औली के बुग्‍याल को चर गयी सरकार, ढलान पर बना दिया होटल

मेरा कोना
: हिमालयी घास की बेशकीमती ढलानें बचना कितना जरूरी : पर्यटन विभाग ने ही लम्बा ऊंचा होटल पूरी ढलान को ढांप कर बना डाला : बुग्याल का जो हश्र इन कुछ सालों में हमने किया है ,उसमें कड़े फैसले की जरूरत :

अतुल सिंह
जोशीमठ : नैनीताल हाईकोर्ट के हालिया आदेश से यह पुन: स्थापित हुआ है कि हिमालयी घास की बेशकीमती ढलानें बचना कितना जरूरी है !पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 1997 के करीब अपने फैसले में यही कहा था कि बुग्याल में स्थाई निर्माण कार्य नहीं किये जाने चाहिए ! तब श्री ओमप्रकाश भट्ट गोपेश्वर से इस सन्दर्भ में याची हुए थे ! इस आदेश के बाद ही चोपता बुग्याल में गढवाल मंडल विकास निगम का स्थाई निर्माण रूप में बना गेस्ट हाउस ध्वस्त करने का भी फरमान हुआ जो कि लगभग लागू हुआ !
नैनीताल हाईकोर्ट का फैसला अलबत्ता इस मामले में मिसाल है क्योंकि ये अपने चिंतन में व आदेश में थोड़ा तफसील लिए है ! भले ही तफसील कुछ मामले में थोड़ा अति की तरफ जाती दिखती है ! जो आज जब साहसिक पर्यटन रोजगार का मुख्य जरिया पहाड़ में बन रहा है तब उसके लिए बड़ा धक्का होगा ! किन्तु बुग्याल का जो हश्र इन कुछ सालों में हमने किया है ,उसमें कड़े फैसले की जरूरत है ही ! पर असल मसला तो इसे लागू करने को लेकर ही खड़ा होगा !
क्योंकि पूर्व के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का ही यदि पालन हो गया होता तो इतना अन्धादुन्ध निर्माण जो उसके बाद हुआ वो नहीं होता ! जोशीमठ का ही उदाहरण लें तो यहाँ औली में तब ठीक स्की ढलान के रास्ते में एक होटल बना था ! जिस पर इस आदेश के बाद कार्यवाही होनी चाहिए थी . हमने इस आदेश को कई बार शाया किया मगर कुछ ना हुआ , होटल तो वहीं रहा पर जिन जिन अधिकारियों ने उस पर कार्यवाही की सोची वो ज्यादा दिन नहीं रहे .
उसके बाद तो औली में स्थाई निर्माण की बाढ़ ही आ गयी , अब तो औली की वो ढलान ढूंढनी पडती है उनको, जिहोने इसे पहले देखा है .पर्यटन विभाग ने ही लम्बा ऊंचा होटल पूरी ढलान को ढांप कर बना डाला !
जहां तक चरान पर रोक का सवाल है तो औली की वर्तमान स्थिति को देखते हुए आज ये उचित लगता है ! निश्चित ही इससे कुछ स्थानीय लोगों के हक ह्कूकों पर असर पड़ेगा !
रात्रि निवास यदि टेंट में हो और बुग्याल की स्वच्छता पर्यावरण का ध्यान रखते हुए , और नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए किया जाय तो इसकी अनुमति होनी चाहिए !
शेष आदेश के विस्तृत अध्ययन पर व आदेश पर सरकार की गम्भीरता के बाद ही देखा जाएगा …!

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