पांच बरस में केवल 10 मामले सौंपे गये इस थाने को
आजमगढ़ : जिले की बागडोर महिला डीएम के हाथ हो तो महिलाओं की अपेक्षाएं बढ़ जाना स्वाभाविक है। जिले की डीएम स्वयं महिला है फिर भी महिला थाना एसओ विहीन चल रहा है। अब महिला थाने से कितना न्याय मिलने की उम्मीद लगाई जा सकती है, यह कोतवाली में स्थित बदहाल महिला थाना बता रहा है।
बसपा राज में यहां थानाध्यक्ष अंशुल शर्मा तैनात रहीं लेकिन उनका तबादला हो जाने के साल भर बाद भी किसी महिला थानाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई। पांच साल पहले यह सोचकर महिला थाना खोला गया था कि यहां पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलेगा लेकिन यह थाना बेकार पड़ा है। महिलाएं न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं। थाना बनने के बाद अब तक केवल 10 मामले ही दर्ज हुए हैं। ऐसे में महिला थाने की उपयोगिता पर ही सवाल खड़ा हो गया है।
वर्ष 2008 में थाना बनने के बाद अंशुल शर्मा को थाने का प्रभारी बनाया गया था। साल भर पूर्व उनका स्थानांतरण इलाहाबाद के लिए हो गया। इसके बाद से लगातार थानाध्यक्ष का पद खाली है। यहां चार अप्रैल 2013 को महिला कांस्टेबल गीता यादव को प्रभारी बना दिया गया। वर्तमान में पूरे महिला थाना में 12 स्टाफ हैं। इसमें एक मुंशी, एक उर्दू अनुवादक के अलावा 10 महिला आरक्षी हैं। प्रभारी का कार्य देख रहीं गीता यादव इनमें वरिष्ठ हैं।
बता दें कि 10 साल पहले महिला इंस्पेक्टर के रूप में विजयलक्ष्मी पांडेय जिले में आई थीं। इसके बाद नरेंद्र कौर भाटिया जिले कई थानों की थानाध्यक्ष रहीं। फिर नगीना राय दारोगा आई। इनका भी स्थानांतरण मऊ के लिए हो गया। अंशुल शर्मा जो महिला थाने की बागडोर संभाल रही थीं, वह भी चली गई। अब महिला डीएम आई हैं, उनसे लोगों को तमाम आशाएं हैं कि महिला हित में कुछ अलग करेंगी। इस संबंध में जिलाधिकारी नीना शर्मा ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। वह इस बारे में पुलिस कप्तान से बात करेंगी।
पुलिस अधीक्षक अरविंद सेन का कहना है कि शासन की तरफ से महिला उप निरीक्षक की कोई तैनाती ही नहीं की गई है। इसकी वजह से थानाध्यक्ष का पद खाली है। इसके लिए वह शासन को पत्र लिख चुके हैं। प्रभारी के रूप में गीता यादव को वहां का चार्ज दिया गया है। महिलाओं के मामले को हर हाल में प्राथमिकता से वह अपने स्तर से निबटाती हैं।
अब तक दर्ज हुए मामले
2009 01
2010 04
2011 03
2012 00
2013 02