भक्त श्रद्धा के तहत बुन डाली है। शैली हनुमान-चालीसा से ज्यादा बेहतर और नयी कविता की शैली में है, जिसमें हमने अपने अराध्य के प्रति अपनी आस्थाओं के पुष्पों को उनके सम्मान में रगड-रगड कर घिसने की अनथक कोशिशें की हैं।

हालांकि अब तो यह परम्परा ही बन चुकी है कि हर मंत्री अपनी डींग हांकने के लिए पुराने मंत्री के काम का श्रेय खुद ही लूट लेते हैं। लेकिन अधिकारी से इस तरह की धोखाधडी की अपेक्षा कत्तई नहीं की जाती है। वह भी सरासर और सफेद झूठ बोल कर। पूरे समाज की आंखों में धूल झोंक कर। लेकिन अयोध्या के मौजूदा जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने तो न सिर्फ अपने पूर्ववर्ती जिलाधिकारी के कामों को अपनी उपलब्धियों के खाते में दर्ज कर लिया है, बल्कि इस झूठ को सच साबित करते हुए बाकायदा एक प्रेजेंटेशन तैयार किया और फिर इसी पर एक बैठक में केंद्रीय मंत्रालय के सचिव के हाथों से बेहिसाब तारीफ भी झटक ली है।

यह विवाद तक भडक पडा, जब अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा ने अपने एक सरकारी प्रेसनोट में दावा किया कि; “अयोध्या के डीएम की पहल पर तमसा नदी के पुनर्रुद्धार का प्रयास किया गया था, जिसका कार्य अब पूर्ण कर लिया गया है। जिस के क्रम में जिलाधिकारी अयोध्या श्री अनुज कुमार झा को आज वर्चुअल कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह द्वारा “इलेट्स वाटर इनोवेशन अवार्ड” प्रदान किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी तथा नदी पुनरुद्धार योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उपस्थित थे।”

इस सरकारी प्रेसनोट में यह भी दावा किया गया है कि “इस अवसर पर जिला अधिकारी श्री झा द्वारा तमसा नदी के पुनर्जीवित होने से होने वाले लाभों के साथ-साथ इस नदी के पुनरुद्धार के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। जिलाधिकारी ने इसके अतिरिक्त जनपद में जल संरक्षण हेतु किए जा रहे हैं विभिन्न कार्यों में यथा विशुही नदी के जीर्णोद्धार व विभिन्न झीलों को पुनर्जीवित करने हेतु जनपद में वृहद स्तर पर जल संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यों की भी विस्तृत जानकारी दी गई।”

जानकार लोग बताते हैं कि इस सरकारी प्रेसनोट का पहला वाक्य ही पूरी तरह असत्य और भ्रम में डालने वाला है। सूत्र बताते हैं कि दरअसल तमसा नदी के पुनर्रुद्धार की यह मुहिम निवर्तमान जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक ने यहां अपने कार्यकाल के दौरान छेडी थी। एक वरिष्ठ पत्रकार ने दोलत्ती को बताया कि रुदौली के मवई से निकल कर अम्बेदकर नगर में सरयू में अपना पौने तीन सौ किलोमीटर का अस्तित्व सरयू में समाप्त कर देती है। इसमें करीब डेढ सौ किलोमीटर की दूरी अयोध्या जिले में है। लेकिन इस नदी की हालत बहुत खराब थी। कहीं लोगों ने उसे पाट लिया था, कहीं खम्भे गाड लिये गये थे, कहीं मकान बना लिया गया था तो कहीं चक या सडक तक निकाल कर तमसा को बेदम का डाला गया था।

सन-18 में तब के जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक ने इस नदी की दुर्दशा देखी तो आहत हो गये। तत्काल उन्होंने राजस्व विभाग के लोगों की टीम बनायी जिसने इस नदी के डिजिटल और कागजों की छानबीन कर उसका पूरा ब्योरा छान डाला। एक अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत तमसा नदी के अस्तित्व पर ठोस और जमीनी सर्वे पहली बार जुलाई-18 से शुरू हुआ ओर 15 दिसम्बर-18 को सम्पन्न हो गया। यह एक प्रशासनिक महत्वपूर्ण और महानतम प्रयास था।

स्थानीय पत्रकारों को याद है कि दो जून-19 को जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक ने इस नदी के उदगम स्थल पर इस नदी के पुनर्रुद्धार का अभियान विधिवत शुरू हो गया। उस दिन इस नदी की सफाई के लिए हजारों की तादात में ग्रामीण और जनप्रतिनिधि भी मौजूद हुए थे। उस अभियान के शुभारम्भ समारोह में तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक ने ग्रामीणों को बताया था कि इस अभियान का मकसद शासन और सरकार के संकल्पो के अनुरूप इस नदी को राष्ट्रीय पहचान दिलाना ही है। तब तो गजब तालियां बजी थीं।

इतना ही नहीं, उसी दौरान यहां की करीब 65 हेक्टेयर जमीन पर पसरी समधा झील का भी पुनर्रुद्धार अभियान भी शुरू कर दिया गया। तब तक इस झील के अधिकांश हिस्से को लोगों ने पाट कर उस पर कब्जा कर लिया था। जबकि सदियों प्रचानी इस झील में प्रवासी साइबेरियन पक्षी भी कलरव किया करते थे। डीएम पाठक के प्रयासों के चलते इस झील की सफाई की गयी और वहां पहुंचाने के लिए नहर से लिंक करा दिया। यहां करीब दस हजार पौधों का रोपण भी किया गया। आज यह झील पूरी तरह गुलजार है।

लेकिन हमारे ताजा बहद्दर डीएम साहब ने पुराने कर्मठ, समर्पित और सक्रिय डीएम अनिल कुमार पाठक की सारी सकारात्मक कोशिशों और उपलब्धियों का दाखिल-खारिज अपने खाते में ट्रांसफर कर पूरी वाहवाही का मेडल अपने सीने पर टांक लिया।

वाह वाह बहद्दर डीएम जी, आह आह बहद्दर डीएम जी।

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