हरियाणा में दलित का मतलब गुंडई, बलात्कार और अपमान

सैड सांग

दलितों की घुड़चढी के खिलाफ जाटों ने मूंछें मरोड़ीं

गुड़गांव : 1966 में हरियाणा बनने से पहले पंजाब में दलितों पर अत्याचार कभी-कभार अपवाद के रूप में ही घटित होती थी, क्योंकि उस  समय  हरियाणा में जातिवाद न के बराबर था या यह कहे कि आज का दबंग उस समय खुद को असहाय अल्पसंख्यक ही महसूस  करता था. उस  समय जाट समुदाय आम तौर पर दलितों को अपना सहयोगी भाई के तौर पर लेता था और गांव में हर नौजवान एक दूसरे को भाई और अपने से बड़ों को चाचा ताउ कहकर ही संबोधित करते थे. दूसरे गांव में मेहमान के तौर पर कोई भी आदमी जाता था तो वहां पर ब्याही  हुई अपने  गांव  की लडकी को बहन-बेटी के रूप में एक रूपया देकर आया करते थें (उस समय एक रूपये की वैल्यू हुआ करती थी) वो दिन आज भी पूराने भाईचारे के इतिहास के रूप याद किये जाते हैं.

लेकिन अब हालात बदल गये हैं। जो दोस्तीू है, वह दुश्म नी में बदल गयी है। मसलन, जिला भिवानी के लोहारी गांव में बारात चढ़ने से पहले घुड़चड़ी पर हमला कर दिया और दलितों की दूल्हे समेत खुब पिटाई की. जिला इज्जर में 15 अक्टूबर, 2002 को शहर से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर दुलिना गांव में वह भी पुलिस चौकी में 5 दलितों की दशहरे के दिन भीड़ ने केवल इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह पास की किसी खाई में मृत पशु की खाल निकाल रहे थे.

ऐसी घटनाओं के बाद जब मीडिया हरकत में आता हैं तो फिर दबंग समुदाय खाप और एरिया के नाम पर या सर्वखाप के नाम पर पुलिस केसों से बचने के लिए इकठ्ठा होकर माईक पर सरकार और पीडित समुदाय को सरेआम धमकियां देना शुरू करता हैं और मीडिया को झूठा और दुर्भावना ग्रस्त घोषित करता है. सरकार तथा पुलिस को भी कार्यवाही करने के विरूद्ध धमकाता हैं. जब कभी-कभी सरकार मजबूरी में दिखावे के तौर पर केस दर्ज करके दोषियों को गिरफ्तार करती है तो फिर वही सर्वखाप दलितों को भाईचारे की दुहाई देकर केस खत्म करने की सहला देते हैं. और अगर ना माने तो गवाहों और सबूतों को खत्म करने का जी-तोड़ प्रयास करती हैं. और आम तौर पर यह इसमें कामयाब भी होते हैं.

आश्चर्य की बात तो ये हैं कि सरकार उन दलितों को पुर्नवास और  क्षतिपूर्ति के नाम पर धन और साधन उपलब्ध कराती हैं. दूसरी तरफ दबंग अपराधियों को बचाने की सरेआम मुहिम भी चलाती है. गांव मिर्चपुर कांड में बिल्कुल यही कारनामा अमल में लाई गई और उनसे दबंगों को भरपूर फायदा मिला. मिर्चपुर गांव पूरी तरह से दबंग जाति का वर्चस्व रखता है. इस गांव के दबंगों ने बाकायदा साजिश के तहत 700-800 की संख्या में वाल्मिकी जाति पर पुलिस और प्रशासन की हाजिरी में हमला कर दिया और दो दर्जन से ज्यादा घरों को आग लगा दी. एक पिता और उसकी नाबालिग बेटी को जिंदा जला कर मार डाला. सारे मोहल्ले में पूरी लूटपाट की और फिर सबकुछ शांत। उसके बाद वाल्मिकीयों के 250 परिवार गांव छोड कर बाहर चले गये. इस कांड को मीडिया ने खूब उछाला और राज्य सरकार को खूब लानत दी गई. अंत में मजबूरी में पुलिस केस दर्ज किया गया और 130 दंबगो को गिरफ्तार किया गया.

दिस्मबर 2011 गांव देवसर जिला भिवानी में एक दलित दुल्हे की धुड़चडी ठाकुर जाति के सैंकड़ों दबंगों द्वारा रोक दी गई. धुडचडी में शामिल प्रत्येक व्यक्ति यहां तक की महिलाओं व बच्चों से भी मार-पीट किया गया और उन्हें नीच जाति के नाम पर अपमानित किया गया. इस घटना की सूचना पर भी पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. बड़े अधिकारियों और राजनितिज्ञों के पास जाकर गुहार लगाने पर भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई. इसका नतीजा यह निकला कि दबंगों के हिम्मत और बढ़ गई और अप्रैल 2013 में उसी पीड़ित दुल्हे को एक पेड़ से बांध कर जीप से टक्कर मार मारकर हत्या कर दी गई.

