पेट में बेटी गिरानी है, तो जौनपुर आइये

सैड सांग

:अवैध नर्सिंग होम बने कन्याभ्रूण के कत्लगाह: झोलाछाप डाक्टर कर रहे है धड़ल्ले से अल्ट्रासाउण्ड: डिग्रीधारक डाक्टरों ने जिले में बेची डाली अपनी डिग्री: रोजाना हो रहे है मारी जा हैं मां के पेट में 50 से ज्यादा कन्याएं: केवल औपचारिक निंदा करते हैं डीएम गौरव दयाल: सीएमओ के मुंह में राम बगल में छूरी; बीज भंडार और मेडिकल स्‍टोरों तक पर गिरा दी जाती हैं पेट में पलती बच्चियां: कुछ ही दिन पहले मारे गये एक छापे में छह सौ से ज्‍यादा कन्‍या भ्रूण यामल सामने आये थे, मगर हुआ कुछ : गर्भाशय से हाथ-पैर पकड कर खींच कर मार डालते हैं कन्‍या भ्रूण : जौनपुर तो लगता है कि अब कन्याभ्रूण के लिए सामूहिक कत्लगाह बन गया है!

यूं तो डाक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है और इसकी मिसाल अक्सर आपकों देखने को मिल भी जाती है पर ये भी सही है कि कुछ लोग अपने पेशे के साथ धोखेबाजी कर चंद पैसों के लिये ना सिर्फ डाक्टरों को बदनाम करते है बल्कि पूरे समाज पर एक ऐसा दाग लगा देते है जिसे साफ करने में सालों लग जाता है। कुछ ऐसा ही इन दिनों जौनपुर जिले में देखने को मिल रहा है जहां धड़ल्ले से अवैध नर्सिंग होम के अंदर अल्ट्रासाउण्ड सेंटर चल रहे है जहां ना सिर्फ कन्याभ्रूण की जांच होती है बल्कि चंद पैसों की लालच में उनकी हत्या भी कर दी जाती है। ये भी सही है कि जिला प्रशासन ने समयरुसमय पर इस पर कार्रवाई भी की पर ऊंची राजनीतिक-प्रषासनिक पहुंच और पैसे के दम पर फिर से ये अपने इस धंधें में जुट जाते हैं। फिलहाल तो इस मामले का खुलासा लखनऊ की एक स्वयंसेवी संस्था में किया है जिसमें पूर्वांचल के जौनपुर, बलिया, मऊ, प्रतापगढ़, देवरिया सहित पांच जिले प्रमुख हैं जहां डिग्री किसी की और अल्ट्रासाउण्ड कोई और व्यक्ति कर रहा है। यहीं नहीं इस मामले की एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर कर दी गयी है।

दो दिन पूर्व ही विश्व महिला दिवस की शताब्दी बड़े ही जोश के साथ पूरे दुनिया ने मनाया जिसमें भारत भी पीछे नहीं रहा तमाम जगह महिला सशक्तिकरण की बातें की गयी दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, महिला अत्याचार, सहित अन्य विषयों पर बुद्धजीवियों ने चर्चा की। पर जमीनी हकीकत इससे उलट है आज भी जिले के अंदर रोजाना इन्हीं अवैध नर्सिंग होम में धड़ल्ले से ना सिर्फ कन्या भ्रुण की जांच होती है बल्कि बड़ी आसानी के साथ मोटी रकम लेकर हत्या कर दी जाती है। ये हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है कि एक तरफ महिला दिवस के शताब्दी पर हम महिला सशक्तिकरण की बात करते है और दूसरी तरफ बड़ी तेजी से कन्या भ्रूण हत्या हो रही है और हम उसे रोकने में नाकाम साबित हो रहे है। सवाल यह उठता है कि रोजाना ऐसी बच्चियों को इस दुनिया में कदम रखने से पहले ही काल के गाल में समां दिया जाता है जो इस दुनिया में आने को बेचैन रहती है। क्या ये सही है कि जिस बच्ची ने अपनी मां के गर्भ में पलना शुरू किया सिर्फ इसलिये इस दुनिया में आने से रोक दिया जाता है कि वो लड़की है क्या वे भूल जाते है इसी भारतवर्ष में रजिया सुल्तान, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी महिलाओं ने ना सिर्फ देश का नाम रौशन किया बल्कि महिलाओं के लिये भी मिसाल बनी है।

