अक्षम्‍य लापरवाही, या निर्मम भ्रष्‍टाचार। दो दर्जन मासूमों ने दम तोड़ा। योगी जी, माफ कीजिए आप असफल हैं

सैड सांग

: 69 लाख का भुगतान की फाइलें दबाये बैठे थे मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल : कमीशन की भारी मांग से आजिज ऑक्‍सीजन सप्‍लाई करने वाली फर्म ने सप्‍लाई बंद की : जपानी बुखार से तड़पते बच्‍चों के इलाज के लिए विशेष रूप से बनाये गये आईसीयू में हुआ हादसा : एसएसबी जवानों ने कमान थामी :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

गोरखपुर : जापानी इन्‍सेफिलाइटिस यानी जापानी बुखार से तड़प रहे गोरखपुर में आज हुए एक भयावह हादसे में करीब दो दर्जन मासूम बच्‍चों ने बदन-तोड़ बुखार से तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। कारण की वजह यह रही कि अस्‍पताल में यहां के सरकारी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गम्‍भीर रूप से बीमार बच्‍चों को ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई बंद कर दी गयी थी। और इससे भी गम्‍भीर कारण यह रहा कि इस आपूर्ति करने वाली फर्म को 69 लाख रूपयों का भुगतान नहीं किया गया था। बताते हैं कि फर्म से इस भुगतान के लिए मेडिकल प्रशासन भारी कमीशन अतिरिक्‍त तौर पर मांग रहा था।

बहरहाल, यह पहला मौका है, जब मुख्‍यमंत्री के गृह जनपद में नन्‍हें-मुन्‍ने मासूमों की लाशें जहां-तहां बिखरी पड़ी हैं। आपको बता दें कि अभी दो दिन पहले नौ अगस्त की शाम को सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कालेज का हाल देखकर गये थे।

आपको बता दें कि बीआरडी में दो वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया। इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड समेत 300 मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। इसकी सप्लाई पुष्पा सेल्स करती है। कंपनी के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने प्राचार्य को पत्र लिखकर बताया है कि कालेज पर 68 लाख 58 हजार 596 रुपये का बकाया हो गया है। बकाया रकम की अधिकतम तय राशि 10 लाख रुपये है। बकाया की रकम तय सीमा से अधिक होने के कारण देहरादून के आईनॉक्स कंपनी की एलएमओ गैस प्लांट ने गैस सप्लाई देने से इनकार कर दिया है।

बीआरडी में ऑक्सीजन की आपूर्ति का संकट गुरुवार को तब शुरू हुआ जब लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गैस खत्म हो गई। संकट को देखते हुए गुरुवार को दिन भर 90 जंबो सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई हुई। रात करीब एक बजे यह खेप भी खप गई। जिसके बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। साढ़े तीन बजे 50 सिलेंडरों की खेप लगाई गई। यह सुबह साढ़े सात बजे तक चला।

मरने वालों में दस मासूम इंसेफेलाइटिस वार्ड में और दस एनएनयू (न्यूनेटल यूनिट) में भर्ती थे। ताज्जुब है कि इतनी बड़े संकट के बावजूद डीएम या कमिश्नर में से कोई भी शुक्रवार को दिन भर  बीआरडी मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा। जबकि मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों का कहना था कि दोनों अधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी गई थी। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचते तो क्राइसिस मैनेजमेंट आसान हो जाता।

गोरखपुर की खबरों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

जय बाबा गोरखनाथ

बुधवार को ही लिक्विड ऑक्सीजन का टैंक पूरी तरह से खाली हो गया था। मंगाए गए ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म हो गए। इसके बाद कालेज में हाहाकार मच गया। बेड पर पड़े मासूम तड़पने लगे। डॉक्टर और तीमारदार एम्बू बैग से ऑक्सीजन देने की कोशिश करने लगे। हालांकि उनकी यह कोशिश नाकाफी साबित हुई। इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरने वालों में जुनैद, अब्दुल रहमान, लवकुश, ज्योति, शालू, खुशबू, फ्रूटी, शिवानी और अरूषी शामिल थी।वार्ड 100 बेड में भर्ती इंसेफेलाइटिस के 73 में से 54 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म फिर खत्म हो गई। जिसके बाद वार्ड 100 बेड में हंगामा शुरू हो गया। एम्बुबैग के सहारे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई। तीमारदारों के थक जाते ही डॉक्टर एम्बुबैग से ऑक्सीजन देते रहे।

