विधानसभा में गरजे आजम, बोले:- यह मेरा इस्तीफा है

मेरा कोना

: पहली बार सच का दामन थामा है आजम खान ने  : झूठी और दलाल मीडिया को औकात में रख दिया : उद्दण्ड, हमलावर बोली-भाषा, हिंसक और बेलगाम :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आजम खान को तो आप खूब जानते होंगे? मैं भी जानता हूं। लेकिन हो सकता है कि आजम खान के बारे में मेरी राय कुछ चंद लोगों से बिलकुल अलहदा हो। देखिये, मैं मानता हूं कि आजम खान एक घोर साम्प्रदायिक, निहायत बदतमीज, उद्दण्डम, बोली-भाषा में हमलावर और हिंसक, बेलगाम और बद-जुबान के मालिक हैं। यह भी मानता हूं कि आजम खान किसी भी शख्स को तब तक ही पहचानते हैं, जब उन्हें उसकी जरूरत होती है। लेकिन जैसे ही उन्हें  उनकी जरूरत खत्‍म हो जाती है, वे उस शख्स को अपनी सीढी के निचले पाया की तरह उखाड़ देते हैं। हमेशा-हमेशा के लिए। यह भी जानता हूं कि आजम खान की शालीनता तब ही कायम करती है, जब तक वे बहुत एकदम अकेले और कमजोर होते हैं। लेकिन जैसे ही उनकी बाहों में तनिक भी ताकत आती है, वह अभद्रता की हर सीमा तक पार निकल जाते हैं। लखनऊ मेल में एक टीटी को सरेआम मुर्गा बना डालने जैसी करतूतें आजम खान अपनी ऐसी ही मजबूती के आलम में अक्सर कर देते हैं। आजम खान मूर्खताएं अक्सर करते रहते हैं, लेकिन तब ही जब उन्हें ताकत का हल्का सा भी झोंका का अहसास होता है। तब वे खुद के प्रदर्शन की हरचंद कोशिशों में जुट जाते हैं। हां हां, अपनी मूर्खताओं के वशीभूत। अरे वो कीड़ा कहते हैं ना? जी हां, वही तो काटते रहते हैं आजम खान में। वरना जिसे अवाम ने पूरे यूपी का नेता बनाने की कोशिश की हो, वह खुद को केवल मुसलमान समुदाय का नेता बनने की कोशिश क्यों करता ?

लेकिन साहब, मैं आज मैं इस शख्स की तारीफ जरूर करूंगा कि उन्होंने आज पहली बार अपने असली पौरूष का प्रदर्शन किया। इसके पहले तो आजम खान अपनी ऐसी की तैसी कराने की खासी शोहरत हासिल कर चुके थे, मसलन समाजवादी पार्टी से ससम्मान भगाया जाना, जयप्रदा जैसी सांसद को पतुरिया-वेश्या-नर्तकी तक कह कर अपनी छीछालेदर कराना आदि कर्म-कुकर्म करनी खूब चर्चित हुई हैं, जिसमें उन्होंने आखिरकार मुलायम सिंह यादव के सामने अपना सिर झुकाया। कई बार तो सरेआम टेसुए बहाये, अपने फटे दामन का खुलेआम प्रदर्शन किया। कोई साढे छह साल पहले रामपुर में मैंने कई दौर में आजम खान का इंटरव्यू किया, जब मैं महुआ न्यूज चैनल में स्टेरट हेड था। मुझे याद है कि आजम ने हर बार अपनी आंखें गीलीं की, सुझाव मांगे मुझसे कि कैसे मैं उनका मददगार बन सकता हूं। पूरे दौरान चाहे वह बिरयानी-कोरमा हो, चाय हो या फिर सेब-संतरा के टुकड़े हों, वे अपने हाथों से ही मुझे खिलाते रहते थे। आदि-इत्यादि।

लेकिन कल विधानसभा के बजट सत्र में जिस तरह उन्होंने अपनी खुद्दारी का प्रदर्शन करते हुए इस्तीफा तक की पेशकश दी दी, वह बेमिसाल है। आजम अपना इस्तीफा घर से लिख कर सदन में पहुंचे थे। यानी उन्हें  पता था कि सदन में विपक्ष उन पर हमला करेगा। लेकिन आजम ने अपना स्टैंड बनाये रखा, और खुलेआम साबित कर दिया कि वे बिकाऊ मीडिया की निहायत घटिया और षडयंत्री करतूतों के सामने नहीं झुकेंगे, भले ही उन्हेंद इस्तीफा ही क्यों  न देना पड़े।

आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर के दंगों के दौरान आजतक नामक न्यू्ज चैनल के वर्तमान और पूर्व बडे दिग्गजों ने कई खबरें ब्रेक कीं जिसमें आजम खान की छवि को बेहद घटिया स्तर पर खड़ा कर दिया गया था। आजम खान ने उन खबरों को विधानसभा के पटल पर रख कर अपना पक्ष रखा तो आश्वासन समिति को यह मामला सौंप दिया गया। जांच के बाद पता चला कि ब्रेक की गयी वह खबरें बिलकुल निराधार और बाकायदा षडयंत्र थीं। कल इस जांच की साढे तीन सौ से ज्यादा पृष्ठों वाली रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गयी। तो भाजपा के सदस्योंज ने आजम खान की घेराबंदी करते हुए शोर मचाया। फिर क्या था। आजम खान ने आव देखा न ताव। सीधे अपनी सदरी से एक परतदार कागज निकाला और उसे खोल कर सदन के सामने लहरा दिया। फिर बोले:- यह है मेरा इस्तीफा

इस मामले की सुनवाई अब चार मार्च को होगी।

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