देखा जाय तो आज देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल है तो दूसरी ओर विपक्ष में भाजपा के सुषमा स्वराज बखूबी अपना किरदार निभा रही है। खेलों में सायना नेहवाल व सानिया मिर्जा में देश को विश्व की बुलंदियों पर पहुंचाया वहीं प्रदेश की मुखिया मायावती अपना झण्डा गाडे हुए हैं। लता मंगेषकर ने तो यहां तक साबित कर दिया कि बुलंदियों तक पहुंचने में औरत मर्द में कोई भी भेद नहीं होता है!

बहरहाल, जो तथ्य लगे है उसके अनुसार जिले में करीब 18 अल्ट्रासाउण्ड सेंटर ऐसे है जहां मानकों की अनदेखा कर रोजाना धड़ल्ले से जांच की जा रही है जहां प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है। पता चला कि कई बड़े डाक्टर जो कि अन्य जिलों अथवा प्रदेशों में बैठकर अपना नर्सिंग होम चला रहे है उन्होंने इस जिले में अपनी डिग्री चंद पैसों के लिये झोला छाप डाक्टरों को के हाथों बेच दी और इसी के सहारे धड़ल्ले से अवैध नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउण्ड सेंटर फल फूल रहे है। अगर इसे कत्लगाह कहा जाय तो कोई गलत नहीं होगा।

सवाल यह उठता है कि एक डाक्टर यदि लखनऊ में बैठकर अल्ट्रासाउण्ड की जांच कर रहा है तो उसी के नाम मिला लाइसेंस आखिर जौनपुर में कैसे चल रहा है और रोजाना वहां जांच कर रिपोर्ट दी जा रही है और इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर कन्या भ्रूण हत्या किया जा रहा है। देखा जाय तो जिस तरह भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले चंद डाक्टरों ने अपनी आत्मा के साथ दगा देते हुये ये घृणित कार्य कर रहे है और रोजाना कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दे रहे है। जरूरत है ऐसे लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने की जिससे की इस पर अंकुश लग सके और समाज को एक नया संदेश मिले। पिछले आंकड़ों को देखा जाय तो कभी यह जिला पुरूषों के आंकड़ों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ा था अब देखा जाय तो प्रति हजार जन्म लेने वाले बच्चों में ये प्रतिशत लड़कियों का 930/1000 हो गया है। जिसके लिये अवैध नर्सिंग होम जिम्मेदार है। आपकों बता दे कि लखनऊ के एक स्वयंसेवी के एक संस्था को इस मामले को गंभीरता से लेते हुये पूरे उत्तर प्रदेश के उन जिलों की सूची व सबूत तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर कर दी है और उम्मीद है कि जल्द ही इस पर सुनवाई और कार्रवाई होगी।

मुंह में राम बगल में छूरीः मुख्य चिकित्साधिकारी डीके पटेरिया कहते हैं कि नियम के अनुसार वहीं डाक्टर अल्ट्रासाउण्ड सेंटर पर बैठकर जांच कर सकता है जिसने पूरे मानक को पूरा किया हो और उसके पास उसकी डिग्री मौजूद रहे ऐसे में यदि डाक्टर अपनी डिग्री दूसरे नर्सिंग होम में बेचकर जांच करवा रहा है तो वो कानूनी जुर्म है और इसके लिये उसको कड़ी सजा भी मिल सकती है। लेकिन जानकारों का कहना है कि जौनपुर के ऐसे सेंटरों से पचास हजार रूपया और झोलाछाप डाक्टरों से दस हजार रूपये सालाना की वसूली सीएमओ आफिस द्वारा की जाती है।