अब यह केस विशेष जज भिवानी की अदालत में विचाराधीन है. और इस केस में केवल पांच दोषीगण हैं, जबकि हत्या में पचासियों ठाकुर जाति के दबंग शामिल थे. सितम्बर 2012 में हिसार शहर के नजदीक डाबड़ा गांव में एक दलित लड़की के साथ दंबगों द्वारा सामुहिक बलात्कार किया गया. हिसार के विशेष जज श्रीमति मधु चन्ना की अदालत से चार दोषीगण को बरी कर दिया गया और चार को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. जबकि पुलिस ने चार दोषीगण को चालान पर बहस के दौरान ही डिस्चार्ज करवा लिया.

अब इस केस की क्रॉस अपीलें चण्डीगढ़ हाई कोर्ट में विचाराधीन है. इसमें उल्लेखनीय यह है कि पीड़िता के पिता ने इस सामूहिक बलात्कार की वजह से आत्म हत्या कर ली थी. अक्टूबर 2012 को सच्चा खेडा गांव में 5 दंबगों ने एक दलित लड़की से सामूहिक बलात्कार किया. इस केस में 3 दोषीगण को बरी कर दिया गया और दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इस फैसले से निराशा होकर पीड़ित लड़की ने आत्म हत्या कर ली. उपरोक्त दोनों केसों में क्रास अपीले पेंडिंग हैं.

3 नवम्बर 2012 को हिसार के पास डाया (मंगाली) गांव में एक नाबालिग दलित लड़की से चार लोगों ने सामुहिक बलात्कार किया और पुलिस ने इस केस में बलात्कार की दफा 376 ही निकाल दी. अब इसके खिलाफ याचिका सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है. जनवरी 2013 में पलवल शहर में दबंगों की भीड़ ने दलितों पर हमला कर दिया, परन्तु आज तक पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है. फरवरी 2013 को जिला भिवानी के गांव रतेरा में दबंग ठाकुरों ने एक और दलित युवक की घुडचडी नहीं निकलने दी. इस पर 25 दबंगों के खिलाफ विशेष जज भिवानी की कोर्ट में अब यह केस विचाराधीन है.

फरवरी 2013 में ही जिला हिसार के सरसाना गांव में 13 साल की दलित मासूम बच्ची के साथ दबंगों द्वारा सामुहिक बलात्कार किया गया. इसमें चार दोषीगण में से एक को ही गिरफ्तार किया जा सका है. यह केस अब हिसार की अडिश्नल जज की अदालत मे विचाराधीन है. मार्च 2013 को जिला रोहतक के गांव मदीना में दबंगों ने दलितों के मोहल्ले पर अचानक फायरिगं कर दी, जिसमें दो दलित मारे गये. इस केस में 18 में से केवल चार मुलजिम पकडे गये है. बाकी 14 को चार्जशीट में ही शामिल नहीं किया गया. यह पेटिशन भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

अप्रैल 2013 भिवानी जिले के रिवासा गांव में एक दलित महिला अपनी छोटी बच्ची को दुध पिला रही थी कि अचानक दबंगों ने उस पर हमला बोल दिया दुधमुंही बच्ची को ज़मीन पर फेंक कर मारा तथा दलित महिला से सामूहिक बलात्कार किया. इस केस में भी तमाम सबूतों के मौजूद होने के बावजुद किसी भी दोषी को सजा नहीं हुई.

हरियाणा आर्थिक और राजनितिक रूप में देश का अग्रणी राज्य है, परन्तु दलितों के लिए यह नरक बना हुआ हैं. दलितों के खिलाफ गांव बंदी की घोषणाऐ बिल्कुल आम है. गांव शामूलात की ज़मीनों पर दलितों को पैर भी नहीं रखने दिया जाता. खापो और सर्वेखापो, पंचायतों द्वारा रोजाना फतवे जारी किये जाते है. जहां तक उपरोक्त केसों का सवाल है तो यह हिम्मत वाले लोगों के कारण ही प्रकाश में आये हैं. वरना प्रत्येक वर्ष इनकी संख्या तो सैंकडों हजारो में है.

वैसे तो अपराध प्रकिया कोर्ट के मुताबिक ऐसे दबंगों को कोर्ट की सजाओं के अलावा गांव और क्षेत्र के सारे इलाके को अपराधग्रस्त घोषित करके उन सबकी हर तरह की चल अचल सम्पति को कुर्क करके सरकार को अपने कब्जे में लेकर पीड़ित समुदाय के लोगो में बांट देना चाहिए. ताकि ऐसे दबंग समुदाय के लोग भविष्य में कम से कम उस इलाके के ऐसी घटना की पुनरावृति ना कर सके. इस कार्यवाही के लिए सरकार को सभी तरह की संभावनाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. बियॉंडहेडलाइन्स

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