: समय से प्रशासन हस्तक्षेप कर ले, तो 90 फीसदी अपराध खत्म हो जाएं : मौत बनते हैं जमीन के अधिकांश झगड़ा, गांव की शांति तबाह : लखनऊ में मंत्री, विधायक और अफसर खुद ही कब्जाये हैं अरबों की जमीन : पैमाइश कराने का मतलब होता है गांव में खून-खच्चर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : दुहाई हो माई-बाप, सरकार एडीएम साहब हजूर। यह है अर्जी है कुमार सौवीर वल्द स्वर्गीय सियाराम शरण त्रिपाठी, पता वैनी-खुरथुआ, थाना पयागपुर, जिला बहराइच की, जहां के पड़ोसी गांव में जमीन के विवाद में इतनी बड़ी राजनीति हो गयी, कि आखिरकार एक गांव प्रधान की एक शाम बोटी-बोटी काट कर उसे कुत्तों में बांट दिया गया। यह है वाकया नम्बर- एक।
अब सुनिया वाकया नम्बर- दो। कासगंज के गंजडुंडवारा इलाके में गंगा की कटनी वाली जमीन को लेकर सुन्नगढ़ी गांव में इतना तनाव भड़का, कि इसी 17 दिसम्बर-16 को दो गुटों में जमकर गोलियां चलीं, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गयी। यहां के खाली खेत पर झगड़ा चल रहा था। दोनों ही पक्षों ने इस बारे में जिला प्रशासन को खबरदार कर रखा था। एसडीएम से लेकर तहसीलदार जैसे अफसरों के यहां जमीन का निपटारा करने की कई-कई अर्जियां पड़ी हुई थीं, लेकिन न प्रशासन की नींद टूटी और न ही पुलिस के खर्राटे बंद हो पाये। इस हादसे में दो सगे भाई भी मारे गये, और एक बीडीसी भी मारा गया।
वाकई नम्बर- तीन। लखनऊ में मंत्री शारदाप्रसाद शुक्ला ने करीब बीस करोड़ रूपयों की जमीन पर कब्जा कर रखा था। यह जमीन लखनऊ विकास प्राधिकरण की है। इस अवैध कब्जे पर मंत्री शुक्ला ने एक आलीशान इमारत खड़ी कर रखी थी। इतना ही नहीं, यहां एक बड़ा मंदिर भी बना था। इस जमीन पर कब्जे की शुरूआत शुक्ला ने इस मंदिर के लिए ईंटें लगाने से शुरू की, और उसके बाद मंदिर के साथ ही साथ यह पूरी की पूरी जमीन यह मंत्री शुक्ला की बपौती बन गयी। इसको लेकर भी एसडीएम और एलडीए के अफसरों के यहां भी खूब भागादौड़ी की गयी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। हां, मामला एलडीए की ओर से हाईकोर्ट तक गया, और आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश पर मंत्री शुक्ल की इमारत तो ढहा दी गयी, लेकिन मंदिर पर कोई आंच नहीं आयी। वह अवैध मंदिर बदस्तूर मौजूद है।
वाकया नम्बर- चार। इतना ही नहीं, सपा से ही सीतापुर के एक बागी ने मुख्यमंत्री आवास के 250 मीटर दूर जमीन का एक बड़ा प्लाट कब्जा कर उसपर कई मंजिला इमारत खड़ी कर दी थी। इसके अलावा आलमबाग क्षेत्र में भी कोई 150 करोड़ की जमीन पर भी इसी विधायक का कब्जा था। लेकिन कोई भी कार्रवाई तब हुई जब यह विधायक सपा से बागी हो गये। फिर सरकार के इशारे पर एलडीए ने इस इमारत को तोड़ दिया और दूसरी जमीन पर से भी अवैध कब्जा हटा दिया।
वाकया नम्बर- पांच। कोई छह महीना पहले मथुरा में उद्यान विभाग की 280 एकड़ जमीन पर सपा के एक कद्दावर मंत्री के इशारे पर रामवृक्ष यादव नामक एक बकैत-दबंग ने अपने कोई 3000 समर्थकों के साथ कब्जा कर लिया। इस कब्जे में उद्यान विभाग का कार्यालय और आवासीय कालोनी भी शामिल थी। इस कब्जे को कायम कराये रखने में एसडीएम, एडीएम, जिलाधिकारी, कमिश्नर वगैरह सभी शामिल रहे। खुद को दुनिया की सर्वाधिक ईमानदार आईएएस अफसर कहलाने वाली बी चंद्रकला तो इतना उत्साहित थीं, कि एक बार जब बिजली महकमे ने उस कब्जे की कालोनी की नॉन-पेमेंट पर बिजली काट दी, तो बी-चंद्रकला खुद ही मौके पर पहुंचीं और बिजलीवालो को धममकाते हुए बिजली का कनेक्शन वापस दिला दिया।
वाकया नम्बर- छह। फैजाबाद के कुमारगंज-हालियागंज वाले पूरे लाल खां गांव में एक शख्स ने एक बड़े रकबे वाले जमीन पर कब्जा कर रखा है। यह जमीन दिल्ली के पत्रकार शीतल पी सिंह की है। शीतल जब इस अवैध कब्जे की शिकायत करने थाने पर पहुंचे, तो पुलिस खुद ही पार्टी बन गयी। कुमारगंज थानाध्यक्ष ने निहायत बदतमीजी से जवाब दिया कि अभी दोनों पक्षों को दफा 151 में जेल में बंद कर दूंगा। हैरत की बात है कि यह मामला एसडीएम के यहां चल रहा है, लेकिन उस पर कुछ भी नहीं हुआ।
वाकया नम्बर- सात। जौनपुर के सिद्दीकपुर में एक बड़े भूखंड पर एक दबंग यादव का कब्जा है। थाना-तहसीलदार और एसडीएम तक सब जानते हैं कि इस दबंग ने फर्जी कागजों पर केवल इसी ही नहीं, बल्कि आसपास के कई इलाकों में अवैध कब्जा कर रखा है। एसडीएम, एडीएम और डीएम तक के यहां सैकड़ों अर्जियां पड़ी हैं इस दबंग के खिलाफ। लेकिन कोई भी अफसर ऐसे अवैध कब्जों को हटाने की शुरूआत नहीं करना चाहता।
वाकया नम्बर- आठ। एक बेहद चर्चित आईपीएस अफसर है राकेश शंकर। बकैती के मुख्य ध्वजा-धारक। गायत्री-मंत्रों के प्रवाह-शैली में गालियों का प्रवचन देते हैं। फिलहाल, सिद्धार्थनगर में कप्तान हैं। लखनऊ के महानगर कालोनी में राकेश शंकर ने अपने मकान के सामने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। इस पर जब स्थानीय लोगों ने ऐतराज किया, तो उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कई पड़ोसियों को रात भर महानगर कोतवाली में बिठाये रखा। राकेश शंकर तब खुद को यूपी के एसपी क्राइम कहलाते थे।
वाकया नम्बर- नौ, नब्बे, नौ सौ निन्यान्बे, नौ लाख नौ हजार नौ सौ निन्यान्बे, नौ करोड़
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