केवल औपचारिक निंदा करते हैं डीएम गौरव दयालः जिलाधिकारी गौरव दयाल ने इसे बड़ा गंभीर मामला बताते हुये कहा कि ये समाज और कानून की निगाह में सबसे बड़ा जुर्म है और ऐसा करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी इससे पहले भी जिला प्रशासन ने अभियान चलाकर कई सेंटरों पर छापे मारे थे और कार्रवाई की थी। वे कहते हैं कि जरूरत पड़ी तो इस मामले को भी गंभीरता से लेते हुये कड़ी कार्रवाई की जायेगी क्योंकि ये समाज के लिये अभिशाप बनता जा रहा है। लेकिन जानकार बताते हैं कि सीएमओ आफिस द्वारा ऐसे सेंटरों और झोलाछाप डॉक्‍टरों से की जाने वाली भारी वसूली दस्तूर के तौर पर जिला प्रषासन के बडे अफसरों तक पहुंचाने के नाम पर की जाती है। डीएम के नाम पर होने वाली इस वसूली का सारा का सारा पैसा यही अफसर डकार जाते हैं। लेकिन हैरत की बात है कि प्रशासन को इसकी खबर होने के बावजूद पीसीपीएनडीटी यानी कन्‍याभ्रूण को संरक्षित करने के लिए बनी डीएम की अध्‍यक्षतावाली जिला स्‍तरीय कमेटी की बैठक कभी भी समय से नहीं बुलायी जाती है। इससे साबित होता है कि बिना कमेटी के पास किये गये दर्जनों अवैध सेंटरों पर रोक लगाने और भ्रूण कन्याओं की हत्याओं को रोकने से प्रषासन आंखें मूंदे हुए है।

:कन्या भ्रूण हत्या में अवैध अल्ट्रासाउण्ड सेंटर व डाक्टर जिम्मेदार: जिले की महिलाओं ने एसएनबी की इस मुहिम की सराहना की:

कहा दोषियों पर हो कड़ी कार्यवाही तभी रूकेगा कन्या भ्रुण हत्या। जिले में चल रहे अवैध नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउण्ड सेंटर पर जब जिले में प्रबुद्ध महिलाओं से बात की तो उन्होंने इस पर चिंता जताते हुये कहा कि इसके हमसब लोग जिम्मेदार है जिस तरह जिले के डाक्टर अपनी डिग्री झोलाछाप डाक्टरों को बेचकर कन्या भ्रुण हत्या में सहयोग कर रहे है ऐसे लोगों को विरूद्ध कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये अन्यथा महिलाओं को सड़कों पर उतरकर इनके विरूद्ध कार्यवाही करने पर विवश होना पड़ेगा भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष व कन्या भ्रुण हत्या रोकने के मिशन चला रही श्रीमती शैल मौर्या  ने कहा कि महिलाओं में हमेशा पुरूषों के साथ कंधें से कंधा मिलाकर काम किया है बावजूद इसके कुछ लोग इन्ही झोलाछाप डाक्टरों व अवैध अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के सहारे रोजाना कन्या भ्रुण हत्या में जुटे है। ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिये और इनकी डिग्री रदकर जेल की सलाखों के पीछे भेज देना चाहिये। भाजपा नेत्री और समाजसेविका श्रीमती शैल साहू ने कहा कि महिलाओं ने हमेशा आत्मनिर्भर होकर ना सिर्फ देश का नाम रौशन किया बल्कि ये बता दिया है कि वे किसी भी मामले में पुरूषों से कम नहीं है ऐसे में कन्या भ्रुण हत्या हमारे लिये एक अभिशाप बनता जा रहा है और इसके लिये हम लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करने में पीछे नहीं हटेंगें। श्रीमती रेनू मौर्या ने कहा कि ऐसे लोगों को फांसी की सजा दी जानी चाहिये जो लोग बच्चियों को दुनियां में आने से पहले ही मौत की नींद सुला देते है क्योंकि ये भी किसी जघन्य हत्या से कम नहीं है। पूर्व एनसीसी अधिकारी ले. हुसैना बेगम ने कहा कि समाज में जिस तरह से कन्या भ्रुण हत्या में इजाफा हो रहा है वो हमारे लिये चिंता का विषय है कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में अपने बच्चों को शादी करने के लिये हमें लड़कियों के लिये तरसना पड़े ऐसे में कुदरत के साथ खिलवाड़ करना सबसे बड़ा गुनाह है और गुनेहगार को सजा मिलनी चाहिये। गड़वारा विधायक सीमा द्विवेदी ने भी इस पर चिंता जतायी और कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगी ताकि ऐसे लोगों के विरूद्ध सरकार कड़ी कार्यवाही कर सके। कुछ संशोधनों के साथ राष्‍ट्रीय सहारा से साभार

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