बीआरडी में गुरुवार की शाम से ही बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। एक-एक कर बच्चों की हो रही मौत से परेशान डॉक्टरों ने पुष्पा सेल्स के अधिकारियों को फोन कर मनुहार की। उधर कालेज प्रशासन ने 22 लाख रुपये बकाया के भुगतान की कवायद शुरू की। जिसके बाद पुष्पा सेल्स के अधिकारियों ने लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर को भेजने का फैसला किया। हालांकि यह टैंकर भी शनिवार की शाम या रविवार तक ही बीआरडी पहुंचेगा।

ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 20 से अधिक मासूमों व अन्य मरीजों ने दम तोड़ दिया। यह सिलसिला रात 11.30 बजे से शुरू हुआ व सुबह नौ बजे तक जारी रहा। लगातार हो रही मौतों से वार्डों में कोहराम मचा हुआ था। चारों तरफ चीख पुकार व अफरा-तफरी का माहौल था।

पहली बार रात आठ बजे इंसेफलाइटिस वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर से की जा रही सप्लाई ठप हो गई। इसके बाद वार्ड को लिक्विड ऑक्सीजन से जोड़ा गया। यह भी रात 11.30 बजे खत्म हो गया। यह देख वहां तैनात ऑपरेटर के होश उड़ गए। उससे जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाना शुरू किया, लेकिन किसी से जवाब नहीं दिया। इस बीच रात 1.30 बजे तक सप्लाई ठप रही। वार्ड में भर्ती 50 से अधिक मरीज बेहोशी की हालत में थे। उनकी हालत अचानक बिगड़ने लगी। देर रात सप्लाई हुए सिलेंडर इस बीच रात 1.30 बजे ऑक्सीजन सिलेंडर से लदी गाड़ी आई और आनन-फानन में उनसे ऑक्सीजन सप्लाई की गई।

गोरखपुर मेडिकल कालेज मासूमों की मौत से जुड़ी खबरों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

मौत-गिद्ध

बस्ती के रानीपुर बाबू गांव के दीपचन्द ने बताया कि 11 दिन का बच्चे को ब्लड चढ़ाने के लिए शाम को ब्लड मंगाकर रख लिया पर अभी तक ब्लड चढ़ाया नही गया है। आज सुबह सात बजे से अम्बू बैग चला रहे थे। दोपहर बच्चे की मौत हो गई। अगर ब्लड चढ़ा देते तो बच जाता। कुशीनगर के मृत्युंजय पाठक अपने पांच दिन के बच्चे को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। बताया कि सुबह से ही हाथ से आक्सीजन का पंप चलवा रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी से मेरा बच्चा मर जाएगा। देवरिया की अमित सिंह की बेटी प्रतिज्ञा अब नहीं बची। वह तीन दिन से पीजीआइ के लिए रेफर का अनुरोध कर रहे थे पर किसी डाक्टर ने नहीं उनका अनुरोध नहीं सुना।

मासूमों को तड़पता देखकर डॉ. कफील ने एसएसबी से मदद मांगने का फैसला किया। वह एक कर्मचारी को लेकर बाईक से ही एसएसबी के डीआईजी के पास गए। डीआईजी एसएसबी ने तत्काल 10 ऑक्सीजन सिलेंडर दिया। इतना ही नहीं एक ट्रक भी भेजा जिससे कि  कालेज प्रशासन दूसरी जगहों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगा सके।

स्पतालों में आक्सीजन की कमी के चलते इक्का-दुक्का हादसों की बात तो किसी न किसी चूक या लापरवाही की ओर इशारा करते हुए जरूर सामने आई लेकिन गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज जैसा बड़ा हादसा हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में देखने सुनने में नहीं आया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *